श्रीलंकावैसे तो आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी(पूर्व में आईसीसी नॉकआउट) में 1998 से ही प्रतिभागी रहा है लेकिन इन सालों में वह सिर्फ एक बार ही छाप छोड़ पाया। साल 2002 में इस टू्र्नामेंट का आयोजन श्रीलंका में किया गया था। श्रीलंका ने पूरे टूर्नामेंट में गजब का प्रदर्शन किया था और फाइनल में जगह बनाई थी। लेकिन यहां उनकी किस्मत खराब हो गई और फाइनल मैच बारिश में धुल गया और भारत और श्रीलंका को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2002 का संयुक्त रूप से विजेता घोषित कर दिया गया। तबसे श्रीलंका इस टूर्नामेंट को जीतने में कभी सफलता अर्जित नहीं कर पाया।
मौजूदा चैंपियंस ट्रॉफी में श्रीलंका टीम की बात करें तो उनके पास पहले के दिनों जैसे बड़े खिलाड़ी मुथैया मुरलीधरन, कुमार संगकारा, तिलकरत्ने दिलशान व चमिंडा वास नहीं है। बल्कि अनुभव के नाम पर उनकी उम्मीदें एंजलो मैथ्यूज, नुवान कुलशेखरा, थिसारा परेरा, दिनेश चंडीमल, लसिथ मलिंगा और उपुल थरंगा पर ही समाप्त हो जाती हैं। श्रीलंका टीम इस समय पुर्ननिर्माण के दौर से गुजर रही है।
श्रीलंका के लिए अच्छी बात ये है कि उनके सबसे सफल गेंदबाज लसिथ मलिंगा एक बार फिर से टीम में वापस आ चुके हैं। वह पिछले 19 महीनों बाद कोई वनडे सीरीज खेल रहे हैं। इसके अलावा श्रीलंका ने कुछ ऐसे खिलाड़ियों को टीम में जगह दी है जिन्होंने हाल- फिलहाल में सीमित ओवर क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया है। इनमें चमारा कपुगेदरा और नुवान प्रदीप प्रमुख हैं। श्रीलंका ने इस टूर्नामेंट के लिए अपनी टीम में महज दो स्पिनरों को शामिल किया है बाकी सभी तेज गेंदबाज हैं।
टीम की मजबूती और कमजोरी: टीम के लिए अच्छी बात यह है कि लसिथ मलिंगा फॉर्म में हैं। उन्होंने आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन किया है। जाहिर है कि 19 महीनों के बाद वह अपनी टीम की ओर से वापसी करते हुए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे। चैंपियंस ट्रॉफी में भी मलिंगा का रिकॉर्ड अच्छा रहा है। वह अबतक 14 मैचों में 22 विकेट झटक चुके हैं। पिछले कुछ सालों में श्रीलंका को ओपनिंग जोड़ी की समस्या से निजात नहीं मिल रही थी।
टीम की सबसे बड़ी कमी बल्लेबाजों का नियमित रूप से अच्छा प्रदर्शन न कर पाना है। जिसमें मध्यक्रम ने खासा निराश किया है। जैसा कि मैथ्यूज टीम में वापसी कर रहे हैं। ऐसे में वह श्रीलंकाई की खोई हुई ताकत को बटोरते हुए एक ईकाई में रहकर विपक्षी टीम के खिलाफ किला लड़ाना चाहेंगे।
श्रीलंका का वनडे में हालिया प्रदर्शन: श्रीलंका ने 2016-17 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई वनडे सीरीज के अलावा अन्य सभी सीरीजें विदेशों में खेलीं। उन्होंने इस दौरान कुल 27 मैच खेले जिनमें 7 जीते और 15 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस तरह उनका ये प्रदर्शन खासा दयनीय रहा। पिछले साल उन्होंने अपनी यात्रा न्यूजीलैंड के खिलाफ शुरू की थी जिसमें उन्हें 3-1 से करारी हार झेलनी पड़ी थी। हालांकि, इसके बाद उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ जीत दर्ज की और उन्हें थोड़ा अच्छा लगा।
इसके बाद उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में हार का स्वाद चखना पड़ा। लेकिन अच्छा बात ये रही कि इस सीरीज में मेंडिस, चंडीमल, प्रसन्ना ने अच्छा प्रदर्शन किया। इसके अलावा उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विदेश में और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने घर में हार झेलनी पड़ी। बांग्लादेश के खिलाफ उनकी सीरीज 1-1 से बराबर रही। यही कारण है कि श्रीलंका आज कल आईसीसी रैंकिंग में सातवें नंबर पर खिसक गई है। ये भी पढ़ें: चैंपियंस ट्रॉफी(प्रिव्यू): बांग्लादेश में है ‘चैंपियंस’ को चित करने का दम
चैंपियंस ट्रॉफी में श्रीलंका का अब तक का प्रदर्शन: श्रीलंका साल 1998 में पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी में शामिल हुई थी जिसमें वह सेमीफाइनल तक पहुंची थी। साल 2000 में वह क्वार्टरफाइनल तक पहुंची। साल 2002 में वह भारत के साथ टूर्नामेंट की संयुक्त रूप से विजेता रही। 2004 में ग्रुप स्टेज तक पहुंची। 2006 में ग्रुप स्टेज तक पहुंची। 2009 में फिर से ग्रुप स्टेज तक पहुंची। साल 2013 में सेमीफाइनल का सफर तय किया। श्रीलंका ने चैंपियंस ट्रॉफी में कुल 25 मैचों में 13 जीते हैं और 10 हारे हैं। इसके अलावा दो अनिर्णित रहे हैं।
इन खिलाड़ियों पर रहेंगी नजरें: इंग्लैंड जाने के पहले, मैथ्यूज ने संदाकन के बारे में कहा था, “वह हमारे मु्ख्य खिलाड़ी होंगे। वह एक रहस्यमयी गेंदबाज हैं और कई टीमों ने उन्हें नहीं देखा है। वह टूर्नामेंट में टीमों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।” पिछले दिनों स्कॉटलैंड के खिलाफ प्रैक्टिस मैच में संदाकन ने पांच विकेट झटके थे। गौर करने वाली बात है कि उन्हें यूरोप में खेलने का कोई अनुभव नहीं है लेकिन पहली बार आकर ही कमाल दिखाना बड़ी बात है। ऐसे में इस रहस्यमयी गेंदबाज पर सबकी नजरें होंगी।
डिकवेला भी शीर्ष क्रम में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। स्कॉटलैंड के खिलाफ प्रैक्टिस मैच में उन्होंने 63 गेंदो में 53 रन बनाए थे। वहीं मध्यक्रम में कुसल मेंडिस भी खासे चर्चित हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में 176 रनों की पारी खेली थी। तभी से वह चर्चित हो चले थे। इसके अलावा हाल ही में बांग्लादेश सीरीज के दौरान उन्होंने शतक भी लगाया था। यही नहीं, मेंडिस ने पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ दो अर्धशतक लगाए थे। वहीं, थरंगा के अनुभव को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
वापसी करने वाले बल्लेबाज कपुगेदरा ने भी स्कॉटलैंड के खिलाफ प्रैक्टिस मैच में अच्छा प्रदर्शन किया था और वह अपनी टीम की ओर से दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। वहीं, दिनेश चंडीमल हर कुछ भुनाने को तैयार होंगे। लकमल मुख्य गेंदबाज होंगे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अच्छा प्रदर्शन किया था। उन्हें समर्थन कुलशेखरा और मलिंगा देंगे।
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