भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर और कोच अनिल कुंबले आज अपना 47वां जन्मदिन मना रहे हैं। कुंबले भारत के सबसे अहम गेंदबाजों में से एक रहे हैं। अपनी गुगली से जंबों ने भारत को कई महत्वपूर्ण मैच जिताए है। उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड है, जो किसी भी गेंदबाज के लिए सपने जैसा है। पर शायद आप नहीं जानते हैं कि कुंबले के नाम बल्लेबाजी में भी कई शानदार रिकॉर्ड हैं। जी हां, यहां हम आपको उस मैच के बारे में बताने जा रहे हैं जब कुंबले ने साथी गेंदबाज जवागल श्रीनाथ से मिलकर टीम इंडिया को हारा हुआ मैच जिताया था।
टाइटन कप सीरीज 1996 के सेमीफाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत हासिल कर भारत ने फाइनल में जगह बनाई थी लेकिन फाइनल की राह इतनी आसान नहीं थी। बैंगलौर में खेले गए सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 7 विकेट पर 215 रन बनाए थे। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान मार्क टेलर ने 105 रनों की शानदार पारी खेल अपनी टीम के लिए एक अच्छा स्कोर खड़ा किया। रनों का पीछा करने उतरी भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर, सौरभ गांगुली, मोहम्मद अजरूद्दीन और राहुल द्रविड़ जैसे कई बड़े नाम शामिल थे। 215 रनों का स्कोर बनाना इस भारतीय बल्लेबाजी क्रम के लिए आसान लग रहा था लेकिन ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने भारत को मैच में टिकने ही नहीं दिया। [ये भी पढ़ें: 47 साल के हुए अनिल कुंबले, दिग्गजों ने कुछ ऐसे दी बधाई]
एक के बाद एक दिग्गज बल्लेबाज दहाई का आकड़ां छुए बिना ही पवेलियन लौट गए। भारतीय कप्तान और सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने पारी को अपने कंधों पर संभाला। उन्होंने 189 गेंदों में 88 रन बनाए और जीत की उम्मीद को बनाए रखा। 42वें ओवर में स्टीफेन वॉ की पहली गेंद पर सचिन एलबीडबल्यू आउट हो गए, उस समय भारत का स्कोर सिर्फ 164 रन था और 8 विकेट गिर चुके थे। ऑस्ट्रेलिया ने मैच पर पूरी तरह से अपनी पकड़ बना ली थी। तब मैदान पर भारत के दो महान गेंदबाज जवागल श्रीनाथ और अनिल कुंबले क्रीज पर उतरे।
उस वक्त स्टेडियम में कुंबले का हौसला बढ़ाने उनकी मां और दादी भी मौजूद थीं। कुंबले और श्रीनाथ ने साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए रनों का सिलसिला जारी रखा। बैंगलौर कुंबले का होम ग्राउंड भी है इसलिए पिच से अच्छी तरह वाकिफ जंबो ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को दबाव बनाने का कोई मौका नहीं दिया। दूसरे छोर पर श्रीनाथ जो कि भारत के सबसे सफल तेज गेंदबाजों में से एक हैं, एक मंझे हुए बल्लेबाज की तरह गेंदबाजों की विकेट लेने की हर कोशिश को नाकाम करते रहे हालांकि श्रीनाथ एक बार रन आउट होने से बचे। उन्होंने अपनी पारी में दो चौके और एक छक्का भी मारा। अंतिम ओवरों में कुंबले ने तेजी के साथ रन बनाना शुरू हुआ, इसी बीच कुंबले को कई जीवनदान मिले। ऐसे में स्टैंड्स में उनकी मां हर बार डर से खड़ी हो जाती थीं लेकिन उनकी दादी लगातार कुंबले के लिए चीयर कर रही थी। [ये भी पढ़ें: रणजी ट्रॉफी 2017-18: ईशांत शर्मा की कप्तानी में दिल्ली को मिली पहली जीत]
कुंबले और श्रीनाथ ने 38 गेंदो पर 50 रनों की साझेदारी बनाई, जिसकी बदौलत भारत में 48वें ओवर की 5वीं गेंद पर ही मैच जीत लिया। मैच खत्म होने के बाद अनिल कुंबले की मां खुशी से नाचते हुए दिखीं। हालांकि कुंबले ने 16 और श्रीनाथ ने 30 रन ही बनाए थे लेकिन जिस स्थिती में दोनों ने ये रन बनाए थे वो आसान नहीं था। साथ ही कुंंबले ने मैच में 2 विकेट भी चटकाए थे। इस मैच को जीतने के बाद भारत ने फाइनल में साउथ अफ्रीका को 53 रनों से मैच हरा कर टाइटन कप अपने नाम किया। फाइनल मैच में कुंबले ने प्रोटीज के खिलाफ 4 विकेट लेकर मैन ऑफ द मैच का खिताब अपने नाम किया। कुंबले भारत के लिए कई बार मैच विनर साबित हुए हैं और अब बतौर कोच उन्होने भारतीय टीम को कई सीरीज जिताई हैं। कुंबले के लिए ये मैच काफी यादगार है क्योंकि उनकी मां वहां मौजूद थी। उनके और श्रीनाथ के इस प्रदर्शन के कारण भारतीय क्रिकेट के लिए भी ये एक यादगार मैच बन गया।
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