तब सचिन बहुत दुखी थे, लेकिन धोनी..., पूर्व कोच ने खोला टीम इंडिया का बड़ा राज
टीम इंडिया के पूर्व कोच ने बताया कि जब वह टीम में आए तो माहौल काफी दुखी था. लेकिन महेंद्र सिंह धोनी की सोच ने टीम को बदलने में अहम भूमिका निभाई.
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच गैरी किर्स्टन ने महेंद्र सिंह धोनी और सचिन तेंदुलकर को लेकर एक बड़ी बात कही है. गैरी ने कहा है कि जब साल 2007 में वह भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में आए थे तो वहां थोड़ा 'नाखुशी' का माहौल था. किर्स्टन ने कहा कि इस बीच महेंद्र सिंह धोनी उनके लिए खड़े हुए थे. इस दौरान गैरी ने धोनी की तुलना महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से भी की है.
रिटायर होना चाहते थे सचिन
एडम कॉलिंस के साथ यूट्यूब शो 'द फाइनल वर्ड क्रिकेट पॉडकास्ट' में बात करते हुए किर्स्टन ने याद किया जब साल 2007 में उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किया गया तो वहां 'काफी डर' और काफी नाखुशी का माहौल था. इसके साथ ही सचिन तेंदुलकर रिटायरमेंट लेने का विचार कर रहे थे. वेस्टइंडीज में 50 ओवर वर्ल्ड कप में भारत के पहले ही दौर में बाहर होने के बाद सचिन के रिटायरमेंट लेने के विचार की खबरें तो कई बार सामने आ चुकी है लेकिन किर्स्टन का यह कहना कि उसके बाद भी सचिन के जेहन में यह विचार था, काफी हैरान करने वाला है. हालांकि साल 2007 के बाकी समय में सचिन ने शानदार खेल दिखाया था.
टीम का इन्जॉय करना है जरूरी
किर्स्टन ने कहा, 'मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि इस बहुत प्रतिभाशाली टीम को विश्व-विजेता टीम बनाने के लिए किस तरह की लीडरशिप की जरूरत है. उस परिस्थिति में ड्रेसिंग रूम गए किसी भी कोच के लिए यह सबसे बड़ी पहेली होती है. जब मैं कोच बना तो बेशक टीम में काफी डर था. तो मेरे लिए यह और जरूरी था कि मैं हर खिलाड़ी को व्यक्तिगत रूप से समझूं और यह जानूं कि वह क्या सोचते हैं कि इस टीम में वह किस भूमिका में सेट होते हैं. और कैसे वह पूरा इन्जॉय करते हुए क्रिकेट खेल सकते हैं.'
क्रिकेट इन्जॉय नहीं कर रहे थे सचिन
'सचिन मुझे थोड़ा अलग दिखाई दिए थे क्योंकि जब मैं टीम के साथ जुड़ा तो उस समय वह काफी दुखी थे. उन्हें लगता था कि वह काफी कुछ टीम को दे सकते थे लेकिन वह वह अपने क्रिकेट को इन्जॉय नहीं कर रहे थे. और एक वक्त ऐसा था जब उन्हें लगता था कि उन्हें रिटायर हो जाना चाहिए. मेरे लिए यह जरूरी था कि वह मेरे साथ कनेक्ट करें और उन्हें यह अहसास दिलाऊं कि वह टीम को बहुत कुछ दे सकते हैं. और साथ ही उन्होंने जो योगदान दिया वह बहुत ज्यादा था.'
'भारत में सुपरस्टार कल्चर'
किर्स्टन ने माना कि भारत में सुपरस्टार कल्चर है. क्रिकेटर कई बार भूल जाते हैं कि उनका काम टीम के लिए प्रदर्शन करना है न कि निजी उपलब्धियां हासिल करना. और यही वह बात थी जो महेंद्र सिंह को सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ियों की तरह अलग करती थी.
'धोनी ने बदला माहौल'
उन्होंने आगे कहा, 'कोई भी कोच ऐसे खिलाड़ी चाहेगा जो शर्ट पर आगे लिखे नाम के लिए खेलना चाहे न कि पीछे लिखे नाम के लिए. भारत में निजी सुपरस्टार्स को लेकर काफी चर्चा रहती है और कई बार आप अपनी निजी उपलब्धियों में खो जाते हैं. और धोनी इस बीच एक लीडर के रूप में काफी अलग था. उनका फोकस इस बात पर था कि टीम अच्छा करे और टीम ट्रॉफियां जीते. इसके लिए वह काफी खुलकर बोलते थे. इससे बाकी अन्य खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहन मिला और सबसे अच्छा यह हुआ कि सचिन तेंदुलकर ने भी अपने खेल को इन्जॉय करना शुरू कर दिया.'
किर्स्टन ने आगे कहा, 'महेंद्र सिंह धोनी और मेरी बीच कोच-कप्तान की ऐसी साझेदारी बनी जो आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सोच भी नहीं सकते और हमने सफर एक साथ बहुत शानदार रहा.'
COMMENTS