पुणे टेस्ट में टीम इंडिया को 333 रनों के विशाल अंतर से हार का सामना करना पड़ा। ये मैच टीम इंडिया तीन दिन में ही हार गई। मैच के बाद हार का सबसे बड़ा कारण पिच को ठहराया गया। क्योंकि इसमें असमान उछाल था और गेंदबाज लगातार बल्लेबाजों को छका रहे थे। खामियाजन टीम इंडिया पहली पारी में 105 और दूसरी पारी में 107 रन बनाकर आउट हो गई और स्वतः ऑस्ट्रेलियाको अपनी पीठ दिखा दी। लेकिन क्या सिर्फ पिच के खराब होने के कारण टीम इंडिया हारी? ये बात इसलिए गलत साबित होती है क्योंकि साल 2015 में जब दक्षिण अफ्रीका ने भारत का दौरा किया था तब भी मोहाली, नागपुर और दिल्ली की पिचों के मिजाज ऐसे ही थे। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि टीम इंडिया ने तब इन तीनों टेस्ट मैचों में 108, 124 और 337 रनों से विशाल जीत दर्ज की। और अब जबकि टीम इंडिया जीत के रथ पर सवार थी ऑस्ट्रेलिया ने एक झटके में उसकी बल्लेबाजी और रणनीति को खाक में मिला दिया? उसके कुछ कारण जो हम आपको बारी- बारी से बताएंगे। उसके अलावा बैंगलुरू टेस्ट में टीम इंडिया किस रणनीति के साथ उतरना चाहेगी उसपर भी प्रकाश डालेंगे।
टॉस दोनों सीरीजों में साबित हुआ मुख्य फैक्टर: पहला कारण रहा टॉस जीतना। स्पिन टर्नर पिचों में टॉस जीतना अहम होता है। क्योंकि जैसे- जैसे दिन गुजरते जाते हैं पिच का मिजाज बदलता जाता है। जाहिर है कि अगर टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में अच्छा स्कोर बना लिया तो उसका पलड़ा पूरे मैच में भारी रहता है। यही बात पुणे टेस्ट में देखने को मिली। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2015 सीरीज के तीनों टेस्ट मैचों में टीम इंडिया ने टॉस जीते थे और पहली पारी की बढ़त के आधार पर ही दक्षिण अफ्रीका को घुटने टेंकने पर मजबूर किया था। दूसरी बात है कि ये पिचें स्पिनरों के लिए जन्नत बन जाती हैं। इसके लिए ये जरूरी नहीं है कि गेंदों को घुमाने की महारत रखने वाला स्पिनर ही इन मैदानों पर कहर बरपाएगा बल्कि ऐसा स्पिनर जो औसत दर्जे की गेंदबाजी करना जानता हो वह भी अपनी अच्छी लाइन और लेंथ के साथ विपक्षी बल्लेबाजों की बखिया उधेड़ सकता है। यही चीज पुणे टेस्ट में देखने को मिली जब स्टीव ओ’ कीफ ने गेंद को सीधी लाइन में रखा और बल्लेबाजों की छोटी- छोटी गलतियों को भुनाते हुए उन्हें करीबी फील्डरों से कैच आउट कराया। इस तरह उन्होंने मैच में 12 विकेट ले डाले। ये भी पढ़ें: टीम इंडिया को हराने में इस भारतीय ने दिया ऑस्ट्रेलिया का साथ
पूरी तैयारी से आई है ऑस्ट्रेलिया टीम: इसके अलावा एक और बात है जो ऑस्ट्रेलिया को दक्षिण अफ्रीका से अलग खड़ा करती है। वह दक्षिण अफ्रीका के इतर भारत पूरी तैयारी के साथ आए हैं। उन्होंने दुबई में प्रेक्टिश सेशन में घंटो बिताए और इस दौरान गेंद की लाइन को लेकर उन्होंने खासी मेहनत की। उन्होंने इस बात पर भी ध्यान दिया कि जब गेंद ज्यादा टर्न हो तो उसका पीछा नहीं करना है और बीट होने के बाद अपने दिमाग पर जोर नहीं डालना है बल्कि एक सहजता वाली क्रिकेट खेलनी है। इसका असर पुणे टेस्ट के दौरान दिखाई दिया। उन्होंने स्पिनर के खिलाफ पहले पैर को ज्यादा बाहर नहीं निकाला और ज्यादा से ज्यादा सीधे बैट से गेंदों को खेलने की कोशिश की ताकि वे पगबाधा आउट न हों।
टीम इंडिया की गैर- जिम्मेदारी पड़ी भारी: वहीं टीम इंडिया की रणनीति में भारी खामियां नजर आईं। उनके स्पिनर परंपरागत स्पिनरों की लेंथ पर ही गेंद डालते नजर आए और ऑस्ट्रेलियाई स्पिनरों जितना पिच का फायदा नहीं उठा पाए। वहीं बल्लेबाजों ने दूसरी पारी में तो कोई जिम्मेदारी नहीं दिखाई और खराब स्ट्रोक खेलते हुए आउट हुए। विराट कोहली ने भी भारतीय टीम की खराब बल्लेबाजी की ओर इशारा किया था और कहा था, “मुझे नहीं लगता कि जिस तरह कि घूमती हुई पिचों में हमने पूर्व में क्रिकेट खेली है यह पिच अलग थी। हमने अच्छी क्रिकेट नहीं खेली। पिछले दिनों हमने अच्छी क्रिकेट खेली थी। इसलिए हम जीते थे। इस बार हमने खराब क्रिकेट खेली इसलिए हम हारे। हम इससे सिर्फ सीख लेना चाहते हैं और सुधार करते हुए अगले मैच में मजबूती के साथ लौटना चाहेंगे। मैं आपको इस बात के लिए विश्वास दिलाता हूं कि हम अच्छे खेल के साथ वापसी करेंगे और ऑस्ट्रेलिया पर पहली गेंद से ही दबाव डालेंगे।”
क्या सीख लेते हुए बैंगलुरू टेस्ट में उतरेगी टीम इंडिया: कोहली ने बैंगलुरू टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया पर पहली गेंद से दबाव डालने की बात तो कह दी। लेकिन इस बात को वह कैसे क्रियान्वित करेंगे। क्या कोहली अंतिम एकादश में इस बार कोई बदलाव करेंगे? पुणे टेस्ट में जयंत यादव पूरे तरह से फीके रहे थे। चूंकि, उनका बैट से प्रदर्शन पिछले कुछ टेस्ट में ठीक रहा था। यही कारण था कि उन्हें लगातार मौके दिए जा रहे थे। लेकिन पहले टेस्ट में वो बात भी सही नहीं गई और अब उनके अंतिम एकादश में बने रहने पर सवाल तल्ख हो गए हैं। लेकिन उनकी जगह कौन लेगा? जाहिर है कि टीम इंडिया बैंगलुरू टेस्ट में भी 3 स्पिनरों के साथ उतरेगी। ऐसे में कुलदीप यादव को मौका दिया जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। कुलदीप एक अच्छे गेंदबाज हैं और स्पिन ट्रेक पर तो वह बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। वहीं एक और परिवर्तन ईशांत शर्मा को लेकर भी मुंह बाए खड़ा है। ईशांत को पुणे टेस्ट में एक भी विकेट नहीं मिला और अब उनकी दूसरे टेस्ट से छुट्टी तय है। उनकी जगह भुवनेश्वर कुमार ले सकते हैं।
भुवी ने कोलकाता टेस्ट की एक पारी में न्यूजीलैंड के खिलाफ पांच विकेट लिए थे। वहीं अगर बैंगलुरू में भी पुणे जैसा हाल रहा तो वह अपनी स्विंग से बल्लेबाजों को परेशानी में डाल सकते हैं। वहीं विराट कोहली अपने बल्लेबाजों को सलाह देना चाहेंगे कि वे बाहर जाती हुई व बाउंसर गेंदों से छेड़खानी बिल्कुल न करें। क्योंकि खुद विराट कोहली पुणे टेस्ट की पहली पारी में मिचेल स्टार्क की बाहर जाती गेंद पर बल्ला अड़ा बैठे थे और विकेट गंवा दिया था। वहीं कई भारतीय बल्लेबाज पहले टेस्ट में पगबाधा(LBW)आउट हुए हैं। ऐसे में टीम इंडिया के खिलाड़ियों को ऑस्ट्रेलिया की रणनीति अपनानी चाहिए और गेंदों को ज्यादा से ज्यादा बैट पर लेने की कोशिश करनी चाहिए। तभी बात बनेगी।
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