धर्मशाला टेस्ट के तीसरे दिन जब केएल राहुल और मुरली विजय मैदान पर उतरे तो भारत को जीत साफ दिख रही थी। राहुल ने एक छोर से लगातार चौके जड़े लेकिन विजय दिन की शुरुआत से ही लय में नहीं दिखे। विजय और फिर चेतेश्वर पुजारा के आउट होने के बाद अजिंक्य रहाणे ने मैदान में कदम रखा। कप्तान ने आते ही चौके-छक्कों की बारिश कर दी और टीम इंडिया को जीत की दहलीज पर खड़ा कर दिया। रहाणे ने जीत का शॉट खेलने का मौका राहुल को दिया, 24वें ओवर में स्टीव ओ कीफ की पांचवी गेंद पर तीन रन लेते ही राहुल का अर्धशतक पूरा हुआ और साथ ही भारत ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी अपने नाम की। यह कप्तान विराट कोहली की लगातार सातवीं टेस्ट सीरीज जीत है, जिसके बाद कोहली ने स्टीव वॉ के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। कोहली रिकी पॉन्टिंग के लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीतने के रिकॉर्ड से दो कदम दूर हैं। इस समय टीम इंडिया विश्व की नंबर वन टेस्ट टीम बनी हुई है। भारत सभी टेस्ट खेलने वाली टीमों को हरा चुका है, इससे पहले यह कीर्तिमान केवल ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के नाम था।
अब बात करते हैं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज की। इस सीरीज की शुरुआत में भारत को एकतरफा विजेता माना जा रहा था। भारतीय दिग्गजों ने तो ऑस्ट्रेलिया की 4-0 से हार की भविष्यवाणी भी कर दी थी लेकिन पुणे में खेले गए पहले टेस्ट में मेहमान टीम ने जीत दर्ज कर सभी को गलत साबित किया। हालांकि टीम इंडिया ने दूसरे टेस्ट से जबरदस्त वापसी की और बैंगलौर टेस्ट में जीत दर्ज की। साथ ही रांची टेस्ट में भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहतरीन रहा, ऑस्ट्रेलिया पीटर हैंड्सकॉम्ब और शॉन मार्श की पारी की बदौलत मैच ड्रॉ कराने में कामयाब रही। टीम इंडिया ने बगैर विराट कोहली के धर्मशाला टेस्ट में 8 विकेट से जीत दर्ज की, अब हम इस सीरीज में प्रदर्शन के आधार पर भारतीय खिलाड़ियों को दस में से अंक देंगे। [ये भी पढ़ें: भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया धर्मशाला टेस्ट का पूरा स्कोरकार्ड यहां देखें]
रवींद्र जडेजा (127 रन, औसत 25.40, 25 विकेट , औसत 18.56, 3 कैच): 9.5/10
जडेजा के लिए यह सीरीज बेहद शानदार रही। गेंद के साथ साथ बल्ले के साथ भी उनका प्रदर्शन उम्दा रहा। इस सीरीज में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रांची टेस्ट में दिखा, जहां उन्होंने 25 रन देकर 9 विकेट चटकाए। साथ ही अपनी तेज फील्डिंग की बदौलत एक रन आउट भी अपने खाते में जोड़ा। इसके अलावा जडेजा ने पुणे में 5, बैंगलौर में 8 और धर्मशाला में 4 विकेट जोड़े। जडेजा ने धर्मशाला टेस्ट में अर्धशतक जड़कर अपनी बल्लेबाजी का दम ही दिखाया। जडेजा की 63 रनों की पारी ने जीत में अहम योगदान दिया। इस सीरीज के दौरान जडेजा ने अपने समकक्ष रविचंद्रन अश्विन को पछाड़ कर विश्व के शीर्ष टेस्ट गेंदबाज बन गए।
उमेश यादव (23 रन, औसत 7.67, 17 विकेट, औसत 23.41): 9/10
उमेश यादव इस पूरे सीजन भारत के सबसे फिट गेंदबाज रहे हैं। उन्होंने इस सीरीज में लगातार अच्छी गेंदबाजी की। उमेश के पास गति तो हमेशा से थी लेकिन इस सीरीज में उन्होंने लेंथ पर भी काम किया और आंकड़ों में यह साफ देखा जा सकता है। तेज गेंदबाज होने के नाते उन्होंने बाउंसर का ज्यादातर प्रयोग किया। साथ ही कई बार बल्लेबाज को अतिरिक्त गति से चकमा दिया। यादव ने इस पूरा सीजन में बिना अनफिट हुए सभी मैच खेले और अपना 100 प्रतिशत योगदान दिया।
के एल राहुल (393 रन, औसत 65.50, 2 कैच): 9/10
भारत के सलामी बल्लेबाज के एल राहुल ने भी इस सीरीज में निरंतर अच्छा प्रदर्शन किया है। उनकी सबसे बड़ी कमी ये रही है कि वह अपने अर्धशतक को शतक में नहीं बदल पाए हैं। इस सीरीज में उन्होंने कुल 6 अर्धशतक जड़े है। हालांकि राहुल कई बार टीम के अकेले योद्धा के रूप में सामने आए। उनकी तीन पारियों में उन्होंने 74(भारत 105), 90 नाबाद(भारत 189) और रनों का पीछा करते हुए धर्मशाला में 51 रनों की शानदार पारी।
चेतेश्वर पुजारा (405 रन, औसत 57.85, 4 कैच): 8.5/10
भारतीय टीम की नई दीवार चेतेश्वर पुजारा जिनका मध्यनाम ही डिपेंडेबल बन गया है ने भी इस सीरीज में उम्दा प्रदर्शन किया। रांची टेस्ट में बनाया उनका दोहरा शतक हर किसी के जहन में कैद हो गया है। हालांकि उन्हें राहुल से आधा अंक कम मिला है इसका सिर्फ ये कारण है
कि वह लंबी पारी तो खेलते हैं लेकिन तेज नहीं खेलते। वह इस सीरीज में भारत की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। पुजारा ने फील्डिंग भी काफी बढ़िया की और चार अहम कैच पकड़े। विश्व का ये दूसरा सबसे बेहतरीन टेस्ट बल्लेबाज अगर अपने स्ट्राइक रेट को बढ़ा ले तो पुजारा टेस्ट फॉर्मेट के सबसे खतरनाक खिलाड़ी बन सकते हैं।
रिद्धिमान साहा (174 रन, औसत 34.80, 13 कैच, 1 स्टंप): 8/10
भारतीय टेस्ट टीम में महेंद्र सिंह धोनी की जगह के पूरी करने की कोशिश में साहा कुछ हद तक कामयाब रहे हैं। विकेट के पीछे उनकी तेज और चुस्ती साफ दिखती है। कई बार वह ऐसे हवाई कैच लेते हैं कि दर्शकों के साथ विपक्षी भी देखते रह जाते हैं। इस सीरीज में उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से भी प्रभावित किया है जिसके लिए लंबे समय से उनकी काफी आलोचना हो रही थी। उन्होंने रांची में शतक जड़ा, बैंगलौर और धर्मशाला में अहम पारियां खेली।
रविचंद्रन अश्विन (53 रन, औसत 8.83, 21 विकेट, औसत 27.38, 2 कैच): 7/10
अश्विन के लिए इस सीरीज की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी हालांकि उन्होंने 4 मैचों में 27 विकेट लिए हैं लेकिन उनका प्रदर्शन अब तक इतना बेहतरीन रहा था कि यह उसके सामने साधारण लग रहा है। अश्विन को यह भी पता था कि जडेजा ने इस सीरीज में उन्हें पीछे छोड़ दिया है
इसके बावजूद वह बराबर उनका साथ देते रहे। अश्विन के अंक यहा इसलिए कटे हैं क्योंकि बल्ले के साथ वह फ्लॉप रहे हैं। अब तक खेली हर सीरीज में उन्होंने गेंद और बल्ले दोनो से अच्छा प्रदर्शन किया है।
अजिंक्य रहाणे (198 रन, औसत 33, 4 कैच): 6/10
धर्मशाला टेस्ट में भारत के कप्तान रहे अजिंक्य रहाणे इस सीरीज में उतार चढ़ाव से गुजरते रहे हैं। बैंगलौर में शानदार अर्धशतक जड़ने के बाद उनके नाम कोई और बड़ी पारी नहीं रही। हालांकि विराट कोहली की जगह लेने पर उन्होंने कप्तानी की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। गेंदबाजी में सही बदलाव करने के साथ साथ स्लिप पर उन्होंने उम्दा फील्डिंग भी की। उन्होंने कुलदीप यादव का सही इस्तेमाल किया और चार अहम ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा।
कुलदीप यादव (7 रन, औसत 7, 4 विकेट, औसत 22.75, 1 कैच): 5.5/10
इस सीरीज के आखिरी टेस्ट मैच से टेस्ट क्रिकेट में कदम रख रहे कुलदीप यादव ने धर्मशाला मैचके पहले दिन ही तहलका मचा दिया। बाएं हाथ के चाइनामैन गेंदबाज ने मेहमान टीम के बल्लेबाजों को अपनी अलग अलग गेंदो से चौंकाया। कुलदीप की गुगली को पढ़ना ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाजों के बस से बाहर था। केवल कप्तान स्टीवन स्मिथ और मैथ्यू वेड इसमें कामयाब रहे। इसके साथ ही कानपुर के इस युवा गेंदबाज ने सालों पुराने चाइनामैन गेंदबाजी के तरीके को एक बार फिर भारतीय क्रिकेट का हिस्सा बनाया।
भुवनेश्वर कुमार (0 रन, औसत 0, 2 विकेट, औसत 34): 4/10
कुलदीप की तरह रही भुवनेश्वर कुमार को भी धर्मशाला टेस्ट के लिए ही टीम में जगह दी गई। उनकें अंक भी इस एक मैच के आधार पर ही होंगे। हालांकि दूसरी पारी में स्मिथ को बोल्ड करने के लिए उन्हें चार अंक मिलना तो बनता है। उमेश के साथ मिलकर उन्हें शुरुआती
ओवरों में बाउंसर्स से ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाजों को परेशान किया।
मुरली विजय (113 रन, औसत 22.60, 6 कैच): 3/10
राहुल के जोड़ीदार मुरली विजय के अंक उनसे काफी कम होने का कई कारण हैं। वह पूरी सीरीज में लय में नहीं दिखे। वह पारी की शुरुआत सही कर रहे थे लेकिन फिर अपना विकेट गेंदबाज को तोहफे में दे देते थे। उन्होंने कुल 113 रन बनाए और छह कैच पकड़े। उनकी बढ़िया
फील्डिंग के लिए उन्हें अतिरिक्त अंक मिले हैं।
विराट कोहली (46 रन, औसत 9.20, 3 कैच): 2/10
विराट कोहली ने इस सीरीज को जीतकर बतौर कप्तान कई रिकॉर्ड बनाए लेकि एक बल्लेबाज के रूप में वह फेल रहे। कोहली ने पूरी सीरीज में केवल 46 रन बनाए। वहीं तीसरे टेस्ट में कंधे में चोट लगने के बाद वह सीरीज से बाहर हो गए। कोहली ने पूरी सीरीज में शानदार फील्डिंग की है।
इशांत शर्मा (8 रन, औसत 2.67, 3 विकेट, औसत 69.67, 1 कैच): 1.5/10
भारतीय तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने गेंदबाजी तो सही की लेकिन इस बार भी उन्हें खाली हाथ रहना पड़ा। हालांकि इशांत को उनके
उस चेहरे के लिए अंक जरूर मिलेंगे जो उन्होंने स्मिथ के सामने बनाया था।
करुण नायर (3.50, 3 कैच): 0.5/10
नायर का प्रशंसक होने के नाते मेरे पहले शब्द यही होंगे कि उन्होंने उम्मीद से कहीं कम प्रदर्शन किया। ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजों के सामने उनकी कमजोरियां साफ हो गई।
अभिनव मुकुंद (16 रन, औसत 8): 0.5/10
अभिवन मुकुंद की कमियां ढूंढना काफी आसान है लेकिन इतने सालों बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी कर विश्वस्तरीय गेंदबाजों का सामना करना आसान नहीं। उन्हें अगले मौके के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा साथ ही अपनी तकनीकि पर भी काम करना पड़ेगा।
जयंत यादव (7 रन, औसत 3.50, 2 विकेट, औसत 50.50): 0.5/10
जयंत को इस सीरीज में केवल एक ही टेस्ट खेलने का मौका मिला। पुणे टेस्ट में उन्होंने दो विकेट जरूर लिए लेकिन वह बल्लेबाजों की गलती हे जाएंगे। जयंत को अभी लंबा सफर तय करना है और उनमें प्रतिभा है टीम में अपनी पक्की जगह बनाने की।
अंत में हम श्रेयस अय्यर का जिक्र करना चाहेंगे जिन्हें कोहली की जगह धर्मशाला टेस्ट के लिए टीम में जगह दी गई लेकिन खेलने का मौका नहीं मिला। हालांकि उन्होंने मुरली विजय की जगह फील्डिंग करते हुए स्टीव ओ कीफ को रन आउट कर सबका ध्यान आकर्षित किया।
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