क्रिकेट के इतिहास में कई रोमांचक और कड़े मुकाबले हुए हैं और होते रहेगे। वहीं टी20 फॉर्मेट के आने के बाद से यह रोमांच कई गुना बढ़ गया है। लेकिन अगर हम एक ऐसे मैच की बात करें जिसने करोड़ों लोगों के दिल की धड़कनों को रोक दिया तो एक ही मैच याद आता है। आज के दिन पिछले साल आईसीसी विश्वकप टी20 में भारत ने बांग्लादेश को मात्र एक रन से हराया था। बैंगलौर के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए इस मैच ने दोनों टीमों के प्रशसंकों के रोंगटे खड़े कर दिए थे। आज हम आपकों इस बेहतरीन मैच से एक बार फिर रूबरू कराएंगे।
आईसीसी टूर्नामेंट में भारत का यह तीसरा मुकाबला था। टीम इंडिया न्यूजीलैंड के साथ खेले अपने पहले मैच में हार गई थी लेकिन चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के साथ दूसरे मैच में भारत ने जीत दर्ज की थी। तीसरे मैच में भारतीय टीम का सामना बांग्लादेश टीम से हुआ। टॉस जीतकर कप्तान मशरफे मुर्तजा ने पहले गेंदबाजी करने का चयन किया। भारतीय बल्लेबाजी क्रम पूरी तरह फ्लॉप रहा। रोहित शर्मा और शिखर धवन दोनो ही सलामी बल्लेबाज 45 के स्कोर पर पवेलियन लौट गए। इसके बाद विराट कोहली भी 24 रन बनाकर शगुफ्ता होम की गेंद पर बोल्ड हो गए। सुरेश रैना अकेले ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने 30 का आंकड़ा पार किया। वहीं कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 13 रन बनाकर नाबाद लौटे। टीम इंडिया ने कुल 146 रन का स्कोर बनाया। बांग्लादेश को इस छोटे स्कोर के सामने अपनी जीत साफ दिखाई देने लगी लेकिन अभी उन्हें भारत की घातक गेंदबाजी का सामना करना बाकी था। [ये भी पढ़ें: इतिहास के पन्नों से: जब 414 रन बनाकर भी केवल तीन रन से जीती थी टीम इंडिया]
रविचंद्रन अश्विन ने भारत को पहली सफलता दिलाई और मोहम्मद मिथुन को 1 रन पर पवेलियन वापस भेजा। इसके बाद 55 के स्कोर पर रवींद्र जडेजा ने तमीम इकबाल(35) को स्टंप आउट कर बांग्लादेश को दूसरा झटका दिया। हालांकि यहां से बांग्लादेश को अच्छी शुरुआत मिल चुकी थी। इसके बाद अश्विन ने ने जडेजा के साथ मिलकर 126 रन के स्कोर तक बांग्लादेश के कुल छह विकेट गिरा दिए। इसके बाद मुश्फिकुर रहीम ने बिना और कोई विकेट खोए स्कोर को 140 के पार पहुंचा दिया। मैच आखिरी ओवर तक पहुंच गया, बांग्लादेश को छह गेंदों में 11 रन की जरूरत थी और क्रीज पर रहीम टिक हुए थे। भारतीय फैंस ने जीत की सारी उम्मीद छोड़ दी थी और पूरा स्टेडियम बांग्लादेशी प्रशंसकों के शोर से गूंज उठा।
सभी के मन में यह सवाल था कि आखिरी ओवर किस गेंदबाज को देंगे। कैप्टन कूल ने एक बार फिर सबको चौंकाते हुए गेंद मैच में सबसे फ्लॉप रहे गेंदबाज हार्दिक पांड्या को थमाई। निर्णायक ओवर डालने से पहले धोनी ने सीनियर खिलाड़ी आशीष नेहरा, रोहित शर्मा और पांड्या के साथ काफी देर तक बातचीत की। जिसके बाद धोनी ने फील्डिंग में कई बदलाव किए, शिखर को स्वीपर कवर से हटाकर जडेजा को वहां पर लगा दिया। हार्दिक ने ओवर की पहली गेंद डाली और महमदुल्लाह ने एक रन लेकर स्ट्राइक रहीम को दी। रहीम ने अगली गेंद पर चौका जड़ दिया और जीत का जश्न भी मनाने लगे। इसके बाद नेहरा और धोनी एक बार फिर पांड्या के पास आए और उन्हें कुछ समझाने लगे। और अगली ही गेंद पर रहीम ने एक और चौका जड़ दिया। भारतीय टीम की जीत की उम्मीद आखिरी सांसे ले रही थी कि ओवर की तीसरी गेंद पर छक्का लगाने के चक्कर में रहीम शिखर धवन के हाथों कैच आउट हो गए। [ये भी पढ़ें: इतिहास के पन्नों से: जब 111 रन पर छह विकेट खोने के बाद भी 10 रन से जीत गया था भारत]
बांग्लादेश को जीत के लिए तीन गेंदों में तीन रन चाहिए थे, जीत अब भी भारत से कोसों दूर थी। चौथी गेंद के लिए स्ट्राइक पर आए महमदुल्लाह भी बड़ा शॉट खेलने के चक्कर कैच आउट हुए और उनका कैच लिया रवींद्र जडेजा ने, याद दिला दें कि धोनी ने इस ओवर से पहले जडेजा को कवर से हटाकर डीप मिड विकेट खड़ा किया था। आखिरी गेंद पर दो रनों की जरूरत थी और धोनी ने रन आउट के लिए अपने दस्ताने पहले ही निकाल दिए थे। जैसे ही शगुफ्ता होम रन लेने के लिए दौड़े धोनी ने बिजली की तेजी से गेंद विकेट पर लगा दी और भारत ने यह रोमांचक मैच एक रन से जीत लिया। इस मैच जो बात सबसे बढ़िया था वह थे कप्तान धोनी। आखिरी ओवर में जब दोनों ही टीम के खिलाड़ी और साथ में दर्शक भी परेशान थे लेकिन धोनी अपने कूल अंदाज में थे और ऐसे माहौल में भी उन्होंने सही फैसले लिए जिस वजह से भारत जीता। हालांकि धोनी वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ चुके हैं और टेस्ट में उन्होंने पहले ही संन्यास ले लिया है लेकिन मेरा मानना है कि अगर वह कप्तान होते तो मौजूदा भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज की कहानी कुछ और ही होती।
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