कटक में खेले गए भारत बनाम इंग्लैंड दूसरे वनडे में भारत की जीत के अलावा कई बातें गौर करने लायक थी। युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी की 256 रनों की साझेदारी की मदद से भारत ने 381 जैसा बड़ा स्कोर खड़ा किया लेकिन इसके बावजूद भी टीम को जीत के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। यह पहला मौका नहीं था जब स्कोरकार्ड पर बड़ा टोटल लगाने के बाद भी भारतीय टीम को आखिरी ओवर तक जीत के लिए मुश्किल उठानी पड़ी हो। इससे पहले एक बार और ऐसा वाकया हुआ जब 400 से ज्यादा का स्कोर बनाने के बाद भी टीम इंडिया को केवल तीन रन से जीत हासिल हुई थी। ये भी पढ़ें:कटक वनडे में टीम इंडिया का रिपोर्ट कार्ड
साल 2009 मे श्रीलंका के भारत दौरे पर पांच मैचों की वनडे सीरीज खेली गई थी। इस सीरीज का पहला मैच राजकोट के माधवराव सिंधिया क्रिकेट ग्राउंड में खेला जाना है। 15 दिसंबर को खेले गए इस मैच में भारत की कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी कर रहे थे वहीं श्रीलंका का नेतृत्व कर रहे थे कुमार संगाकारा। श्रीलंका ने टॉस जीतर भारत को पहले बल्लेबाजी का मौका दिया। भारत की ओर से पारी की शुरुआत करने उतरी टीम इंडिया की सबसे बेहतरीन सलामी जोड़ी वीरेंद्र सहवाग–सचिन तेंदुलकर। दोनों बल्लेबाजों ने भारत को एक मजबूत शुरुआत दिलाई। सहवाग जहां अपने चिरपरिचित विस्फोटक अंदाज में बल्लेबाजी कर रहे थे। वहीं मास्टर ब्लॉस्टर भी लंकाई गेंदबाजों की धुलाई कर रहे थे। सहवाग ने तेजी से अपना अर्धशतक पूरा किया और जल्द ही शतक तक पहुंच गए। उन्होंने 102 गेंदों पर ताबड़तोड़ 146 रन बना लिए। वहीं सचिन भी पीछे नहीं रहे, उन्होंने 63 गेदों पर 69 रनों की पारी खेली। 150 से ज्यादा को स्कोर हो गया था लेकिन श्रीलंका को एक भी सफलता नहीं मिल पाई थी। मेहमान टीम को पहली सफलता दिलाई दिलहारा फरनाडो ने। उन्होंने 20वें ओवर की चौथी गेंद पर सचिन को बैक ऑफ लेंथ गेंद पर बोल्ड किया। इसके बाद मैदान पर आए कप्तान धोनी और एक बार फिर श्रीलंका की परेशानिया बढ़ गई। धोनी ने 135 के धमाकेदार स्ट्राइक रेट से 53 गेदों मे 72 रन बनाए। इस पारी में उन्होंने तीन छक्के और सात चौके भी लगाए। सहवाग ने धोनी के साथ मिलकर टीम का स्कोर 300 के पार पहुंचाया। 300 का आंकड़ा पार करते ही भारत ने सहवाग और धोनी के अहम विकेट खो दिए। सहवाग चनक वेलगेदरा की गेंद पर तिलकरत्ने दिलशान को कैच थमा बैठे, वहीं धोनी भी फरनाडो की गेंद पर एंजलो मेथ्यूज के हाथों कैच आउट हो गए। इसके बाद कोई बल्लेबाज बड़ी पारी नहीं खेल सका। लेकिन रवींद्र जडेजा ने अंतिम ओवरों में 17 गेंदो पर 30 रन की जबरदस्त पारी खेलकर भारत का स्कोर 400 के पार पहुंचाया। भारतीय टीम ने 50 ओवर में सात विकेट के नुकसान पर 414 रन बोर्ड पर लगा दिए थे। मेजबान टीम को जीत यहां से आसान लग रही थी लेकिन अब भी बहुत कुछ होना बाकी था। ये भी पढ़ें:भारत बनाम इंग्लैंड कटक वनडे की हाईलाइट्स
रनों का पीछा करने उतरी श्रीलंका टीम जीत के इरादे से मैदान पर आई थी। सलामी बल्लेबाज उपल थरंगा और दिलशान अपनी टीम को वहीं शुरुआत दिलाई जो सहवाग-सचिन ने भारत तो दिलाई थी। दोनों ने तेज अर्धशतक बनाए और फिर शतक की ओर बढ़े। श्रीलंका का पहला विकेट गिरा 188 के स्कोर पर, जब 67 रन पर खेल रहे थरंगा सुरेश रैना की गेंद पर आगे आकर खेलना चाहते थे लेकिन चकमा खा गए और धोनी ने बिजली की तेजी से उनकी गिल्लियां उड़ा दी। इसके बाद भी श्रीलंका के रनों की रफ्तार नहीं रुकी। 8.22 की रन रेट से मेहमान टीम लगातार लक्ष्य की ओर बढ़ रही थी। इसी बीच दिलशान ने अपना शतक पूरा किया। उन्होंने 124 गेंदों पर तीन छक्कों और 20 चौकों की मदद से 160 रन बनाए। ये भी पढ़ें:वनडे में सबसे ज्यादा छक्के जड़ने वाले 10 बल्लेबाज
वहीं पहला विकेट गिरने के बाद क्रीज पर आए कप्तान संगाकारा भी शांत बैठने वाले नहीं थे। थरंगा और संगाकारा ने मिलकर टीम का स्कोर 300 के पार पहुंचाया। वहीं भारतीय गेंदबाज लगातार विकेट लेने की कोशिश कर रहे थे लेकिन किसी को भी सफलता नहीं मिल रही थी। हरभजन सिंह, आशीष नेहरा और जहीर खान जैसे गेंदबाज भी रन लुटा रहे थे। भारत को दूसरी सफलता प्रवीण कुमार ने संगाकारा को रवींद्र जडेजा के हाथों कैच आउट कर दिलाई। संगाकारा 90 रन पर आउट होकर शतक से चूक गए लेकिन दिलशान रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। 38वें ओवर में नए बल्लेबाज सनत जयसूर्या भी केवल पांच रन बनाकर पवेलियन लौट गए। 339 के स्कोर पर आखिरकार हरभजन सिंह दिलशान को आउट करने में कामयाब हो गए। इसके बाद भी श्रीलंका के रन रेट में खास अंतर नहीं आया। छठें विकेट के लिए मैथ्यूज ने कदांबे के साथ मिलकर 50 रनों की साझेदारी बनाई। ये भी पढ़ें:महेंद्र सिंह धोनी वनडे में 200 छक्के लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने
कदांबे के रन आउट होने के बाद श्रीलंकाई पारी लड़खड़ा गई। हालांकि तब तक श्रीलंका टीम 400 का आंकड़ा पार कर चुकी थी। जीत के लिए केवल 15 रन चाहिए थे और 38 रन बनाकर मैथ्यूज अब भी क्रीज पर टिके हुए थे। भारत को हार साफ दिख रही थी, फिर मैच में टर्निंग प्वाइंट आया। जीत के लिए छह रनों की जरूरत थी और आखिरी ओवर की जिम्मेदारी धोनी ने नेहरा को दी। तीन डॉट गेंद डालने के बाद 50वें ओवर की चौथी गेंद पर नेहरा ने मैथ्यूज को शॉट खेलने के लिए लो फुलटॉस डाली। मैथ्यूज ने बाउंड्री के लिए गेंद को हिट किया और शानदार कैच पकड़ा सचिन ने। भारत के लिए यह बड़ी सफलता थी लेकिन काम अभी खत्म नहीं हुआ था। दो गेंदें शेष थी और केवल छह रन की जरूरत थी। वेलगेदरा ने पांचवी गेंद पर एक रन लेकर स्ट्राइक कुलसेकरा को दी। एक छक्का और मैच भारत के हाथ से निकल सकता था। लेकिन आखिरी गेंद पर कुलसेकरा केवल दो रन ले सके और भारत ने तीन रन से मैच जीतकर सीरीज में बढ़त बना ली। ये भी पढ़ें:जब विराट कोहली की कप्तानी में श्रीलंका के खिलाफ कटक वनडे जीती थी टीम इंडिया
यह मैच वाकई सांस रोक देने वाले रोमांचक मैचौं में से एक था। हालांकि इस मैच के बाद यह बात भी साफ हो गई कि पिच की स्थिति से खेल बल्लेबाजों की तरफ काफी झुका हुआ था। दोनों टीमों की ओर से 400 के ज्यादा रन बने यानि की राजकोट की पिच पर एक दिन में 800 से अधिक रन बन गए। यह मैच टीम इंडिया के लिए यादगार साबित हुआ और कल कटक में शायद उन्हें यह मैच याद भी आया होगा।
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