हाल ही में पुणे में खेले गए पहले वनडे मैच में टीम इंडिया ने 63 रनों पर 4 विकेट गंवाने के बावजूद 351 रनों के लक्ष्य को 7 विकेट खोकर 48.1 ओवर में हासिल कर लिया। हालांकि ये पहला मौका नहीं है जब टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने खासकर निचले मध्यक्रम ने बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए नामुमकिन को मुमकिन कर दिया। ऐसा ही वाकया साल 2010 में भी हुआ था जब न्यूजीलैंड के खिलाफ बैंगलुरू वनडे में भारत ने 108 रनों पर चार विकेट गंवाने के बावजूद 321 रनों का लक्ष्य पांच विकेट खोकर 48.5 ओवरों में हासिल कर लिया था। लेकिन इस कारनामें को अंजाम खिलाड़ियों ने कैसे पहुंचाया था। आइए जानते हैं।
यह बात साल 2010 की है। बैंगलुरू में भारत और न्यूजीलैंड के बीच चौथा वनडे खेला गया। एमएस धोनी की अनुपस्थिति में भारतीय कप्तान गौतम गंभीर ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। पहले बल्लेबाजी करने उतरी न्यूजीलैंड टीम को मार्टिन गप्टिल ने धमाकेार शुरुआत दी और पहले विकेट के लिए ब्रेंडन मैकलम के साथ 62 रन जोड़े। लेकिन इसी बीच नेहरा ने लगातार दो ओवरों में 2 विकेट ले डाले और न्यूजीलैंड के 70 रनों पर दो विकेट गिर गए। इससे पहले कि न्यूजीलैंड की पारी संभलती मैकमल को अश्विन ने आउट कर दिया और न्यूजीलैंड के 91 रनों पर तीन विकेट गिर गए। ऐसी परिस्थिति में रॉस टेलर और स्कॉट स्टायरिश ने पारी संभाली और दोनों ने क्रमशः 44 और 46 रनों की पारियां खेलीं। इसके अलावा अंतिम ओवरों में जेम्स फ्रेंकलिन ने नाबाद 69 गेंदों में 98 रन ठोक दिए। अंततः न्यूजीलैंड ने 50 ओवरों में 7 विकेट पर 321 रन बनाए। [ये भी पढ़ें: पहले मैच में जीत के बाद भी इन गलतियों से टीम इंडिया को लेना होगा सबक]
जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया को गंभीर और पार्थिव ने अच्छी शुरुआत दी और पहले विकेट के लिए 67 रन जोड़े। लेकिन इसी बीच विकटों का पतझड़ लग गया और 108 रनों तक जाते- जाते टीम इंडिया के चार विकेट गिए गए। इन चार विकटों में गंभीर(27), पार्थिव(53), कोहली(0) और युवी(20) शामिल थे। एसे में लगा कि टीम इंडिया मैच हार जाएगी, क्योंकि रिक्वायर रेट भी अब 7 से ऊपर का था। ऐसी विपरीत परिस्थिति में रोहित शर्मा और युसुफ पठान ने मोर्चा संभाला। दोनों ने मैदान के चारों ओर स्ट्रोक खेले और विपक्षी गेंदबाजों को कोई मौका नहीं दिया।
दोनों ने पांचवें विकेट के लिए 80 रन जोड़े। लेकिन इसी बीच शर्मा(44) आउट हो गए और टीम इंडिया के 188 रनों पर पांच विकेट गिर गए। छठवें नंबर पर सौरव तिवारी बल्लेबाजी के लिए आए। युसुफ ने सौरव के साथ छठवें विकेट के लिए 133 रन जोड़े और टीम इंडिया को 48.5 ओवरों में 5 विकेट से जीत दिला दी। युसुफ अंत तक 96 गेंदों में 123 रन बनाकर नाबाद रहे। इस दौरान उन्होंने 7 छक्के और 7 चौके जड़े। इसके अलावा सौरव तिवारी 39 गेंदों में 37 रन बनाकर नाबाद रहे। टीम इंडिया की उस दौर की ये सबसे गजब जीत थी। युसुफ को मैन ऑफ द मैच से नवाजा गया।
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