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मैं बल्‍लेबाज ग्रेग चैपल की इज्‍जत तो करता हूं लेकिन कोच की नहीं: वीवीएस लक्ष्‍मण

अपनी किताब '281 एंड 281 एंड बियॉन्ड' ने वीवीएस लक्ष्‍मण ने बतौर कोच ग्रेग चैपल के व्‍यवहार की जमकर आलोचना की।

VVS Laxman © IANS

VVS Laxman (File Photo) © IANS

जॉन राइट का कार्यकाल खत्‍म होने के बाद साल 2005 में ऑस्‍ट्रेलिया के पूर्व कप्‍तान ग्रेग चैपल को भारतीय टीम का कोच बनाया गया। विश्‍व कप 2007 तक उनके कार्यकाल के दौरान सौरव गांगुली से उनका विवाद किसी से छुपा नहीं है। सचिन तेंदुलकर, हरभजन सिंह सहित कई बड़े खिलाड़ी चैपल के व्‍यवहार की आलोचना कर चुके हैं। इस कड़ी में अब पूर्व बल्‍लेबाज वीवीएस लक्ष्‍मण का नाम भी जुड़ गया है।

अपनी किताब ‘281 एंड बियॉन्ड’ में ग्रेग चैपल के साथ अनुभवों को साझा करते हुए वीवीएस लक्ष्‍मण ने लिखा, “मैं टीम इंडिया का कोच बनने से पहले तक ग्रेग चैपल का बड़ा फैन था। अपने दिनों में खेलने के दौरान मैंने उनके कई फोटो और वीडियो देखे थे। स्लिप पर फील्डिंग के दौरान वो गेंद को काफी अच्‍छे से लपकते थे। टीम का कोच बनने से पहले तक मैं उनसे दो बार मिला था। उनसे मिलकर क्रिकेट को लेकर मेरी जानकारी में भी काफी इजाफा हुआ था।”

वीवीएस लक्ष्‍मण ने कहा, “जब जॉन राइट के बाद भारतीय टीम के कोच के रूप में ग्रेग चैपल के नाम की घोषणा हुई तो मैं काफी उत्‍साहित था। मुझे उम्‍मीद थी कि वो टीम के आत्‍मविश्‍वास को बढ़ाएंगे और टीम को आगे लेकर जाएंगे। उन्‍होंने टीम को दो भागों में बांट दिया। 2005 में मैं इंग्‍लैंड में क्‍लब क्रिकेट खेलने गया था। वहां मेरे टीम मेट रहे ग्रेग ब्लेवेट ने मुझे कहा था कि ग्रेग चैपल से बचकर रहना। मैंने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया था।”

लक्ष्‍मण ने कहा, “ग्रेग चैपल ने टीम इंडिया का संतुलन बिगाड़ दिया। श्रीलंका दौरे के दौरान मेरी पहली बार अकेले में उनसे बातचीत हुई। उन दिनों मुझे कमर में दर्द की परेशानी थी, जिसके कारण फॉर्म भी ठीक नहीं चल रही थी। चैपल ने मुझे कहा कि आप टीम के महत्‍वपूर्ण सदस्‍य हैं। आप अपने नैचुरल गेम को अटैकिंग बनाएं।”

वीवीएस लक्ष्‍मण ने कहा, “ऐसा नहीं है कि मैं और मेरी टीम के साथी खिलाड़ी ग्रेग चैपल को बुरा व्‍यक्ति साबित करना चाहते हैं। मैं उनके साथ रहते हुए बहुत कुछ सीखना चाहता था, लेकिन वो अपने व्‍यवहार के कारण ज्‍यादा समय तक हमारा सम्‍मान नहीं पा सके। वो हर चीज में अपनी बात को बड़ा रखते थे और सोच के बहुत छोटे व्‍यक्ति थे। उनके अंदर मैन-मैनेजमेंट स्किल थी ही नहीं।”

लक्ष्‍मण ने लिखा, “मैंने कभी नहीं सोचा की मैं इस खेल से बड़ा हूं। ग्रेग ने मेरे खेल को खराब किया जो मेरे लिए स्‍वीकार्य नहीं था। मैं उनका सम्‍मान एक अच्‍छे बल्‍लेबाज के तौर पर तो कर सकता हूं, लेकिन टीम इंडिया के कोच के रूप में नहीं कर सकता।”

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