आज भारतीय क्रिकेट के ऐसे खिलाड़ी का जन्मदिन है जिसने भारत को जितना दिया उसके बदले में उन्हें उतना मिला नहीं। अगरकर वो सराहना नहीं मिली जिसके वो सच्चे हकदार थे। अगरकर ने 16 साल तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में धमाल मचाया। इस दौरान शानदार उन्होंने शानदार तरीके से क्रिकेट जगत में अपना नाम कमाया। अगरकर ने क्रिकेट इतिहास के कई बड़े रिकॉर्ड्स पर अपने नाम की मुहर लगाई।
बचपन से क्रिकेट खेलने का जुनून: अजीत अगरकर ने बचपन में शौकिया तौर पर क्रिकेट खेलना शुरू किया था और जब पड़ोसी उनकी शिकायत करने लगे तो उनके घर वालों ने परेशान होकर उन्हें शिवाजी पार्क में कोच रमाकांत आचरेकर के पास लेकर गए और आचरेकर ने अगरकर की प्रतिभा को पहचानने में ज्यादा समय नहीं लिया। अपने द्रोणाचार्य की देखरेख में अजीत दिन-रात प्रैक्टिस करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने बचपन में स्कूल क्रिकेट की जूनियर टीम से बतौर बल्लेबाज तिहरा शतक भी जड़ा था, लेकिन एक बल्लेबाज के रूप में शुरुआत करने वाले अगरकर ने आगे चलकर एक सधे हुए तेज गेंदबाज के रूप में अपनी पहचान बनाई।
जल्द ही उनकी ये मेहनत रंग लाई और उन्हें मुंबई की रणजी क्रिकेट में जगह मिल गई। उस समय घरेलू क्रिकेट में मुंबई सिर्फ मुबंई का ही दबदबा हुआ करता था। मुंबई रणजी चैंपियन थी और सिर्फ 15 साल की उम्र में एक दमदार टीम का हिस्सा बनना उनकी इस उपलब्धि ने ही साफ कर दिया था कि आने वाले समय में टीम इंडिया को एक बेहतरीन गेंदबाज मिलने वाला है। ये भी पढ़ें: चौथे टेस्ट में रिद्धिमान साहा की जगह पार्थिव पटेल का खेलना लगभग तय
मिले मौके को भुनाया: अगरकर के जुनून ने उन्हें जल्द ही टीम इंडिया में जगह दिला दी। वन-डे क्रिकेट में अगरकर ने अपना पहला मैच 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला। डेब्यू के बाद लगातार 13 मैचों तक एक भी मैच ऐसा नहीं रहा, जिसमें उन्हें विकेट न मिला हो। इस तूफानी रफ्तार से बढ़ रहे करियर ने कई रिकॉर्ड ध्वस्त किए। इस क्रम में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के डेनिस लिली के सबसे तेज 50 विकेट लेने का विश्व रिकॉर्ड भी तोड़ दिया।
अगरकर ने यह रिकॉर्ड मात्र 23 मैचों में बनाया। 1998 में बनाए गए इस रिकॉर्ड को 2009 में श्रीलंका के अजंथा मेंडिस ने तोड़ा। टेस्ट क्रिकेट में अगरकर ने सबसे यादगार प्रदर्शन 2004 में एडिलेड क्रिकेट ग्राउंड में किया था। जब उन्होंने 42 रन देकर ऑस्ट्रेलिया के 6 विकेट हासिल किए थे।
अगरकर के खास रिकॉर्ड्स: 1998 में वनडे क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोच्चि में डेब्यू करने वाले अगरकर के नाम वनडे क्रिकेट में भारत की ओर से सबसे तेज अर्धशतक जड़ने का रिकॉर्ड भी दर्ज हैं। उन्होंने साल 2000 में जिम्बाब्वे के खिलाफ सिर्फ 21 गेंदों में 50 रन बनाए थे। जाहिर है इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर भी अगरकर ने खुद को साबित करने में ज्यादा समय नहीं लिया। अजीत ने क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स में नंबर 8 पर बैटिंग करते हुए शतक जड़ा था। अजीत अगरकर ने वो कारनामा कर दिखाया, जो सचिन तेंदुलकर जैसा महान बल्लेबाज भी नहीं कर सका।
साल 2002 में सौरव गांगुली ने उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतारा, तो अजीत ने भी अपने कप्तान को निराश नहीं किया और 95 रन की शानदार पारी खेली। अजीत अगरकर के नाम सबसे कम वनडे मैचों में 200 विकेट और 1000 रन बनाने का भी रिकॉर्ड है। उन्होंने शॉन पॉलक के 138 मैचों का रिकॉर्ड तोड़ा था। ये भी पढ़ें: पाकिस्तान को हराकर एशिया की चैंपियन बनी भारतीय टीम
गेंद और बल्ले दोनों से जानदार प्रदर्शन के चलते अजीत अगरकर एक ऑलराउंडर के तौर पर भी अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे। यहां तक कि उनकी तुलना पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर कपिल देव से भी की जाने लगी थी।
मुंबई को बनाया रणजी चैंपियन: 75 साल बाद रणजी फाइनल में जगह बनाने वाली सौराष्ट्र की टीम के सपनों को मुंबई ने अपने घरेलू मैदान पर करारा झटका दिया। मुंबई के कप्तान अजीत अगरकर और धवल कुलकर्णी की कातिलाना गेंदबाजी की बदौलत मेजबान टीम ने सौराष्ट्र को मैच के तीसरे दिन ही पारी और 125 रन से करारी शिकस्त देकर 40वीं बार रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम कर लिया।
कुल मिलाकर हम ये कह सकते हैं 16 अक्तूबर 2013 को क्रिकेट को अलविदा कहने वाला ये खिलाड़ी बतौर ऑलराउंडर अपनी छाप छोड़ने में कमायब रहा है और अपने इस शानदार सफर के दौरान अजीत ने अपने चाहने वालों को कुछ ऐसे यादगार पल दिए हैं, जो उनके जहन में हमेशा जिंदा रहेंगे।
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