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जब 1987 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को सिर्फ 1 रन से हरा दिया था

रोमांचक मुकाबले में भारत की तरफ से नवजोत सिंह सिद्धू और सुनाल गावस्कर ने अर्धशतक लगाए थे

भारतीय टीम मुकाबले को सिर्फ 1 रन से हार गई थी © Getty Images
भारतीय टीम मुकाबले को सिर्फ 1 रन से हार गई थी © Getty Images

इतिहास के पन्नों से में आज हम आपके लिए खंगाल कर लाए हैं रिलायंस विश्व कप का भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया का रोमांच से भरपूर मुकाबला। मुकाबले में दोनों टीमों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था और मैच का नतीजा आखिरी ओवर की पांचवीं गेंद पर निकल सका था। आखिर किस टीम ने मारी थी बाजी?, आइए जानते हैं। पहले तीनों विश्व कप इंग्लैंड में खेले गए और साल 1987 में पहली बार इंग्लैंड से बाहर विश्व कप का आयोजन किया गया। चौथा विश्व कप भारतीय उपमहाद्वीप में खेला गया। विश्व कप के ग्रुप ए के तीसरे मुकाबले में भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें आमने-सामने थीं। एम ए चिदंबरम स्टेडियम में भारत के कप्तान कपिल देव ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया।

ऑस्ट्रेलिया की तरफ से सलामी बल्लेबाजी के लिए आए डीसी बून और जीआर मार्श। दोनों ने आते ही ताबड़तोड़ अंदाज में बल्लेबाजी शुरू कर दी और तेज गति से रन बनाने लगे। भारतीय गेंदबाजों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि ओपनिंग साझेदारी को कैसे तोड़ा जाए। हर गेंदबाज रन रोकने में नाकाम हो रहा था और ऑस्ट्रेलिया के दोनों सलामी बल्लेबाज तेज-तर्रार पारी खेल रहे थे। देखते ही देखते दोनों ने अपनी टीम का स्कोर 50 रनों के पार पहुंचा दिया। मार्श तो भारतीय गेंदबाजों की जमकर खबर ले रहे थे और बेहद आक्रामक होकर रन बना रहे थे। मार्श ने अपना अर्धशतक ठोक डाला और टीम का स्कोर 100 के पार पहुंच गया। भारतीय टीम के कंधे पर गिर चुके थे। भारत को पहले विकेट की तलाश थी। कप्तान कपिल देव के चेहरे पर चिंता साफ देखी जा सकती थी। इसी बीच रवि शास्त्री ने बून को 49 रनों के निजी स्कोर पर आउट कर भारत को पहली सफलता दिला दी। पहला विकेट गिरते ही भारतीय खिलाड़ियों और दर्शकों के चेहरे खिल उठे। भारत बनाम इंग्लैंड तीसरे वनडे के लाइव ब्लॉग को पढ़ने के लिए क्लिक करें

ऑस्ट्रेलिया का पहला विकेट 110 रनों पर गिरा था। लेकिन तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आए डीन जोन्स ने मार्श का अच्छा साथ दिया। मार्श ने अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी जारी रखी और भारतीय गेंदबाजों के खिलाफ जमकर हल्ला बोल रहे थे। इसी बीच दोनों ही खिलाड़ियों के बीच अर्धशतकीय साझेदारी हो गई और एक बार फिर से भारतीय टीम संकट में दिखने लगी। ऑस्ट्रेलिया का स्कोर अब 150 के पार हो चुका था। लेकिन तभी जोन्स को मनिंदर सिंह ने 39 के निजी स्कोर पर आउट कर भारतीय टीम को दूसरी सफलता दिला दी। लेकिन मैच में अभी ऑस्ट्रेलिया की पकड़ मजबूत थी। ऑस्ट्रेलिया का स्कोर अब 2 विकेट के नुकसान पर 174 रन हो चुका था। चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आए ऐलन बॉर्डर ने आते ही तेज खेलना शुरू कर दिया। लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने उन्हें ज्यादा देर तक क्रीज पर नहीं टिकने दिया और 16 के निजी योग पर आउट कर भारत को तीसरी सफलता दिला दी। भारतीय टीम अब मैच में वापस आने लगी थी।

इसी बीच दूसरे छोर पर टिककर खेल रहे मार्श ने अपना शतक पूरा कर लिया और टीम को मजबूती की तरफ ले जाने लगे। लेकिन शतक लगाने के फौरन बाद ही मनोज प्रभाकर ने उन्हें आउट कर दिया और भारतीय समर्थकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ऑस्ट्रेलिया को बहुत बड़ा झटका लग गया था और भारत को वापसी का मौका मिल गया था। इसके बाद भारत ने किसी अन्य बल्लेबाज को बड़ा स्कोर नहीं बनाने दिया और ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 270 रन बना डाले। उस दौर में 250 से ज्यादा का स्कोर बहुत बड़ा माना जाता था। ऐसे में भारत के लिए लक्ष्य भेद पाना एक टेढ़ी खीर साबित होने जैसा था। लेकिन सितारों से सजी भारतीट टीम और घरेलू समर्थकों के साथ ने टीम के अंदर एक ऊर्जा का संचार कर दिया था।

भारत की तरफ से सलामी बल्लेबाजी के लिए आए सुनील गावस्कर और के श्रीकांत। दोनों ने आते ही ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण को धत्ता बताते हुए तेज बल्लेबाजी शुरू कर दी। दोनों ने हर गेंदबाज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। भारत का स्कोर 50 रनों के पार हो गया और जीत के लिए सबसे जरूरी भारत को अच्छी शुरुआत मिल गई। लेकिन तभी श्रीकांत 37 रनों के निजी स्कोर पर आउट हो गए और टीम को पहला झटका 69 रनों पर लग गया। हालांकि टीम को अच्छी शुरुआत मिल चुकी थी। वहीं तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आए नवजोत सिंह सिद्धू ने गावस्कर का अच्छा साथ दिया और डटकर कंगारू गेंदबाजों का सामना करने लगे। दोनों ने ही ऑस्ट्रेलिया को वापसी का कोई मौकी नहीं दिया और भारत के स्कोर को लगातार बढ़ाते रहे। इसी बीच भारत का स्कोर 100 रनों के पार हो गया। गावस्कर शानदार खेल रहे थे और देखते ही देखते उन्होंने अपना अर्धशतक ठोक डाला। अब वह और आक्रामक हो गए थे। भारतीय टीम अब हावी नजर आने लगी थी। लेकिन इसी बीच ऑस्ट्रेलिया ने गावस्कर को 70 रनों पर पवेलियन भेज दिया और भारत का स्कोर 2 विकेट के नुकसान पर 131 रन हो गया। हालांकि अभी टीम के पास धुरंधर बल्लेबाज मौजूद थे जो टीम को जीत दिला सकते थे। ये भी पढ़ें: साल 2018 में चार देशों के वनडे टूर्नामेंट में भिड़ सकतीं हैं भारत-पाकिस्तान की टीमें

चौथे नंबर पर खेलने आए दिलीप वेंगसरकर ने सिद्धू के साथ मिलकर भारत के स्कोर को आगे बढ़ाया। सिद्धू ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की जमकर खबर ली और मैदान के चारों तरफ रन बनाने लगे। सिद्धू ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए अपना अर्धशतक पूरा कर लिया और भारत का स्कोर भी 200 के पार पहुंचा दिया। लेकिन अभी टीम का स्कोर 200 के पार ही पहुंचा था कि ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज मैकडेरमॉट ने सिद्धू को आउट कर ऑस्ट्रेलिया को जश्न मनाने का मौका दे दिया। भारत का स्कोर अब 3 विकेट के नुकसान पर 207 रन हो चुका था।

अब मैच रोमांचक हो चला था। अभी टीम के स्कोर में 22 रन ही जुड़े थे कि मोहम्मद अजहरुद्दीन भी आउट हो गए और भारत का स्कोर 4 विकेट के नुकसान पर 229 रन हो गया। अजहरुद्दीन के आउट होने के फैरन बाद ही वेंगसरकर भी आउट हो गए और मैच से भारत की पकड़ ढीली पड़ने लगी। अब ऑस्ट्रेलिया मैच में वापस आ चुका था। कपिल देव और रवि शास्त्री के कंधों पर टीम को जिताने का दारोमदार था। रवि शास्त्र ने तेज गति से 12 रनों की पारी खेली, लेकिन वह 12 रनों पर ही आउट हो गए और भारत का स्कोर 6 विकेट के नुकसान पर 246 रन हो गया। अब मैच रोमांचक हो चला था। भारत को जीतने के लिए 23 रनों की जरूरत थी जबकि टीम के पास 4 विकेट थे।

ऐसे में टीम को संयम से खेलने की जरूरत थी। लेकिन भारत की उम्मीद कपिल देव (6) और रोजर बिन्नी (0) पर पवेलियन लौट गए और भारतीय टीम की जीत की उम्मीदों को झटका लग गया। भारत का स्कोर अब 8 विकेट पर 256 रन हो चुका था। अब भारतीय समर्थक भगवान से भारत की जीत की दुआ मांग रहे थे। किरम मोके ने अंतिम समय में तेजी से रन बनाए लेकिन दूसरे छोर से विकेटों के गिरने का सिलसिला जारी था। अब मैच आखिरी ओवर में था और सभी दर्शकों की दिल की धड़कनें भड़ चुकीं थीं। मैच कहीं भी जा सकता था और भारतीय टीम के साथ-साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम भी दबाव में थी। जाहिर है जौन सी टीम दबाव को झेल लेती उसी के खाते में जीत आनी थी।

भारत को जीतने के लिए 5 गेंदों में 4 रनों की जरूरत थी तो ऑस्ट्रेलिया को सिर्फ 1 विकेट की। किरन मोरे और मनिंनदर सिंह के रूप में जीत की आखिरी उम्मीद ऑस्ट्रेलिया को हराने को बेताब दिख रही थी। वहीं मनिंदर सिंह ने चौथी गेंद पर गेंद को थर्डमैन क्षेत्र में खेल दिया और तेजी से 2 रन दौड़ लिए। अब भारत को जीत के लिए 2 गेंदों में 2 ही रनों की आवश्यकता थी। मैच रोमांच की सारी हदों को पार कर चुका था। पांचवीं गेंद पर बोल्ड हो गए और भारतीय टीम मुकाबला सिर्फ 1 रन से हार गई। ऑस्ट्रेलियाई टीम की खुशी का ठिकाना नहीं था तो दूसरी तरफ भारतीट टीम और समर्थक मायूस हो गए। ऑस्ट्रेलियाई टीम मैदान में जश्न मनाने लगी तो भारतीय टीम निराश होकर पवेलियन लौट गई।

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