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'कैप्टन कूल' धोनी ने ऐसे बदली भारतीय क्रिकेट की तस्वीर

महेंद्र सिंह धोनी विश्व क्रिकेट में तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले दुनिया के एकलौते कप्तान है।

महेंद्र सिंह धोनी (AFP)

भारतीय क्रिकेट इतिहास में कई ऐसे कप्तान रहे जिन्होंने टीम इंडिया को कई उपलब्धियां दिलाई हैं। कपिल देव से लेकर सौरव गांगुली तक टीम इंडिया ने कई ऐसे कप्तान देखे जिन्होंने भारतीय क्रिकेट की दशा और दिशा बदली लेकिन इन खिलाड़ियों की सूची में एक ऐसा नाम भी है जिसने भारतीय क्रिकेट को एक नए मुकाम तक पहुंचाया।

7 जुलाई 1981 को जन्में महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय क्रिकेट के चेहरे को बदल कर रख दिया। दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों के खिलाड़ियों से भरी टीम इंडिया में जब रांची के इस राजकुमार ने एंट्री ली तो छोटे शहरों में रहने वाले हर एक युवा क्रिकेटर में विश्वास जागा कि वो भी एक दिन भारतीय टीम का हिस्सा बन सकते हैं।

मैचफिनिशर धोनी

धोनी ने विस्फोटक बल्लेबाजी शैली और मैच फिनिश करने की क्षमता के दम पर अपनी अलग पहचान बनाई। अपनी असाधारण योग्यता, दृढ़ता और विश्वास के दम पर धोनी आगे बढ़ते चले गए। गैरपरंपरागत बल्लेबाजी तकनीकि से धोनी ने विशाखापत्तनम में पाकिस्तान के खिलाफ 148 रनों की धमाकेदार पारी खेलकर फैंस का दिल जीता।

फिर 2005 में जयपुर में श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की पारी खेलकर 300 से ज्यादा के लक्ष्य का आसानी से पीछा किया। यहीं से धोनी ने वनडे क्रिकेट का रंग रूप बदल दिया। दुनिया भर के दिग्गज गेंदबाजों के खिलाफ चौके-छक्कों की झड़ी लगाने वाले धोनी ने दबाव भरे हालातों में टीम इंडिया को जीत दिलाकर ‘दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मैच फिनिशर’ का खिताब जीता।

कैप्टन कूल का सफर

हालांकि धोनी के करियर का सबसे अहम पड़ाव तब आया जब इस 24 साल के खिलाड़ी को भारतीय टीम की कप्तानी सौंपी गई। राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर जैसे सीनियर खिलाड़ियों के रहते हुए धोनी के 2007 टी20 विश्व कप में भारत की अगुवाई करने का मौका दिया गया। जहां से ‘कैप्टन कूल’ का आगाज हुआ।

अपनी परिपक्वता और तेज क्रिकेटिंग दिमाग के दम पर धोनी ने ना केवल एक युवा टीम की अगुवाई की बल्कि टीम इंडिया को टी20 जैसे नए फॉर्मेट में खिताबी जीत दिलाई। पहला टी20 विश्व कप जीतने के बाद धोनी ने भारत में टी20 क्रिकेट की लोकप्रियता को बढ़ाया जिसने इंडियन प्रीमियर लीग जैसे टूर्नामेंट को जन्म दिया।

टी20 विश्व कप जीत के बाद धोनी को वनडे टीम की कप्तानी भी सौंपी गई। गौरतलब है कि तेंदुलकर और द्रविड़ दोनों ही धोनी जैसे जूनियर खिलाड़ी की कप्तानी में खेलने को राजी थे। ऐसा केवल धोनी के स्वभाव और सीनियर के प्रति उनके सम्मानजनक रवैए की वजह से था।

बदल दी भारतीय क्रिकेट की तस्वीर

साल 2008 में जब अनिल कुंबले ने संन्यास का ऐलान किया को धोनी तीनों फॉर्मेट में भारत के नए कप्तान बने। कप्तानी मिलने के बाद धोनी ने शीर्ष बल्लेबाजी क्रम में अपनी जगह युवा खिलाड़ियों को दी और खुद निचले क्रम में खेले। निचले क्रम में खेलने के बावजूद धोनी ने वनडे में 50 का औसत बरकरार रखा है। और जिन समीक्षकों ने ये कहा था कि कप्तान मिलने के बाद धोनी की बल्लेबाजी में कमी आएगी उन्हें पूरी तरह गलत साबित किया।

बतौर कप्तान धोनी ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया। धोनी की कप्तानी में ही टीम इंडिया ने 2008 में ऑस्ट्रेलिया को हराने के बाद 2009 में न्यूजीलैंड और श्रीलंका को हराकर टेस्ट चैंपियन मेस जीती।

टी20 और टेस्ट फॉर्मेट में मिली सफलता के बाद धोनी ने वनडे में भी कमाल किया, जब उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने 2011 में साल 1983 के बाद पहली वनडे विश्व कप जिताया। श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच में धोनी ने खुद को बल्लेबाजी क्रम में प्रमोट किया और युवराज सिंह की जगह बल्लेबाजी करने उतरे। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में धोनी ने 91 रनों की मैचविनिंग पारी खेली। लॉन्ग ऑन की तरफ छक्का लगाकर धोनी ने टीम इंडिया का 28 साल का सूखा खत्म किया।

विश्व कप जीत के बाद भारतीय टीम मुश्किल समय से गुजरी, साथ ही धोनी की फॉर्म को भी झटका लगा। लेकिन सीबी सीरीज के जरिए धोनी एक बार फिनिशर की भूमिका में लौट आए। साल 2013 में धोनी ने बतौर कप्तान एक और बड़ा कीर्तिमान हासिल किया, जब उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को हराकर पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी जीती। इसी के साथ धोनी विश्व क्रिकेट के अकेले ऐसे कप्तान बन गए जिन्होंने आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जीती हैं।

रखी टीम इंडिया के भविष्य की नींव

चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान धोनी ने भारत को खिताब जीत को दिलाई ही लेकिन उस टूर्नामेंट में लिए उनके छोटे छोटे फैसले ने आगे चलकर भारतीय क्रिकेट को काफी फायदा पहुंचाया। इनमें से सबसे अहम फैसला था रोहित शर्मा को सलामी बल्लेबाजी का मौका देना।

रोहित को शिखर धवन के साथ ओपनिंग की जिम्मेदारी देना एक बड़ा कदम साबित हुआ। अभूतपूर्व प्रतिभा होने के बाद भी रोहित निचले क्रम में संघर्ष कर रहे थे लेकिन जब उन्हें पारी की शुरुआत करने का मौका मिला तो मुंबई के इस बल्लेबाजी ने कई रिकॉर्ड तोड़ पारियां खेली। रोहित वनडे क्रिकेट में तीन दोहरे शतक बनाने वाले एकलौते बल्लेबाज बने, वहीं वनडे क्रिकेट का सर्वश्रेष्ठ निजी स्कोर भी रोहित के नाम है।

धोनी ने ना केवल रोहित को बतौर बल्लेबाज मौका दिया बल्कि उन्होंने रोहित और विराट कोहली के रूप में टीम इंडिया के लिए भविष्य के लीडर भी तैयार किए। रोहित और धोनी की कप्तानी में कई समानताएं दिखती हैं, वहीं कोहली ने कई बार ये बयान दिया है कि भले ही उनकी कप्तानी शैली अलग है उन्होंने कप्तानी की बारिकियां धोनी से ही सीखी हैं।

साल 2017 में कप्तान पद छोड़ने के बाद भी धोनी का कद टीम इंडिया में उतना ही ऊंचा था। फील्ड सेट करने में कोहली की मदद करना हो या फिर गेंदबाजों के साथ मिलकर बल्लेबाज को चकमा देने की योजना बनाना, धोनी ने बतौर सीनियर खिलाड़ी टीम को हरसंभव मदद दी। टीम इंडिया के स्पिनर कुलदीप यादव ने भी हालिया बयान में कहा था उन्होंने विकेट के पीछे धोनी की कमी बेहद खलती है।

अमूल्य है महेंद्र सिंह धोनी का योगदान

फिलहाल धोनी क्रिकेट के मैदान से दूर हैं और उनकी वापसी भी निश्चित नहीं है लेकिन भारतीय क्रिकेट में उनका योगदान अमूल्य है। धोनी का भारतीय क्रिकेट में आना और उसके बाद भारतीय क्रिकेट के सभी खिलाड़ियों की सफलता की कहानी अभूतपूर्व है।

धोनी ने घरेलू क्रिकेट की एक नई पीढ़ी में विश्वास जगाया कि वो भी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम तक पहुंच सकते हैं। धोनी ने बल्लेबाजों को बिना अभिमानी बने आक्रामक बनना सिखाया। उन्होंने खिलाड़ियों को मुश्किल स्थिति में शांत रहने के कला सिखाई।

भारतीय क्रिकेट पर धोनी के प्रभाव को आंकड़ों में बयां करना मुश्किल है। लगभग दस साल तक भारतीय क्रिकेट टीम की अगुवाई करने वाले धोनी ने टीम इंडिया को विश्व चैंपियन बनने का मंत्र दिया।

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