टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर युवराज सिंह आज 36 साल के हो गए हैं। 12 दिसंबर 1981 को जन्म लेने वाले युवराज 12 नंबर की ही जर्सी पहन कर खेलते हैं। उनके चाहने वालों की संख्या करोड़ों में है और जल्द ही उनके जीवन पर फिल्म भी बनने वाली है। बहुत से लोगों को ये हैरानी होगी की युवराज सिंह कभी क्रिकेटर बनना ही नहीं चाहते थे, क्योंकि उनको धूप में खेलना पसंद नहीं था। क्रिकेटर पिता की संतान युवराज को पिता की जिद की वजह से धूप में क्रिकेटर बनने के लिए अभ्यास करना पड़ता था। तो आइए जानते हैं क्रिकेटर बनने के लिए और बनने के बाद किए गए युवराज सिंह के संघर्ष के बारे में।
शुरूआती दौर:
युवराज सिंह को शुरूआती दिनों में क्रिकेट में बिल्कुल रूचि नहीं थी, उनको बचपन में स्केटिंग और टेनिस का शौक था और इन दोनों खेलों में वह काफी अच्छे भी थे। युवराज ने अंडर-14 रोलर स्केटिंग चैंपियनशीप का खिताब भी जीता। इन मेडल को जब उन्होंने अपने पिता योगराज सिंह को दिखाया तो योगराज ने मेडल को फेंक दिया और सिर्फ क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने युवी को सीमेंट की विकेट पर घंटों बल्लेबाजी कराते थे। जिसका नतीजा था कि युवराज सिंह के पास गेंद खेलने के लिए काफी वक्त होता है। डीएवी स्कूल चंडीगढ़ में पढ़ाई करने वाले युवराज सिंह को रोजाना स्कूल के अलावा ना चाहते हुए भी घंटों क्रिकेट की प्रेक्टिस करनी पड़ती थी।
करियर:
युवराज की रोजाना घंटों की मेहनत रंग लाई और उन्होंने 1997-98 में उड़ीसा के खिलाफ अपना पहला फर्स्ट क्लास मैच खेला। हालांकि इस मैच में युवराज कोई रन नहीं बना सके। इसके बाद युवराज को असली पहचान मिली अंडर-19 विश्व कप 2000 में जब उनको शानदार प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द सीरीज चुना गया। अंडर 19 विश्व कप में 2000 में शानदार प्रदर्शन करने वाले युवराज सिंह को नैरोबी में चल रहे आईसीसी नॉक आउट टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम में चुन लिया गया।
युवराज ने अपनी पहली ही पारी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रनों की पारी खेल कर मैन ऑफ द मैच खिताब पर कब्जा जमाया। इसके बाद कुछ मौकों पर युवराज टीम से बाहर भी हुए लेकिन 2002 नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में मोहम्मद कैफ के साथ की साझेदारी के बाद युवराज का स्थान टीम में पक्का हो गया। 2007 में पहले टी20 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 6 गेंदों में 6 छक्के लगाने का कारनामा अंजाम दिया।
कैंसर का साया:
2011 विश्व कप के दौरान युवराज सिंह कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की गिरफ्त में आए लेकिन उन्होंने अपनी बीमारी को छुपा कर विश्व कप में हिस्सा लिया और अपने ऑलराउंडर खेल की बदौलत भारत को विश्व विजेता बनाया।
इसके बाद युवराज सिंह कैंसर के इलाज के लिए बोस्टन जाना पड़ा जहां उन्होंने इस गंभीर बीमारी से लड़ाई लड़ी। एक साल से ज्यादा समय तक कैंसर की जंग में युवराज को अंत में जीत मिली और वो फिर से क्रिकेट के मैदान में जाने को बेताब दिखे।
कैंसर से लड़ाई जीतकर टीम में वापसी:
कैंसर से लड़ाई जीतकर युवराज सिंह ने 2012 में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय टीम में वापसी की। युवराज सिंह ने इस मैच में 34 रन बनाने के अलावा एक कैच भी लिया। हालांकि टीम को हार का सामना करना पड़ा। 2014 टी20 विश्व कप फाइनल में युवराज सिंह को खराब प्रदर्शन की वजह से टीम से बाहर होना पड़ा। उसके बाद उन्होंने 2016 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम में वापसी की। 2016 टी20 विश्व कप में उनको फिर से चोट की वजह से बाहर होना पड़ा।
युवराज सिंह अपने पुरे करियर में एक फाइटर की तरह खेले हैं और युवराज ने हाल ही में कहा कि वो अभी भी 6 गेंदों में 6 छक्के लगाने का दमखम रखते हैं। फिलहाल युवराज सिंह चोट से उबर कर फिर से टीम में जगह बनाने की कोशिश में लगे हैं।
नई पारी:
युवराज ने हाल ही में क्रिकेट से हटकर हेजल कीच के साथ एक नई पारी की शुरूआत की। युवराज ने 35वें साल में हेजल कीच के साथ घर बसाने का फैसला किया। हाल ही में उनकी शादी में भारतीय क्रिकेट के सितारों के अलावा कई बड़ी हस्तियां भी शामिल हुई। युवराज ने हाल ही में टीम इंडिया में शामिल होने के लिए यो-यो टेस्ट भी पास कर लिया है। बीसीसीआई ने दक्षिण अफ्रीका जाने वाले टेस्ट टीम का ऐलान कर दिया है, उम्मीद है वनडे और टी20 टीम में युवराज का नाम शामिल किया जाएगा।
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