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रांची टेस्ट: विराट कोहली और स्टीवन स्मिथ की टीम के खिलाड़ियों के प्रदर्शन का लेखा- जोखा

चार मैचों की टेस्ट सीरीज में अब तक दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर हैं

दोनों टीमों के खिलाड़ियों के प्रदर्शन का आंकलन © Getty Images
दोनों टीमों के खिलाड़ियों के प्रदर्शन का आंकलन © Getty Images

रांची टेस्ट ने हर नए दिन के साथ नई करवट ली। कभी पलड़ा टीम इंडिया का भारी नजर आया तो कभी ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया को बैकफुट पर धकेल दिया। बहरहाल, चौथे दिन का अंतिम सेशन और पांचवें दिन का पहला सेशन पूरी तरह से टीम इंडिया के पक्ष में दिखा और यहां से लगा कि टीम इंडिया मैच को आसानी से जीत जाएगी। लेकिन फिर से मैच ने करवट ली और दो बल्लेबाजों पीटर हैंड्सकॉम्ब- शॉन मार्श ने पांचवां दिन अकेले खेल डाला और ऑस्ट्रेलिया को एक हारे हुए मैच में ड्रॉ दिलवा दिया। इस तरह टीम इंडिया के जीत के मंसूबे धरे के धरे रह गए।

कुल मिलाकर ये टेस्ट पूरा इंटरटेनमेंट का पैकेज रहा। क्योंकि, हर नए दिन के साथ नई तस्वीर देखने को मिल रही थी। बहरहाल, टेस्ट मैच तो खत्म हो गया है। ऐसे में देख लेते हैं कि टीम इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों का प्रदर्शन कैसा रहा। ‘देवव्रत वाजपेयी’ और ‘मनोज शुक्ला’, खिलाड़ियों के प्रदर्शन का आंकलन करेंगे। साथ ही किस खिलाड़ी को 10 में से कितने नंबर मिले। ये भी बताएंगे।

देवव्रत मेजबान टीम के साथ शुरुआत करेंगे।

केएल राहुल(7/10): राहुल अब तक इस सीरीज में टीम इंडिया की ओर से लगभग हर पारी में रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। ऑस्ट्रेलिया के 451 रनों के जवाब में राहुल ने एक बार फिर से बेहतरीन अंदाज में बल्लेबाजी शुरू की और मैदान के चारों ओर बिना हिचक के स्ट्रोक लगाए और इस तरह पारी की शुरुआत में ही ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की कमर तोड़ दी। इस दौरान उन्हें पैट कमिंस ही थोड़ा- मोड़ा परेशान कर पाए। उन्होंने 67 रनों की जुझारू पारी खेली। वैसे उन्होंने फील्डिंग में कुछ गलतियां की और ओवर थ्रो फेंककर विपक्षी टीम को फ्री के रन दिए। वहीं, वह पहली पारी में थोड़ा और संभलकर बल्लेबाजी करते हुए साझेदारी को और भी खींच सकते थे। इसलिए हमने उनके कुल तीन प्वाइंट काटे हैं। वैसे कुल मिलाकर उनका प्रदर्शन लाजवाब रहा। आईसीसी गेंदबाजों की रैंकिंग में रविंद्र जडेजा बने नंबर-1

मुरली विजय(7.5/10): हम मुरली विजय को ‘संत’ कहेंगे। वह अक्सर संत के समान टेस्ट क्रिकेट में अपना धीरज बरकरार रखते हैं और लक्ष्य की ओर धीरे- धीरे पहुंचते जाते हैं। वही धीरज उन्होंने अपने करियर के 50वें टेस्ट में भी दिखाया। ये बात किसी से छुपी नहीं है कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बल्लेबाजी करने में बहुत मजा आता है। उनकी बल्लेबाजी से ये साफ हो रहा था कि उन्हें स्ट्रोक खेलने में मजा आ रहा था और अंततः 82 रन बनाकर वह आउट हुए। इस तरह से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका बल्लेबाजी औसत 57 का हो गया है। उन्होंने इस दौरान राहुल और पुजारा के साथ बड़ी साझेदारियां निभाई और टीम इंडिया को बड़े स्कोर की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, तीसरे दिन उनका ध्यान भंग हुआ और छक्का लगाने के प्रयास में वह स्टंप्ड आउट हो गए। इस गलती के अलावा उनकी पारी में एक भी गलती देखने को नहीं मिली।

चेतेश्वर पुजारा (9.5/10): किसी हिंदी टीचर की तरह मैं कहूंगा कि कोई संपूर्ण नहीं हो सकता। वैसे तीसरे टेस्ट में पुजारा ने जिस तरह की बल्लेबाजी की, वह उन्हें बेहतरीन बल्लेबाजी के शिखर पर खड़ा कर देती है। कॉमेंटेटर ने उनकी इस कोशिश को ‘बल्ले के साथ योग करना’ कहा। हालांकि, इस बात को नकारा नहीं जा सकता। पुजारा ने 202 रन बनाने के साथ अपने टेस्ट करियर का तीसरा दोहरा शतक जड़ा और साथ ही 525 गेंदें खेलकर भारत की ओर से एक पारी में सर्वाधिक गेंदें खेलने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। उनकी यह पारी पूरी तरह से अनुशासन से भरी हुई थी और उन्होंने इस दौरान विपक्षी टीम की बखिया उधेड़ दी। सातवें विकेट के लिए साहा के साथ उनकी निभाई गई 199 रनों की पारी मैच का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई।

विराट कोहली (3/10): इस मैच में कोहली की बल्लेबाजी को लेकर कोई बात नहीं हुई। अगर बात हुई तो उनके चोटिल कंधे की, जो वह फील्डिंग करने के दौरान घायल कर बैठे थे। इसके बाद वह करीब 6 सेशन तक मैदान से बाहर रहे। जब वह बल्लेबाजी कर रहे थे तो उनका ग्लेन मैक्सवेल ने मजाक उड़ाया और नॉन क्रिकेटिंग ड्रामा शुरू हो गया। उन्होंने कुल 6 रन बनाए, इसका मतलब उनके नाम अब तक इस सीरीज में 9.2 की औसत से 46 रन हैं। ये भी पढ़ें: विराट कोहली ने बताई मैच ड्रॉ होने की वजह

हालांकि, जब कोहली मैदान पर नहीं थे, उनकी कमी मैदान पर खूब खली। टीम इंडिया में कोहली की अनुपस्थिति की झलक साफ नजर आ रही थी क्योंकि कोई भी खिलाड़ी पूरी एनर्जी के साथ नहीं खेल रहा था। वैसे वह बैट से एक बार फिर फेल रहे। अगर वह बैट से अच्छा करते तो शायद टीम इंडिया को इतनी धीमी बल्लेबाजी नहीं करनी पड़ती और शायद टेस्ट मैच ड्रॉ भी नहीं होता।

अजिंक्य रहाणे(2.5/10): एक अनुभवी खिलाड़ी होने के चलते रहाणे जैसे खिलाड़ी से आशाएं बहुत होती हैं। पिछली कुछ पारियों से उनके प्रदर्शन पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि वह लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं। वहीं, जब कोहली चोट के कारण मैदान के बाहर थे तब उनकी कप्तानी प्रभावित करने वाली नजर नहीं आई। हालांकि, उन्होंने अपनी चतुराई से मैथ्यू वेड का विकेट जरूर टीम इंडिया को दिलवाया। लेकिन इस दौरान कई गलतियां भी की गईं। जिस तरह से वह इस टेस्ट मैच में आउट हुए, वह किसी के गले नहीं उतरा। वह अपर कट लगाने के प्रयास में आउट हुए।

करुण नायर (3.5/10): करुण ने पहली पारी में रविंद्र जडेजा की बॉलिंग पर पहली पारी में शानदार कैच लपका था। लेकिन वह बल्ले से कुछ खास नहीं कर सके और जोश हेजलवुड ने उन्हें आउट कर दिया। हालांकि, उन्हें इस मैच में कुछ पल और थमकर खेलने की जरूरत थी। लेकिन वह फेल हुए। अगला मैच धर्मशाला में है। जहां तेज गेंदबाजों को मदद मिलने की संभावनाएं हैं। वहां, अगर टीम इंडिया पांच गेंदबाजों के साथ उतरती है तो करुण नायर का बाहर जाना तय है।

रविचंद्रन अश्विन(3/10): ऐसी बात नहीं है कि अश्विन ने प्रयास नहीं किया। बल्कि प्रयास तो बहुत किया लेकिन उनका प्रयास पर्याप्त नहीं था। इस तरह अश्विन के लिए ये एक और निराशा से भरा मैच रहा। उन्होंने मैच में 185 रन देकर 2 विकेट लिए। वहीं, बैट से कुल 3 रन बनाए। इस तरह से वह अपनी टीम के लिए बिल्कुल भी उपयोगी साबित नहीं हुए। उनके खराब गेंदबाजी प्रदर्शन का ही असर है कि वह अब आईसीसी रैंकिंग में नंबर एक गेंदबाज नहीं रह गए हैं। अगर, अश्विन से दूसरे छोर से थोड़ा सपोर्ट मिलता तो जडेजा टीम इंडिया को एक बड़ी जीत दिलवा सकते थे।

रिद्धिमान साहा (9/10): टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया से पहली पारी के आधार पर 123 रन पीछे चल रही थी। इसी बीच साहा बल्लेबाजी के लिए आए। वैसे उन्हें पुजारा के साथ उनकी सहायक भूमिका के लिए याद किया जाएगा। लेकिन साहा पुजारा से ज्यादा स्ट्रोक लगा रहे थे और चौकों के साथ छक्के भी जड़ रहे थे। उन्होंने अपनी तीसरी टेस्ट सेंचुरी मुकम्मल की। इस तरह उन्होंने साबित कर दिया कि वह एमएस धोनी का सही रीप्लेसमेंट हैं। वह विकेटकीपिंग में तो पहले से ही बेहतरीन हैं। बल्लेबाजी ने उसमें अब चार चांद लगा दिए हैं।

रविंद्र जडेजा(9.5/10): ये बात कई लोगों को अच्छी नहीं लगी कि आखिर जडेजा को मैन ऑफ द मैच क्यों नहीं दिया गया। उनके सौराष्ट्र टीम के टीममेट पुजारा को इस खिताब से नवाजा गया। जडेजा ने टीम इंडिया को इस मैच में लगभग जीत दिलवा दी थी। उनका गेंदबाजी फिगर 93.3-26-178-9 रहा। इसके अलावा बैट से भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और 55 गेंदों में 54 रन ठोंक दिए। एक ऐसी पिच में जहां बल्लेबाजों का राज रहा वहां जडेजा ने 36 प्रतिशत विकेट निकाले।

उमेश यादव(5.5/10): उमेश ने पूरे दिल के साथ गेंदबाजी की, खासतौर पर पहली पारी में। उन्होंने बैट से भी अच्छी भूमिका निभाई और दूसरे छोर पर कुछ समय के लिए ही अच्छा साथ निभाया। उमेश ने बैटिंग पिच के हिसाब से अच्छी गेंदबाजी की।

ईशांत शर्मा(2/10): ऐसा नहीं है कि ईशांत शर्मा ने बेहद खराब गेंदबाजी की। लेकिन एक ऐसा गेंदबाज जिसने ब्रेट ली से भी ज्यादा टेस्ट खेले हों उससे आप ज्यादा अपेक्षा की जाती है। ईशांत ने पांचवें दिन अच्छी गेंदबाजी की और इस दौरान उन्होंने मैट रेनशॉ को आउट कर दिया। लेकिन इस टेस्ट में उन्होंने 5 नो बॉल भी फेंकी जिसमें अन्य किसी भी गेंदबाज ने कोई नो बॉल नहीं फेंकी। इस तरह से उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा।

अब मनोज आपको ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आंकलन का लेखा जोखा बताएंगे।

डेविड वार्नर (3/10): भले ही डेविड वार्नर रविचंद्रन अश्विन का शिकार होते रहे हों, लेकिन तीसरे टेस्ट की दोनों पारियों में वह रविंद्र जडेजा का शिकार हुए। पहली पारी में जब पिच बल्लेबाजी के लिए काफी अनुकूल थी, तब वार्नर ने अपना विकेट फेंका और जडेजा की गेंद पर जडेजा को ही कैच थमा कर पवेलियन लौट गए। ऑस्ट्रेलिया को अपने इस विस्फोटक बल्लेबाज से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन वार्नर अपनी टीम की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और उनका फ्लॉप शो जारी रहा। हालांकि वार्नर को इस टेस्ट में ज्यादातर मौकों पर शुरुआत मिली, लेकिन वह उन्हें बड़े स्कोर में तब्दील करने से चूक गए। विदेशों में शतकों के सूखे से जूझ रहे वार्नर अक्टूबर 2014 से ऑस्ट्रेलिया के बाहर शतक नहीं लगा सके हैं, जो की ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी चिंता है।

मैट रेन्शॉ (6/10): टेस्ट सीरीज में प्रभावशाली शुरुआत करने के बाद रेन्शॉ दोनों मौकों पर बड़ी पारी खेलने से चूक गए। इसके अलावा रेन्शॉ बढ़े हुए आत्मविश्वास के साथ ज्यादा देर तक क्रीज पर टिक नहीं सके। पहली पारी में जब रेन्शॉ बड़ी पारी खेल सकते थे, तो वह बेहद आसान तरीके से स्लिप में खड़े फील्डर के हाथों कैच आउट होकर पवेलियन लौट गए। वहीं दूसरी पारी में भी वह तेज गेंदबाज के जाल में फंस गए और फुल लेंथ गेंद पर वह LBW आउट हो गए। हालांकि, उन्होंने पहली पारी में 69 गेदों में 44 रनों की पारी खेली और मैच के पांचवें दिन उन्होंने जुझारू बल्लेबाजी का परिचय दिया और 84 गेंदों में 15 रनों की पारी खेली।

स्टीवन स्मिथ (8/10): भारत के खिलाफ टेस्ट करियर का छठा और कुल 19वां शतक जड़ स्टीवन स्मिथ लगातार खुद को बेहतरीन साबित कर रहे हैं। स्मिथ ने पहली पारी में बड़ा स्कोर बनाने के मौके को गंवाया नहीं और उन्होंने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 361 गेंदों में नाबाद 178 रनों की पारी खेल डाली। स्मिथ ने मैक्सवेल के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 191 रनों की साझेदारी की। जिसकी बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में भारत के सामने 451 रनों का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया। सौरव गांगुली ने बताया कि रांची टेस्ट में क्यों नहीं चला ऑस्ट्रेलियाई स्पिनरों का जादू

जब पुजारा ने 202 रनों की बेहतरीन पारी खेली और साहा के साथ 199 रनों की साझेदारी की तो स्मिथ ज्यादा कुछ कर नहीं सके। स्मिथ की टीम ने भारत के खिलाफ एक पारी में सबसे ज्यादा ओवर (210) फेंकने का अनचाहा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। कप्तान को इसका भी श्रेय देना होगा कि जब उनके तेज गेंदबाजों को विकेट नहीं मिल रहे थे तो उन्होंने इस साझेदारी को तोड़ने के लिए अपने पार्ट टाइम गेंदबाजों का बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को ज्यादातर समय खामोश रखा और खिलाड़ियों को एक-एक रन के लिए तरसाए रखा। स्मिथ के डीआरएस लेने के फैसले भी कुछ खास नहीं रहे, क्योंकि ज्यादातर मौकों पर वो फैसले गलत ही साबित हुए।

शॉन मार्श (7/10): दूसरी पारी में जब ऑस्ट्रेलिया को जरूरत थी कि उनका कोई खिलाड़ी क्रीज पर टिक सके और हार टाल सके। तब ऐसे में शॉन मार्श ने अपने अनुभव का पूरा फायदा उठाया और लगभग दो सत्र तक बल्लेबाजी की। मार्श की जुझारू बल्लेबाजी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने हार टालते हुए मुकाबले को बराबरी पर खत्म किया। पहली पारी में वह बैट-पैड के फेर में फंस कर सस्ते में आउट हो गए थे। लेकिन दूसरी पारी में उन्होंने 62.2 ओवरों की बल्लेबाजी की और अपनी टीम की हार को टाल दिया। मार्श ने 197 गेंदों में 53 रनों की पारी खेली। मार्श इसलिए भी अतिरिक्त अंक पाने के हकदार हैं, क्योंकि उन्होंने जडेजा के खिलाफ बेहतरीन तकनीक का प्रदर्शन किया। जडेजा बाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए पिच की खुरदुरी जगह से गेंद को अंदर की तरफ ला रहे थे।

पीटर हैंड्सकॉम्ब (7/10): इस खिलाड़ी के लिए यह सीरीज तीसरे टेस्ट से पहले साधारण साबित हो रही थी। लेकिन तीसरे टेस्ट में इस खिलाड़ी ने साधारण जा रही सीरीज को आसाधारण में बदल दिया और अब तक के अपने करियर की सबसे अच्छी पारी खेली। मैच के पांचवें दिन दुनिया के सबसे घातक स्पिन गेंदबाजों के सामने इस खिलाड़ी ने 200 गेंदें खेल डालीं, जिसकी बदौलत ऑस्ट्रेलिया मैच बचाने में कामयाब हो गया। हैंड्सकॉम्ब ने अच्छी पारी खेली और ऑस्ट्रेलिया भी अपने इस युवा खिलाड़ी के प्रदर्शन से संतुष्ट होगा।

मैच के पांचवें दिन हैंड्सकॉम्ब ने बेहतरीन कौशलता का परिचय दिया, खासकर उन्होंने अश्विन जैसे दिग्गज स्पिनर की गेंदों पर अपने पैरों का अच्छा इस्तेमाल किया। निश्चित तौर पर हैंड्सकॉम्ब की ये पारी उनके मनोबल के लिए काफी उपयोगी साबित होगी।

ग्लेन मैक्सवेल (7.5/10): मैक्सवेल को टेस्ट में शामिल किए जाने पर कई विशेषज्ञों ने नाराजगी जताई थी। लेकिन मैक्सवेल ने तीसरे टेस्ट की पहली पारी में शानदार शतक ठोककर उन सभी के मुंह पर ताले जड़, इस बहस को विराम दे दिया है। आक्रामक बल्लेबाज की छवि होने के बावजूद मैक्सवेल ने बिल्कुल अपनी छवि के विपरीत बल्लेबाजी की और शतक लगाया। मैक्सवेल ने हालात को समझा और रक्षात्मक खेल दिखाया। मैक्सवेल को रांची टेस्ट में गेंदबाजी करने का ज्यादा अवसर नहीं मिला, लेकिन वह ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी रणनीति का हिस्सा नहीं हैं।

मैथ्यू वेड (5/10): विकेट के पीछे साधारण प्रदर्शन करने वाले मैथ्यू वेड ने दो कैच टपकाए। चौथे दिन के पहले सत्र में वेड ने पुजारा और साहा के कैच छोड़ उन्हें जीवनदान दिया। लेकिन उन्होंने पहली पारी में प्रभावशाली बल्लेबाजी का मुजाहिरा पेश किया और 50 गेंदों में 6 चौकों की मदद से 37 रनों की पारी खेली। जो कि ऑस्ट्रेलिया के स्कोर में काफी अहम साबित हुए।

पेट कमिंस (8/10): टेस्ट क्रिकेट में काफी लंबे समय के बाद वापसी कर रहे पेट कमिंस ने बेहतरीन गेंदबाजी का मुजाहिरा पेश किया। जो पिच पाचों दिन बल्लेबाजों के लिए अच्छी दिख रही थी, उस पिच पर कमिंस ने अपनी खतरनाक गेंदबाजी से चार विकेट झटके। इसके अलावा उन्होंने शॉर्ट गेंद का भी बेहतरीन उपयोग किया, जिसका उन्हें फायदा भी हुआ। कमिंस ने चार में से 3 विकेट शॉर्ट गेंद पर हासिल किए। उन्होंने जिस तरह से अपनी गेंदबाजी में रफ्तार और लेंथ का मिश्रण किया वह दर्शाता है कि वह सोच समझकर और दिमाग लगाकर गेंदबाजी करते हैं। कमिंस की वापसी ने मिचेल स्टार्क के बाहर होने की ऑस्ट्रेलिया की चिंता को दूर कर दिया है।

स्टीव ओ’कीफे (5/10): अगर वह भारत के खिलाफ 3 और ओवर की गेंदबाजी कर लेते, तो वह खुद के लिए नई गेंद लेने के हकदार हो जाते। लेकिन 32 साल के इस गेंदबाज ने धैर्य के साथ गेंदबाजी की और लगातार अच्छी लाइन-लेंग्थ पर गेंदें फेंकी। कीफे ने 77 ओवरों में से 17 ओवर मेडन फेंके। कीफे ने भले ही 199 रन खर्च किए हों, लेकिन उन्होंने 3 विकेट भी झटके जो कि कमिंस के (4) विकेट के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ रहा।

नाथन लायन (3/10): बेंगलुरू टेस्ट के पहले दिन के बाद से ही नाथन लायन के दिन खराब चल रहे हैं। बेंगलुरू टेस्ट में लायन ने 8 विकेट झटके थे। लेकिन उसके बाद वह विकटों के लिए ही तरस गए। लायन को आखिरकार 11 घंटे की बल्लेबाजी और 525 गेंदें खेल चुके पुजारा का विकेट हासिल हुआ। पुजारा को आउट करने के बाद लायन की मुस्कान काफी कुछ बयां कर रही थी। लायन इस टेस्ट में ना तो उछाल प्राप्त कर पाए और ना ही उन्हें टर्न मिला, जो कि उनके मुख्य हथियार हैं। लायन ने 46 ओवरों की गेंदबाजी की और ऑस्ट्रेलिया के हर गेंदबाज से महंगे साबित हुए। लायन ने 163 रन लुटाए।

जॉश हेजलवुड (3/10): जब भारत पहली पारी में बल्लेबाजी कर रहा था, तो हेजलवुड को कई बार झल्लाते हुए देखा गया। हेजलवुड ने गेंदबाजी में अपना सर्वेच्च दिया। उन्होंने रिवर्स स्विंग और सीम के सहारे बेहतरीन गेंदबाजी की। लेकिन वह एक विकेट से ज्यादा हासिल नहीं कर सके। लेकिन करुण नायर को बेहतरीन गेंद पर आउट करने के लिए उन्हें श्रेय देना जरूरी है। करुण नायर को उन्होंने तब आउट किया, जब वह मैदान पर टिकते नजर आ रहे थे और उसी समय हेजलवुड ने नायर का ऑफ स्टंप उड़ा दिया।

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