टी20 विश्व कप 2007 में भारतकी जीत सबको याद होगी। आज ही के दिन पाकिस्तान को फाइनल में हराते हुए टीम इंडिया ने इतिहास रच दिया था। जिस तरह धोनी के धुरंधरों ने पाकिस्तान को धूल चटाते हुए 5 रन की जीत हासिल की, वह गजब था। रोमांच की चरम तक पहुंचे इस मैच ने एक साधारण से गेंदबाज को भारत को टी20 विश्व कप विजेता बनाने वाला गेंदबाज बना दिया। वो एक गेंदबाज आया और भारत को विश्व विजेता बना कर चला गया। कौन था वो गेंदबाज आर पी सिंह नहीं वो आर पी सिंह नहीं था।
इरफान पठान जी नहीं वो इरफान भी नहीं था। वो गेंदबाज था जोगिंदर शर्मा। जिस पर महेन्द्र सिंह धोनी ने भरोसा दिखाते हुए पारी का अंतिम ओवर फेंकने को दिया। जोगिंदर भी अपने कप्तान के भरोसे की लाज रखते हुए मैच को भारत की झोली में डाल कर एक मैच का सुपरस्टार बन गए। लेकिन इस सुपरस्टार की बदकिस्मती तो देखिये भारत को विश्व विजेता बनाने के बाद ये गेंदबाज भारत के लिए कभी टी20 मैच नहीं खेल सका। आइये आपको ले चलते है उसी मैच के लम्हों में जिन्होने जोगिंदर को हीरो बना दिया।
पहले टी20 विश्व कप के फाइनल में भारत और पाकिस्तान आमने सामने थे। भारत ने गौतम गंभीर और रोहित शर्मा की पारियों की बदौलत पाकिस्तान को 158 रनों का लक्ष्य दिया। एक समय 77 रन पर 6 विकेट गंवा कर मैच अपने हाथ से गंवा चुकी पाकिस्तान की मैच में वापसी कराई मिस्बाह उल हक ने। मिस्बाह ने एक-एक कर सभी भारतीय गेंदबाज को निशाना बनाते हुए मैच को भारत की पकड़ से पाकिस्तान की ओर खींच लाए थे। मिस्बाह हर भारतीय गेंदबाज को बड़े आराम से बांउड्री दिखा रहे थे।
ऐसे में धोनी ने जोगिंदर शर्मा जैसे एक युवा गेंदबाज को पारी का अंतिम ओवर डालने की जिम्मेदारी दे दी। पारी का 20वां ओवर और पाकिस्तान को जीत के 6 गेंदों में 13 रन बनाने थे और जोगिंदर के सामने थे मिस्बाह जिन्होने पारी के 17वें ओवर में अनुभवी हरभजन को 3 छक्के लगाए थे। ऐसे में एक युवा गेंदबाज की स्थिति क्या होगी ये कोई भी समझ सकता है।
जोंगिदर ने 20वें ओवर की पहली ही गेंद वाइड फेंकी। जोगिंदर ने पहली गेंद दोबारा फेंकी और मिस्बाह को बीट कराया। लेकिन मिस्बाह ने जोगिंदर की दूसरी गेंद पर बड़ा छक्का लगा दिया। पाकिस्तान को अब जीत के लिए 4 गेंदों में मात्र 6 रन की दरकार थी। लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने जोंगिदर का नाम भारत के सुनहरे इतिहास में दर्ज करा दिया।
जोगिंदर ने तीसरी गेंद पर गति परिवर्तन करते हुए स्लो डाली मिस्बाह ने इस गेंद को विकेटों के पीछे की ओर खेला। गति परिवर्तन के कारण गेंद को सही टाइम नहीं कर पाए और गेंद श्रीसंत के हाथों में समा गई। पूरा देश खुशी से झूम उठा। जोगिंदर मैच के हीरो बन गए। लेकिन भारत को विश्व कप दिलाने वाला ये गेंदबाज फिर कभी भारत के लिए टी20 नहीं खेल सका।
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