जनवरी 2016 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेली जा रही पांच वनडे की सीरीज में भारत 4-0 से हार चुका था। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 23 जनवरी को होने वाले आखिरी वनडे में भारत की ओर से एक युवा तेज गेंदबाज को टीम में जगह दी गई। सीरीज हम हार चुके थे लेकिन ये एक मैच जीतकर भारत को क्लीन स्वीप के खतरे से बचना था। भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी का फैसला किया। अब तक खेले गए तीन में से चार मैचों में भारत पहले बल्लेबाजी करते हुआ हारा था इसलिए धोनी का यह फैसला स्वाभाविक था। मैच शुरू हुआ, मैदान पर उतरे सलामी बल्लेबाज ऐरन फिंच और डेविड वॉर्नर। इस सीरीज में दोनों ही बल्लेबाज बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे थे और किसी भी मैच में भारत शुरूआती विकेट नहीं निकाल सका था, यही भारत की हार के कारणों में से एक था। धोनी ने पहले ओवर की जिम्मेदारी दी तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा को और पहले ही ओवर में फिंच एलबीडबल्यू आउट हो गए। भारत को पहली सफलता आसानी से मिली लेकिन इसकी ज्यादा खुशी मनाने का मौका भारतीय टीम को नहीं मिला क्योंकि अगले बल्लेबाज क्रीज पर आए ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ। स्मिथ शानदार फॉर्म में थे और वॉर्नर के साथ मिलकर वह भारत के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते थे। ये भी पढ़ें: भारत बनाम इंग्लैंड: चौथे टेस्ट में खेलेंगे पार्थिव पटेल
दूसरे छोर से ओवर डालने के लिए एमएस ने डेब्यू कर रहे युवा गेंदबाज को चुना, ये फैसला हैरान था लेकिन धोनी के लिए कोई नई बात नहीं थी। स्मिथ और वॉर्नर ने मिलकर दस ओवर में 50 रन बोर्ड पर लगा दिए। तभी 12वें ओवर की आखिरी गेंद पर स्मिथ एक बेवकूफी भरा शॉट खेल बैठे। छोटी गेंद पढ़ने में उनसे गलती हुई लेकिन रोहित शर्मा ने कैच लेने में कोई गलती नहीं की। इसी के साथ भारत को मिली दूसरी सफलता और जसप्रीत बुमराह ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर का पहला विकेट लिया। बस इसके बाद से भारत के इस यॉर्कर किंग ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वनडे और टी20 में भारत के सबसे भरोसे गेंदबाज जल्द ही टेस्ट क्रिकेट में कदम रखने जा रहे हैं। बुमराह के 24वें जन्मदिन से दो दिन पहले बीसीसीआई ने दक्षिण अफ्रीका जाने वाली टेस्ट टीम में बुमराह को शामिल किया। आज हम आपको इस युवा गेंदबाज के बारें में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो शायद आपको नही बता होंगी।
1- बुमराह ने भारतीय टीम में भले ही 2016 में खेला हो लेकिन वह 2013 से ही आईपीएल में खेल रहे हैं। 20 वर्ष की उम्र में जब बुमराह ने अपना पहला आईपीएल मैच खेला था उससे पहले वह किसी भी प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट का हिस्सा नहीं बने थे। बुमराह 2013 से लेकर अब तक मुंबई इंडियंस की ओर से ही आईपीएल खेल रहे हैं। रॉयल चैलैंजर बैगलौर के खिलाफ अपने पहले मैच में उन्होंने 32 रन देकर तीन विकेट लिए थे। इसी के साथ वह अपने आईपीएल डेब्यू मैच में तीन विकेट चटकाने वाले दूसरे गेंदबाज बन गए।
2- मुंबई इंडियंस टीम में खेलने से बुमराह को काफी कुछ सीखने को मिला। अगर आप बुमराह की बेहतरीन यार्कर को देंखेगे तो आपको जरूर श्रीलंकाई गेंदबाज लसिथ मलिंगा की याद आएगी और ये स्वाभाविक हैं क्योंकि मुंबई इंडियंस में खेलते हुए बुमराह ने मलिंगा से ही गेंदबाजी के गुर सीखे। बुमराह ने मलिंगा के तकनीकि को अपने अलग एक्शन में ढाल कर उसे और ज्यादा असरदार बनाया है। मलिंगा के अलावा बुमराह भारतीय गेंदबाज ज़हीर खान को अपना आदर्श मानते हैं।
3-जसप्रीत बुमराह भले गुजरात के अहमदाबाद में पले बढ़े हो लेकिन वह एक पंजाबी सिख परिवार से हैं और उनका पूरा नाम है जसप्रीत जसबीर सिंह बुमराह। बुमराह जब केवल सात वर्ष के थे तब उनके पिता जसबीर सिंह का देहांत हो गया था। बुमराह अपनी मां दलजीत सिंह के काफी करीब है। बुमराह बचपन में पढ़ाई में काफी कमजोर थे क्योंकि वह सारा ध्यान क्रिकेट पर ही लगाते और उनकी माता ने इसमें उनका पूरा साथ दिया।
4-आईपीएल में डेब्यू करने के बाद बुमराह ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में गुजरात टीम की तरफ से अपना पहला मैच खेला। 2013-14 में विदर्भ के खिलाफ अपने पहले ही मैच में बुमराह ने सात विकेट लेकर इतिहास रच दिया। बुमराह के नाम एक साल में सबसे ज्यादा टी20 विकेट लेने का रिकॉर्ड है वह भी अपने डेब्यू साल में ही।
5-बुमराह को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चोटिल भुवनेश्वर कुमार की जगह टीम में शामिल किया गया था लेकिन उन्हें केवल एक ही वनडे मैच खेलने का मौका मिला। वहीं इसी दौरे पर टी20 सीरीज के लिए तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के चोटिल होने पर उन्हें टी20 डेब्यू का मौका मिला जिसे बुमराह ने पूरी तरह भुनाया और इस सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बनें।
6-जसप्रीत बुमराह युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं क्योंकि न तो वह सिगरेट पीते हैं और न ही शराब। उनका मानना है कि यह सब आपकी सेहत के साथ आपके भविष्य के लिए भी हानिकारक है।
7-क्या आप जानते हैं कि वह कौन था जिसने इस युवा गेंदबाज की प्रतिभा को पहली बार परखा था, वह थे मुंबई इंडियंस के कोच जॉन राइट। राइट ने पहली बार बुमराह को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में खेलते देखा था और उन्हें अपनी टीम के लिए चुना था।