क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हुए जिनकी प्रतिभा को कभी पूरी तरह से निखरने का मौका नहीं मिला। ऐसे ही एक क्रिकेटर थे गैरी “गस” जॉन गिल्मर, जिनका जन्म आज से 69 साल पहले 26 जून 1951 को हुआ था।
गिल्मर ने साल 1973 से 1977 के बीच ऑस्ट्रेलिया के लिए 15 टेस्ट और पांच वनडे मैच खेले थे लेकिन उनका करियर मैदान के बाहर के मुद्दों से काफी प्रभावित रहा। इंजरी और खराब सेहत की वजह से इस ऑलराउंडर खिलाड़ी को वो उपलब्धियां हासिल करने का मौका भी नहीं मिला, जिनके वो हकदार बन सकते थे। आज हम उनकी जिंदगी और करियर से जुड़ी कुछ दिलचल्प बातें आपको बताएंगे।
घरेलू क्रिकेट में शानदार शुरुआत: गिल्मर ने 20 साल की उम्र में न्यू साउथ वेल्स के साथ करियर की शुरुआत की थी। दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले मैच में गिल्मर ने 40 और 122 रन बनाने के साथ दो विकटे लिए थे।
शानदार अंतरराष्ट्रीय डेब्यू: गिल्मर ने डेब्यू पर प्रभावित करने का अपना सिलसिला जारी रखा, जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लिए अपने पहले अंतरराष्ट्रीय मैच में नंबर 9 पर खेलते हुए दोनों पारियों में अर्धशतक जड़े और चार विकेट भी लिए। उनके प्रदर्शन की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को पारी के अंतर से हराया।
विश्व कप हीरो: 1975 का विश्व कप गिल्मर के लिए अजीब था। इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में मौका पाने से पहले उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में कोई मैच नहीं खेला था। लेकिन सेमीफाइनल मैच में उन्होंने बड़े आराम से 12 ओवर में 14 रन देकर 6 विकेट लिए। गेंदबाजी में कमाल दिखाने के बाद उन्होंने बल्लेबाजी में भी जलवा दिखाया। 28 गेंदो पर 28 रनों की पारी खेलकर वो मैच में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज भी बने।
फाइनल मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने 48 रन देकर शानदार पांच विकेट हॉल झटका। हालांकि 291 रन का विशाल लक्ष्य बनाकर विंडीज टीम ये मैच जीत गई लेकिन दो मैचों में 11 विकेट लेकर गिल्मर टूर्नामेंट के सबसे शानदार खिलाड़ी बने।
सर्वेश्रेष्ठ स्पेल: 1975 विश्व कप के सेमीफाइनल मैच में इंग्लैंड के खिलाफ 14 रन पर लिए 6 विकेट के गिल्मर के स्पेल को विजडन ने वनडे क्रिकेट इतिहास का सर्वश्रेष्ठ स्पेल करार दिया।
पहला टेस्ट शतक: डग वाल्टर्स और गिल्मर ने एक बार पूरी रात शराब पीने के बाद अगली सुबह शराब के प्रभाव में अपनी पारी की दोबारा शुरुआत की थी। वो 1977 में क्राइस्टचर्च में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला गया मैच था। वाल्टर्स ने मैच से पहले की शाम नशे में बिताई थी और शुरुआती विकेट जल्दी गिरने की वजह से उन्हें तय समय से पहले बल्लेबाजी करने आना पड़ा। वाल्टर्स और गिल्मर दिन का खेल खत्म होने तक नाबाद रहे। दोनों ने स्टंप के बाद फिर शराब पी और अगली सुबह फिर से कीवी अटैक के खिलाफ बल्लेबाजी करे हुए 216 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी बनाई। इसी मैच में गिल्मर ने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक जड़ा था।
इंजरी: शानदार प्रतिभा होने के बावजूद फिटनेस और इंजरी ने गिल्मर के करियर में कई रुकावटें पैदा की। उनके पैर में चोट लगी थी, जिसका सही से इलाज नहीं हो पाया और उसके बाद से उनकी फॉर्म खराब होती चली गई। उसके बाद टीम से ड्रॉप होने के बाद वो वापसी नहीं कर सके और 29 साल की उम्र में क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
छोटा लेकिन प्रभावशाली करियर: गिल्मर के शानदार आंकड़े, 42 का वनडे बल्लेबाजी औसत और 23 का टेस्ट बल्लेबाजी औसत, 10.31 की वनडे गेंदबाजी औसत और 26.03 की टेस्ट गेंदबाजी औसत के बावजूद उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर सिर्फ पांच ODI और 15 टेस्ट तक चला। उन्होंने डेनिस लिली और जेफ थॉमसन को भी मददगार ट्रैक पर आउट किया। उनकी अपार प्रतिभा को देखते हुए उनके करियर का ये अंत बेहद दुखद लगता है।
कप्तान ने की थी ऑपरेशन में मदद: क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद गिल्मर के स्वास्थ्य में गिरावट आई और 2005 में, उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की सख्त जरूरत थी। जिसमें पूर्व कप्तान
इयान चैपल ने उनकी मदद की। चैपल ने गिल्मर के ऑपरेशन के लिए पैसे जुटाने के लिए इरादे से ऑक्शन का आयोजन किया।
दुर्घटना: गिल्मर की जिंदगी का सबसे दर्दनाक पल वो था, जब उनके बेटे क्लिंट का 33 साल की उम्र में ब्रैन कैंसर से निधन हो गया।
सफर का अंत: 62 साल की उम्र में 10 जून 2014 को गिल्मर का निधन हो गया। गिल्मर उन खिलाड़ियों में से थे जो इस खेल से प्यार करते थे। उन्हें ना आंकड़ों की परवाह थी ना खिताबों की। उनके लिए क्रिकेट का खेल हर चीज से परे था।