भारत को टी20 और वनडे विश्व कप जिताने वाले पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 38 साल के हो चुके हैं। हाल के दिनों में धोनी की धीमी बल्लेबाजी टीम के लिए मुसीबत बनी हुई है। विश्व कप में भी उन्होंने कई मैच में धीमी शुरुआत की और फिर आउट हो गए। संन्यास की खबरों के बीच अब माना जा रहा है कि धोनी का करियर विश्व कप के बाद ही खत्म हो जाएगा।
दुनिया के महानतम फिनिशर में शुमार धोनी विश्व कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ रन आउट होकर मैदान से वापस लौटे। भारत को जीत के करीब पहुंचाने के बाद भी धोनी मैच खत्म किए बिना वापस लौटे।
धोनी के स्ट्राइक रेट में गिरावट
पिछले 15 वनडे मुकाबलों में अगर धोनी की बल्लेबाजी पर ध्यान दें तो मालूम चलेगा, क्यों तमाम दिग्गज उनपर सवाल उठा रहे हैं। पिछले 15 वनडे में सिर्फ 5 मैच ऐसे रहे हैं जिनमें उनका स्ट्राइक रेट 100 से उपर रहा है। इस दौरान उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 87 रन रहा है जिसे धोनी ने 114 गेंद पर बनाए थे यानी स्ट्राइक रेट 76 का रहा था। हालांकि धोनी की इस पारी ने भारत को जीत दिलाया था लेकिन फिर उनकी शैली पर सवाल उठना लाजमी है।
टीम को मुश्किल में डाल कर आउट हो रहे
धोनी को मैच पढ़ने में माहिर माना जाता है और आखिर ओवर में पहुंचाकर, टीम को जीत दिलाना उनका हुनर रहा है। अब धोनी ऐसा करने में नाकाम हो रहे हैं। विश्व कप में अफगानिस्तान के साथ मैच में धोनी ने 52 गेंद खेलकर महज 28 रन बनाए और भारत 224 के स्कोर तक ही पहुंच पाया। धीमी बल्लेबाजी करने के बाद वो रनगति बढ़ाने में नाकाम रहे और आउट हो गए। न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में धोनी ने 72 गेंद खेलकर 50 रन बनाए और फिर आउट हो गए।
बड़े शॉट लगाने में नाकाम हो रहे धोनी
मैदान पर टिककर गेंद बर्बाद करने के बाद रनगति बढ़ाने का जिम्मा उसी बल्लेबाज को होता है जिसने इसे धीमा किया हो। धोनी शुरुआती दिनों में धीमा खेलने के बाद आखिर में बड़े शॉट लगाकर इसकी भरपाई करते थे। आजकल वो ऐसा करने में नाकाम हो रहे हैं। इस विश्व कप में धोनी के बल्ले से 9 मैच की 8 पारी खेलने के बाद सिर्फ 20 चौके निकले। छक्के तो महज 5 ही देखने को मिले।
भारत में भी नहीं चला धोनी का बल्ला
ऑस्ट्रेलिया के साथ विश्व कप से पहले खेली गई वनडे सीरीज की बात करें तो हैदराबाद, नागपुर और रांची में भी धोनी नाम के मुताबिक नहीं खेल पाए। पहले मैच में भारत जीता और धोनी ने टीम को मुश्किल से निकाला लेकिन 72 गेंद खेलने बाद उनके बल्ले से निकले 59 रन बनाए। नागपुर में वो खाता नहीं खोल पाए तो अपने रांची में उन्होंने 42 गेंद खेलकर खेली 26 रन की पारी।
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धोनी के मन को पढ़ना मुश्किल है, वो क्या चाहते हैं और कब कैसा फैसला ले लेंगे कहना मुश्किल। इस वक्त तो तमाम लोग जब उनके संन्यास की बात कर रहे तो वो इस पर चुप्पी बनाए हैं। जल्दी ही अगर उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया तो भारत के एक और दिग्गज को जल्दबाजी में क्रिकेट को अलविदा ना कहना पड़ जाए।