Kuldeep Yadav, Joe Root © Getty Images पिछले कुछ सालों में क्रिकेट में, खासकर कि सीमित ओवर के फॉर्मट में रिस्ट स्पिनरों की संख्या बढ़ती जा रही थी। साथ ही खेल पर उनका प्रभाव भी बढ़ रहा है, हर टीम के पास एक या दो रिस्ट स्पिनर हैं जो उन्हें मैच जिताने का माद्दा रखते हैं। अफगानिस्तान के राशिद खान, भारत के कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल अपनी टीम के मैचविनर हैं। रिस्ट स्पिनरों की बढ़ती सफलता के साथ एक सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर बल्लेबाज उन्हें पढ़ क्यों नहीं पा रहे हैं।
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर इयान चैपल का कहना है कि रिस्ट स्पिनरों को ना पढ़ पाना बल्लेबाजों की खराब ट्रेनिंग को दर्शाता है। चैपल ने हिंदुस्तान टाइम्स के लिए लिखे आर्टिकल में कहा, “बल्लेबाजों का असफल होना केवल खराब शॉट खेलकर विकेट गंवाना नहीं बल्कि एक अच्छी इकॉनामी रेट देना भी है। बल्लेबाज जिस गेंद को समझ नहीं पा रहे हैं वो उसे अटैक नहीं कर रहे हैं। रिस्ट स्पिनरों को ना समझ पाने की ये असमर्थता रहस्यमई है।”
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चैपल ने आगे लिखा, “अगर बल्लेबाज गेंद को हाथ से पढ़ता है तो उसे जरूरी संकेत मिलेंगे। लेग ब्रेक वो गेंद है जिसमें हाथ के पीछे का हिस्सा गेंदबाज के चेहरे की तरफ मुड़ता है, जबकि रॉन्ग वन वो गेंद है जिसमें ये बल्लेबाज के चेहरे की तरफ मुड़ता है। और समझाया जाय तो, चूंकि रॉन्ग वन हाथ के पीछे से कराई जाती है तो ये थोड़ा ऊंचा जाती है।”
टी20 फॉर्मट में रिस्ट स्पिनरों की सफलता के बारे में चैपल ने लिखा, “रिस्ट स्पिनर छोटे फॉर्मेट्स में काफी सफल हैं और दुनिया भर की टी20 लीगों में उनकी मांग बढ़ गई है। उनकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वो एक्शन में थोड़ा सा बदलाव करके लेग स्पिन और ऑफ स्पिन दोनों डाल सकते हैं। कुलदीप ने ओल्ड ट्रेफॉर्ड टी20 में रॉन्ग वन से जॉनी बियरस्टो और जो रूट को आउट कर इसका बेहतरीन उदाहरण पेश किया। बियरस्टो जो कि विकेटरीपर हैं, जिस तरह से रॉन्ग वन पर चकमा खा गए वो अंतर्राष्ट्रीय बल्लेबाजी में फैल रही रिस्ट स्पिनरों को ना पढ़ पाने की इस बीमारी को दिखाता है।” गौरतलब है कि पहले टी20 में सफल रहे कुलदीप यादव को दूसरे टी20 में इंग्लिश बल्लेबाजों ने अच्छे से खेला था।