एजबेस्ट टेस्ट में ज्यादातर समय भारतीय टीम मजबूत नजर आई। ऐसा लगा कि भारत जिस सीरीज में 2-1 से आगे है उसे 3-1 से अपने नाम कर लेगा। लेकिन यह क्रिकेट है। यहां कुछ भी हो सकता है। और इंग्लैंड तो आजकल नए ब्रांड का क्रिकेट खेल रहा है। टेस्ट क्रिकेट को ताबड़तोड़ अंदाज में।
कैच पकड़ने होंगे
भारतीय टीम की फील्डिंग इस मैच में बहुत अच्छी नहीं रही है। हनुमा विहारी ने जॉनी बेयरस्टो को जीवनदान दिया। उस समय बेयरस्टो सिर्फ 18 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे। बैक ऑफ द लेंथ गेंद टप्पा खाने के बाद सीधी हुई और बेयरस्टो ने बैकफुट से उसे खेलना चाहा। गेंद स्लिप के इलाके में गई। यहां विहारी चौथी स्लिप के करीब खड़े थे। वह गेंद को कैच नहीं कर पाए। वह रिवर्स कप के साथ गए लेकिन गेंद उनके हाथ में नहीं आई। इसके बाद ऋषभ पंत ने भी बेयरस्टो को एक जीवनदान दिया। नतीजा दिन का खेल खत्म होने तक बेयरस्टो 72 रन पर खेल रहे थे।
लाइन और लेंथ सही करो
भारतीय गेंदबाजों की लाइन और लेंथ को लेकर लगातार सवाल उठे। इंग्लिश बल्लेबाजों ने आसानी से रन बनाए। इंग्लैंड का रनरेट 4.5 से ऊपर का रहा है। यानी उन्हें रन बनाने में कोई कठिनाई नहीं हुई। जहां उन्हें चौके-छक्के नहीं मिले वहां वह स्ट्राइक रोटेट करके रन बनाते रहे। भारत को रनगति पर लगाम लगाकर इंग्लिश बल्लेबाजों पर दबाव बनाने की कोशिश करनी होगी। हालांकि रन बहुत ज्यादा नहीं हैं लेकिन जिस अंदाज में इंग्लिश बल्लेबाज खेलने के आदी हैं, रनों पर ब्रेक लगने से उन्हें परेशानी जरूर होगी।
जल्दी-जल्दी लेने होंगे विकेट
इंग्लैंड को जीतने के लिए 119 रन और बनाने हैं। उसके हाथ में सात विकेट हैं। क्रीज पर जो रूट और जॉनी बेयरस्टो हैं। ये दोनों बल्लेबाज शानदार फॉर्म में है। भारत को अगर मैच में वापसी करनी है तो सबसे पहले इस साझेदारी को तोड़ना होगा। और उसके बाद भी लगातार विकेट लेकर दबाव बनाना होगा। 378 के लक्ष्य में से इंग्लैंड 259 रन बना चुका है। भारतीय टीम के पास पहली पारी में जो अडवांटेज था वह खत्म हो चुका है। इस जोड़ी के बाद बेन स्टोक्स क्रीज पर उतरेंगे। उन्हें सेट होने देने का जोखिम भारतीय टीम नहीं ले सकती। स्टोक्स के बाद इंग्लिश बल्लेबाजी इतनी मजबूत नहीं। लेकिन उसके लिए जरूरी है कि भारत पहले ही सेशन में पूरा दबाव डाल दे।
बुमराह का साथ कौन देगा
बुमराह अकेले भारतीय गेंदबाज रहे जो किसी तरह से इंग्लिश टीम पर कोई दबाव बनाते दिखे। शमी कोई करिश्मा नहीं कर पाए और सिराज में पहली पारी जैसी धार नहीं दिख रही। वहीं स्पिनर की बात करें तो रविंद्र जडेजा को पिच से न टर्न मिल रहा है और न ही असमान उछाल। और इंग्लैंड में इसकी बहुत ज्यादा उम्मीद भी नहीं की होती। तो जडेजा को कुछ नया करना होगा। इंग्लैंड ने भी जो रूट की गोल्डन आर्म को आजमाया था और ऋषभ पंत के रूप में उन्हें कामयाबी भी मिली थी। क्या भारत भी ऐसे किसी पार्ट टाइम गेंदबाज को आजमा सकता है? इस पर टीम प्रबंधन को विचार करना होगा।
और फिर मौसम से आस
अभी तक तो इंग्लिश फैन ही मौसम से उम्मीद लगाए बैठे थे। आखिर उनकी टीम मुश्किल में जो थी। लेकिन अब मामला जरा उलट गया है। भारतीय फैंस को आसमानी मदद की जरूरत होगी। बरसात से बल्लेबाजों की रिदम तो टूटती ही है लेकिन साथ ही वक्त भी निकलता है और गेंदबाजों को मदद मिलती है तो सो अलग।