जिस स्क्वाड के साथ इस बार ऑस्ट्रेलिया टीम ने भारत का रुख किया है। उसमें स्पिनरों की भरमार है। उनके स्क्वाड में कुल पांच स्पिनर(नाथन ल्योन, स्टीव ओ’ कैफे, एश्टन एगर, मिचेल स्वेम्पसन, और ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल) हैं और तेज गेंदबाज कुल चार हैं जिनमें मिचेल स्टार्क, जोश हेजलवुड, जैक्सन बर्ड और मिचेल मार्श शामिल हैं। जाहिर है कि ऑस्ट्रेलिया टीम ने भारतीय पिचों पर टीम इंडिया को उसी की भाषा में जवाब देने का निर्णय लिया है। लेकिन क्या इससे विराट कोहली के नेतृत्व वाली टीम इंडिया को कोई फर्क पड़ेगा? खासकर पिछले सालों में भारत दौरे पर आए ऑस्ट्रेलियाई स्पिनरों के प्रदर्शन को देखते हुए।
ऑस्ट्रेलिया ने पिछली पांच सीरीजों में भारतीय सरजमीं पर कई स्पिनरों की सेवाएं ली हैं जिनमें ल्योन, नाथन हॉरित्ज, जेवियर डोहार्टी और जेसन क्रेजा जैसे बढ़िया स्पिनर शामिल हैं। इसके अलावा मैक्सवेल, कैमरून व्हाइट और माइकल क्लार्क ने भी यहां की सरजमीं पर खूब गेंदबाजी की है। लेकिन सफलता के मामले में वे भारतीय स्पिनरों से बहुत पीछे खड़े नजर आए हैं और उनका गेंदबाजी औसत 40 से ऊपर का ही रहा है। [ये भी पढ़ें: भारत ए बनाम ऑस्ट्रेलिया, अभ्यास मैच, दूसरा दिन (लाइव ब्लॉग)]
यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया के सबसे बेहतरीन स्पिनर शेन वॉर्न को भी भारतीय सरजमीं पर कुछ खास सफलता प्राप्त नहीं हुई। उन्होंने अपने करियर में भारत का कुल तीन बार दौरा किया और सिर्फ एक बार ही 30 की औसत से 14 विकेट लेने में साल 2004 की सीरीज में कामयाब हो पाए थे। इसके अलावा इक्का-दुक्का मौकों पर ल्योन और क्रेजा ने भी बढ़िया प्रदर्शन किया लेकिन इसका टीम इंडिया की जीत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
साल 2001 और 2004 में जब ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय सरजमीं पर सीरीज जीती थी तब उनके तेज गेंदबाजों ग्लेन मैक्ग्रा और जेसन गिलेस्पी का ज्यादा योगदान रहा था। इसके अलावा आगे आने वाले सालों में भी जब भी ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी रहा उनके तेज गेंदबाजों का योगदान ज्यादा रहा। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया टीम का स्पिनरों की टोली के साथ भारत का रुख करना सभी के समझ से परे है।
पिछले साल ऑस्ट्रेलिया ने श्रीलंका का दौरा किया था और वहां रंगना हेराथ व अन्य श्रीलंकाई स्पिनरों के मुकाबले ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर बेरंग नजर आए थे। भले ही इस दौरे में इतने स्पिनर लेकर ऑस्ट्रेलियाई टीम आई हो लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि वे एक बार फिर से अपन तेज गेंदबाजों पर निर्भर रहेंगे। भारत में 2004 के बाद से एशिया की बाहर की टीमों के द्वारा जीत हासिल करना बेहद मुश्किल रहा है और पिछले 13 सालों में एशिया की बाहर की टीमों ने भारतीय सरजमीं पर कुल सात टेस्ट ही जीते हैं। इन सातों टेस्ट मैचों में कमाल स्पिनरों ने नहीं बल्कि तेज गेंदबाजों ने किया है।
ऑस्ट्रेलिया के पास मिचेल स्टार्क, जोश हेजलवुड और ऑलराउंडर मिचेल मार्श की तिकड़ी मौजूद है। चूंकि, इस सीरीज के तीन टेस्ट ऐसे मैदानों पर खेले जाने हैं जिनमें अभी तक कोई टेस्ट मैच नहीं खेले गए हैं। ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई टीम दो विशेषज्ञ स्पिनरों और दो विशेषज्ञ तेज गेंदबाजों को उतारते हुए दो स्पिन और तेज गेंदबाज ऑलराउंडर(मिचेल मार्श और ग्लेन मैक्सवेल) को मैदान पर उतारना चाहेगी। ताकि टीम इंडिया का मुकाबला हर तरह से किया जा सके। लेकिन ये बात भी तय है कि स्टीवन स्मिथ के लिए इस मिश्रण का क्रियान्वयन ढंग से करना आसान नहीं होगा।
This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.
Strictly Necessary Cookies
Strictly Necessary Cookie should be enabled at all times so that we can save your preferences for cookie settings.
If you disable this cookie, we will not be able to save your preferences. This means that every time you visit this website you will need to enable or disable cookies again.