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जब वीरेंद्र सहवाग की चोट विराट कोहली के लिए साबित हुई वरदान

विराट कोहली समेत इन क्रिकेटरों ने अपने पहले मौके को जमकर भुनाया।

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हिंदी में एक कहावत है कि भाग्य सिर्फ वीरों का साथ देता है। अगर इस कहावत को क्रिकेट के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यह काफी हद तक फिट बैठती है। कालांतर में क्रिकेट में ऐसे कई मौके आए हैं जब नए क्रिकेटरों के लिए टीम के बड़े क्रिकेटरों की चोट वरदान साबित हुई और आगे के सालों में उन्होंने उस मौके को भुनाते हुए क्रिकेट की पृष्ठभूमि पर खूब नाम कमाया। आज हम ऐसे ही कुछ क्रिकेटरों के किस्से आपके साथ साझा कर रहे हैं।

1. विराट कोहली: भारतीय अंडर- 19 टीम को विश्व कप जितवाने के एक साल बाद विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ एक द्विपक्षीय श्रृंखला के दांबुला में खेले गए मैच में वनडे डेब्यू किया था। हालांकि, वह पहले मैच में खेलने वाले नहीं थे। लेकिन दांबुला मैच के एक दिन पहले फॉर्म में चल रहे ओपनिंग बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग चोटिल हो गए और इस तरह विराट कोहली के डेब्यू करने के दरवाजे खुल गए। उन्होंने इस टूर्नामेंट में गौतम गंभीर के साथ सभी पांच मैचों में बतौर ओपनर बल्लेबाजी की शुरुआत की।

इस सीरीज में वह भारत की ओर से एमएस धोनी के बाद दूसरे सबसे ज्यादा रन( 5 मैचों में 159 रन) बनाने वाले बल्लेबाज रहे। कोहली ने इस टूर्नामेंट में एकमात्र अर्धशतक जड़ा था। लेकिन अगली कुछ सीरीजों में कुछ खास ना कर पाने के कारण उन्हें टीम इंडिया से फिर से निकाल दिया गया। लेकिन 2009 में उन्हें एक बार फिर से गौतम गंभीर के चोटिल होने की वजह से मौका मिला और यहां से उन्हें फिर कोई नहीं रोक पाया। ये भी पढ़ें: भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया पहले टेस्ट का पूरा स्कोरकार्ड

2. राहुल द्रविड़: संजय मांजरेकर ने लगातार 37 टेस्ट बिना किसी चोट के खेले। लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ साल 1996 में दूसरे टेस्ट मैच के पहले मांजरेकर अपना घुटना चोटिल कर बैठे। मांजरेकर की चोट की वजह से उस समय नए नवेले टीम इंडिया में आए राहुल द्रविड़ को मौका मिल गया और द्रविड़ ने लॉर्डस की पिच में नंबर सात पर बल्लेबाजी करते हुए 95 रन बना दिए। हालांकि वह अपने डेब्यू पर शतक नहीं बना सके और इस तरह सौरव गांगुली की बराबरी पर खड़े नहीं हो पाए। लेकिन मांजरेकर की चोट ने राहुल को हीरो जरूर बना दिया और तब से राहुल टीम इंडिया के नियमित खिलाड़ी बन गए।

3. चेतेश्वर पुजारा: साल 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली टेस्ट मैच में मैच जिताई पारी खेलने वाले वीवीएस लक्ष्मण चोटिल हो गए। इसलिए उन्हें दूसरा टेस्ट मैच मिस करना पड़ा। अब इस टेस्ट मैच में वीवीएस की जगह चेतेश्वर पुजारा को टीम में शामिल किया गया। पुजारा ने इस मौके को दोनों हाथों से टटोल लिया और चौथी पारी में उन्होंने 89 गेंदों में 72 रन ठोकते हुए टीम इंडिया व धोनी का दिल जीत लिया। तब से ही पुजारा की टीम इंडिया में जगह पक्की हो गई। अब पुजारा टेस्ट क्रिकेट में भारतीय बल्लेबाजी के धुर हैं।

4. माइकल हसी: अपार प्रतिभा और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में रनों का अंबार लगाने वाले ऑस्ट्रेलिया के माइकल हसी को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू करने के करीब 11 साल बाद साल 2005 में ऑस्ट्रेलिया की ओर से खेलने का मौका मिला। साल 2005 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच के पहले जस्टिन लैंगर चोटिल हो गए थे। उन्हीं की जगह हसी को खिलाया गया। हसी ने अपने दूसरे टेस्ट मैच में ही 137 रन बनाकर अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी का सुबूत पेश कर दिया और अगले 7 सालों के लिए वह ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की धुरी बन गए।

5. क्रिस गेल: अन्य बल्लेबाजों की तरह क्रिस गेल के लिए शुरू से आईपीएल टूर्नामेंट बहुत अच्छा नहीं रहा। साल 2010 तक वह केकेआर की ओर से खेले और टूर्नामेंट में पूरी तरह से फ्लॉप रहे। साल 2011 में उन्होंने केकेआर को छोड़ दिया और बैंगलुरू टीम से जुड़े। उनके प्रदर्शन को देखते हुए बहुत कम लोगों को उनकी बल्लेबाजी पर विश्वास था। लेकिन इसी बीच एक मैच में जब आरसीबी का तेज गेंदबाज डिर्क नेनस घायल हो गया तो क्रिस गेल को मौका दिया गया। इसके बाद गेल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और सीजन में 600 रन बटोरे। गेल का यह आईपीएल में नया रूप था जिसे देखकर सब हैरान थे।

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