वह शतक नहीं बना पाए। जरा सा चूक गए । लेकिन राइली रूसो ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया। उन्होंने दिखाया कि आखिर इतने साल तक साउथ अफ्रीकी टीम ने क्या खोया। छह साल तक वह टीम से बाहर रहे। इंग्लैंड दौरे पर वह फिर टीम का हिस्सा बने। इससे पहले वह 2016 में साउथ अफ्रीकी टीम का हिस्सा बने थे। और फिर वह इंग्लैंड में काउंटी खेलते रहे। लेकिन साउथ अफ्रीका ने फिर इस खिलाड़ी पर भरोसा जताया और गुरुवार को यह भरोसा सही साबित हुआ। उन्होंने 55 गेंद खेलीं और 96 रन बनाए। 10 चौके और पांच छक्के जड़े। नाबाद लौटे पर शतक पूरा नहीं कर पाने का मलाल नजर आया।
लेकिन छह साल में रूसो बेहतर ही होकर लौटे हैं। उनके खेल में आक्रामकता थी और साथ ही परिपक्वता भी। उनकी बल्लेबाजी में यह दिखा। रूसो ने खास तौर पर कुछ चुनिंदा गेंदबाजों को निशाना नहीं बनाया। रीस टॉपली को उन्होंने संभलकर खेला और मोईन अली के ऑफ स्पिन पर बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए आक्रामक बल्लेबाजी करना हमेशा से चुनौतीपूर्ण होता। लेकिन रिचर्ड ग्लीसन, क्रिस जॉर्डन पर उनका रवैया बदला हुआ दिखा। खास तौर पर आदिल रशीद की लेग स्पिन की उन्होंने खूब खबर ली। रशीद की उन्होंने 9 गेंदों का सामना किया और 18 रन बनाए।
रूसो ने साउथ अफ्रीका के लिए अब तक कुल 17 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 35.58 की औसत से 427 रन बनाए हैं।
कार्डिफ में हुए सीरीज के दूसरे मुकाबले में साउथ अफ्रीका ने पहले मैच में मिली हार का बदला ले लिया। इंग्लैंड ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। रीजा हेनरिक्स के 53 और राइसी रूसो की दमदार पारी की मदद से साउथ अफ्रीका ने 20 ओवरों में 207 रन बनाए। इंग्लैंड की टीम 16.4 ओवरों में 149 रन ही बना सकी। इंग्लैंड की टीम पूरे ओवर भी नहीं खेल पाई।