सौरव गांगुली के लिए काफी संघर्षपूर्ण समय था। राहुल द्रविड़ ने सौरव गांगुली को हटाकर भारतीय टीम की कमान संभाल ली थी। इसके बावजूद गांगुली टीम में थे। पहली बार द्रविड़ पूरी सीरीज में कप्तानी कर रहे थे। साथ ही भारतीय क्रिकेट में यह द्रविड़-ग्रेग चैपल युग की शुरुआत थी। भारतीय सरजमीं पर आठ साल बाद श्रीलंका पहला टेस्ट खेलने आई थी। दोनों टीमों के विश्वस्तीर बल्लेबाजों के बीच खुद को बेहतर साबित करने की जंग थी और साथ ही तीन बेहतरीन स्पिनर्स के बीच भी श्रेष्ठता का मुकाबला था।
चेपॉक स्टेडियम में टेस्ट आयोजित कराना किसी खतरे से कम नहीं था। मैच के शुरुआती तीन दिन बारिश की भेंट चढ़ गए। दरअसल चेन्नई में बाज तूफान ने कहर बरपा रखा था। जब खेल शुरू हुआ तो चौथे दिन के दो ही सत्र बचे थे। मैच में बचे चार सत्रों से ज्यादा उम्मीद नहीं थी। पिच में दोहरा उछाल था। ऐसी परिस्थियों में राहुल द्रविड़ ने अभ्यास के लिहाज से खेलना उचित समझा। इंग्लैंड के तेज गेंदबाज चामिंडा वास ने गेंदबाजी की शुरुआत की। वास की पहली गेंद मुश्किल से गंभीर के घुटने तक उठी जिसे देखते हुए विकेटकीपर कुमार संगकारा विकेटों के एकदम नजदीक आकर विकेटकीपिंग करने लगे। गंभीर ने पहला ओवर मेडन जाने दिया। वहीं दूसरे ओवर में सहवाग ने अपने ही अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए दो चौके जड़े और दो बार दो रन दौड़े। भारत-इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट का स्कोरबोर्ड जानने के लिए क्लिक करें
वहीं वास के दूसरे ओवर की पहली गेंद इनकटर थी। गंभीर गेंद को समझ नहीं पाए और गेंद सीधे उनके स्टंप पर जा लगी। गंभीर के आउट होने के बाद राहुल द्रविड़ क्रीज पर आए। द्रविड़ के क्रीज पर आने के बाद काफी दिलचस्प क्रिकेट देखने को मिली। जहां द्रविड़ ने अपना खाता खोलने के लिए 13 गेंदें लीं तो वहीं दूसरी तरफ सहवाग लगातार रन बना रहे थे। सहवाग ने वास के तीसरे ओवर में दो चौके और फर्नांडो के तीसरे ओवर में तीन चौके ठोक डाले। हालांकि सहवाग का ये शो ज्यादा देर तक नहीं चला और वास की गेंद पर अटापट्टू ने उन्हें एक्स्ट्रा कवर पर कैच आउट कर पवेलियन भेज दिया। सहवाग ने आउट होने से पहले 36 गेंदों में 28 रन बनाए। जब सहवाग आउट हुए तो बारत का स्कोर 42 रन था। इसके बाद कप्तान ने वास को कुछ समय के लिए गेंदबाजी से हटा लिया और स्टंप से ठीक पहले उन्हें फिर से गेंदबाजी में लगाया। मुरलीधरन को भी पिच से टर्न मिल रही थी।
इसी बीच भारत ने दिन का खेल खत्म होने तक 2 विकेट खोकर 90 रन बना लिए थे। द्रविड़ 30 रन पर और तेंदुलकर 11 पर नाबाद थे। तीसरे दिन वास फिर से तैयार थे। वास लगातार किफायती ओवर फेंक रहे थे। वास के ओवर में एक रन बनाना भी मुश्किल हो रहा था। इसी बीच द्रविड़ के सब्र का बांध टूट गया और वास की गेंद की गेंद पर वह कीपर को कैच देकर पवेलियन लौट गए। इसी बीच तेंदुलकर ने मुरलीधरन के 39वें ओवर की तीसरी गेंद पर चौका जड़ा और इसके बाद अगला रन 45वें ओवर की आखिरी गेंद पर बना। पहले दिन के बाद वास की गेंदबाजी के आंकड़े थे 9-315-2। वास का दसवां ओवर मेडन था। अगली सुबह जब वास को गेंदबाजी से हटाया गया तो उनके आंकड़े थे 17-11-15-3। वास ने अपनी गेंदबाजी में आठ ओवर मेडन फेंके थे। इसी बीच मुरलीधरन की फ्लाइट पर तेंदुलकर गच्चा खा गए और बोल्ड आउट हो गए। इसके बाद गांगुली-लक्ष्मण के बीच तालमेल में कमी के कारण लक्ष्मण रन आउट हो गए। दरअसल, लक्ष्मण ने स्क्वॉर लेग पर गेंद को खेलकर एक रन के लिए दौड़े, लेकिन दोनों के बीच तालमेल में कमी के कारण लक्ष्मण 43 गेंदों में 5 रन बनाकर आउट हो गए।
इसके बाद एमएस धोनी जो कि अपना पहला मैच खेल रहे थे गांगुली के साथ क्रीज पर आए। दोनों ने एक-एक चौका लगाया लेकिन इसी बीच सौरव गांगुली फर्नांडो की गेंद पर कैच आउट हो गए। गांगुली के बाद क्रीज पर आए इरफान पठान को मुरलीधरन ने शून्य पर ही चलता कर दिया। इरफान के बाद बल्लेबाजी के लिए आए अगरकर ने गेंद को कवर्स क्षेत्र में खेलकर रन लेने के लिए दौड़े लेकिन धोनी ने उन्हें मना किया और अगरकर जब तक क्रीज पर पहुंचते तब गिल्लियां बिखर चुकी थीं और अगरकर रन आउट हो चुके थे। भारत का स्कोर 128/8 हो गया था। इसके बाद धोनी ने शॉट खेलने लगे और कुंबले ने एक छोर संभाल लिया। ये भी पढ़ें: भारत के खिलाफ ये कारनामा करने वाले इंग्लैंड के पहले बल्लेबाज बने एलिस्टेयर कुक
कुंबले ने वास के तीन ओवर मेडन खेले। जिसके बाद वास का गेंदबाजी आंकड़ा 20-14-15-3 हो गया था। सुबह से वास द्वारा फेंके गए दस ओवरों में भारत ने एक भी रन नहीं बनाया था। वास ने अगला ओवर भी मेडन फेंका जिसका मतलब था वास ने 11 ओवर मेडन फेंके। चेपॉक में मौजूद हर क्रिकेटप्रेमी वास के कारनामे से हैरान था। सब सोच रहे थे कि क्या वाकई वास ऐसा भी कर सकते हैं। इसके बाद वास की गेंद पर धोनी ने एक रन लिया। लेकिन अगली ही गेंद पर वास ने कुंबले को चलता कर दिया। इसी बीच धोनी को 30 रनों पर आउट कर बंडारा ने भारतीय पारी को 167 रनों पर समेट दिया। हालांकि मैच में पहले तीन दिन बारिश के कारण बेकार हो चुके थे इसलिए मैच का कोई नतीजा नहीं निकल पाया। लेकिन मैच को वास की बेहतरीन गेंदबाजी के लिए याद किया जाता है।
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