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मैंने बिना पैसे खेलने का ऑफर दिया फिर भी जगह नहीं मिली- वसीम जाफर

घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाने वाले जाफर को एक वक्त क्रिकेट छोड़ ऑफिस में आम लोगों की तरह काम करने बोला गया था।

रणजी ट्रॉफी में बल्ले की धाक जमाने वाले वसीम जाफर ने कभी सिर्फ टीम में बने रहने के लिए बिना पैसे खेलने तक का ऑफर दिया था। घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाने वाले जाफर ने एक हालिया इंटरव्यू में बताया कि एक वक्त उनको क्रिकेट छोड़ ऑफिस में आम लोगों की तरह काम करने बोला गया था।

विदर्भ की टीम ने लगातार दूसरी बार रणजी ट्रॉफी जीती और इसमें टीम के अनुभवी बल्लेबाज वसीम जाफर का अहम योगदान रहा। जाफर ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, ”20014-15 में यह पता चला की वनडे टीम से चयनकर्ता मुझे बाहर करने वाले हैं। मैंने बोला मैं खेलना चाहता हूं और विजय हजारे ट्रॉफी में मैंने सबसे ज्यादा रन बनाए।”

बिना पैसे खेलने का दिया था ऑफर

”विदर्भ के साथ मेरा पहला सीजन शानदार रहा लेकिन दूसरे सीजन में मैं चोटिल हो गया और नहीं खेल पाया। टीम के साथ मेरा दो साल का करार था, मैंने टीम के साथ बने रहने की इच्छा जताई। बिना पैसे भी खेलने के लिए राजी हो गया लेकिन फिर भी उन्होंने इसे नहीं स्वीकारा। मैं विदर्भ के साथ ही अपने करियर का अंत करना चाहता था क्योंकि यहां खेलते हुए मुझे काफी अच्छा महसूस हुआ था। हमने कुछ जीता नहीं लेकिन नॉटआउट दौर के लिए क्वालीफाइ किया था।”

विदर्भ के साथ करार हुआ खत्म

”अम्बाती रायडू और करण शर्मा के आने की वजह से मुझे जगह नहीं मिला। टीम में गणेश सतीश पहले से मौजूद थे। मैं इंग्लैंड में लीग क्रिकेट खेलने चला गया। मैंने इस दौरान कई राज्यों से बात की जिसमें केरल भी शामिल था। मुझे काफी निराशा हुई मैं रणजी में सबसे ज्यादा रन बनाने वाला बल्लेबाज था फिर भी कोई टीम मुझे साइन करने को तैयार नहीं थी। यह मेरी आंखें खोलने वाला था।”

विदर्भ की टीम में हुई वापसी

”मुंबई के लिए दुर्भाग्यशाली और मेरे लिए भाग्यशाली बात हुई उन्होंने चंद्रकांत पंडित को कोचिंग से हटाया और विदर्भ ने साइन कर लिया। मैंने पंडित से बात की उनके बताया विदर्भ की तरफ से मैं बिना पैसे भी खेलने के लिए तैयार हूं। उन्होंने प्रशांत बैद्या से बात की और वो मान गए। उनका बहुत शुक्रिया पिछले दो सीजन विदर्भ की तरफ से खेलते हुए मैंने बहुत लुत्फ उठाया।”

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