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'कोलपैक डील-टी20 सर्किट दक्षिण अफ्रीका के लिए बड़ी चिंता का विषय'

दक्षिण अफ्रीकी कप्तान का कहना है कि क्रिकेट जगत में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड हमेशा ज्यादा फीस पाने वाले देश रहेंगे।

'कोलपैक डील-टी20 सर्किट दक्षिण अफ्रीका के लिए बड़ी चिंता का विषय'
Updated: July 6, 2019 1:12 PM IST | Edited By: Gunjan Tripathi

आईसीसी विश्व कप 2019 के सेमीफाइनल की रेस से बाहर हो चुकी दक्षिण अफ्रीकी टीम शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना आखिरी लीग मैच खेलने जा रही है। एक बार फिर विश्व कप ट्रॉफी जीतने से चूकी प्रोटियाज टीम के कप्तान फाफ डु प्लेसिस अब दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटरों के भविष्य के बारे में विचार कर रहे हैं, जिसकी सबसे बड़ी परेशान है कोलपैक डील और टी20 सर्किट।

कप्तान डु प्लेसिस का कहना है कि कोलपैक डील और दुनिया भर की टी20 लीगों की वजह से खिलाड़ी अपनी राष्ट्रीय टीम से अलग हो रहे हैं और ये क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, "क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका, मुझे पता है कि चीजें ठीक करने की कोशिश कर रहा है। हमारे पास खिलाड़ियों के दो समूह है। एक तो टेस्ट खिलाड़ी हैं, उनके लिए कोलपैक का विकल्प हमेशा लालच की तरह मौजूद रहता है। फिर आते हैं सीमित ओवर फॉर्मेट के खिलाड़ी, जिनके लिए पूरी दुनिया में फैला टी20 सर्किट उपलब्ध है।"

दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ने आगे कहा, "इसलिए दोनों ही दक्षिण अफ्रीका के लिए चिंता का विषय हैं। इसलिए वनडे टीम की तरफ देखते हुए मैं कहना चाहूंगा कि आपके खिलाड़ी टी20 सर्किट की तरफ बढ़ेंगे, शायद एक या दो लेकिन सीमित ओवर फॉर्मेट खिलाड़ियों के लिए वहीं पर ज्यादा मौके होते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि जहां कई खिलाड़ी वनडे करियर समाप्त कर रहे हैं वो इस दिशा में जाएंगे। मुझे पता है कि जेपी (ड्युमिनी) की योजना जाने से पहले एक-दो टूर्नामेंट खेलने की है। निश्चित तौर पर ये हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है।"

दक्षिण अफ्रीका अकेली टीम नहीं है जिसके खिलाड़ी टी20 सर्किट की तरफ जा रहे हैं। वेस्टइंडीज क्रिकेट ने अपने कई बड़े खिलाड़ी टी20 लीग में खो दिए हैं। इसके पीछे की एक बड़ी वजह से कम भुगतान। वेस्टइंडीज टीम के कप्तान जेसन होल्डर ने भी डु प्लेसिस की तरह टी20 लीगों को राष्ट्रीय टीम के लिए चिंता की बात बताया था और आईसीसी से खिलाड़ियों के लिए न्यूनतम वेतन संरचना बनाने की मांग की थी। जिससे डु प्लेसिस सहमत है लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा होना लगभग नामुमकिन है।

उन्होंने कहा, "वो शायद किसी आदर्श दुनिया में होता लेकिन हम ऐसी दुनिया में नहीं रहते इसलिए मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा। मेरा मानना है कि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और भारत हमेशा ही ज्यादा भुगतान पाने वाले देश बने रहेंगे। अगर ये बदलता है तो बाकी दुनिया के लिए अच्छा होगा लेकिन इसमें लंबा समय है और एक रास्ता है कि आप कोशिश कर सकते हैं।"

डु प्लेसिस ने आगे कहा, "जो खिलाड़ियों इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया या भारत के लिए खेल रहे हैं उनके लिए अपने देश में ही रहकर क्रिकेट खेलना आसान है। जाहिर है कि मुद्रा मजबूत है और साथ ही उन्हें जो पैकेज मिलता है वो भी छोटे देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है। वेस्टइंडीज इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। वो शायद सबसे खराब स्थिति में हैं (भुगतान के मामले में) और यही कारण है कि उनके काफी खिलाड़ी टी20 सर्किट में हैं। इसलिए ऐसा होते देखना (न्यूनतम वेतन संरचना) अच्छा होगा लेकिन उसमें काफी समय लगेगा।"

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