ऑस्ट्रेलिया के सीमित ओवरों के क्रिकेट के कप्तान एरोन फिंच को लगातार खराब प्रदर्शन के चलते सिडनी टेस्ट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। फिंच पांच मैचों के अपने टेस्ट करियर में महज दो अर्धशतक ही लगा पाए। उन्हें दुख है कि वो अपने बल्लेबाजी के तरीके का बचाव नहीं कर पाए।
पढ़ें:- सीनियर तेज गेंदबाजों को आराम देने के लिए तीन नए पेसर्स की तलाश में टीम इंडिया
एरोन फिंच ने पत्रकारों से कहा, “सच्चाई ये है की मैंने इतने रन नहीं बनाए जिससे मैं टीम में रह सकूं। पांच टेस्ट मैच में मैने महज दो अर्धशतक लगाए हैं। जब मुझे वनडे टीम से निकाला गया था तब भी मैंने यही बात कही थी। आप हमेशा टीम से निकाले जाने के खिलाफ जवाब देना चाहोगे, लेकिन मैंने महज दो अर्धशतक लगाए हैं। मुझे टीम से बाहर करने का फैसला चयनकर्ताओं के लिए काफी आसान रहा होगा।”
फिंच ने कहा, “एक वक्त था जब मैं आठ महीने में से 12 दिन ही अपने घर पर बिताता था। ऐसा करना काफी मुश्किल होता था। टीम से निकाला जाना किसी को पसंद नहीं आता, लेकिन इस वक्त मिला ब्रेक मेरे लिए काफी अच्छा है।” फिंच जब भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज की तरफ पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें इस बात का मलाल होता है कि वो अपने ट्रेनिंग के तरीके पर बने रहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
पढ़े:- स्मिथ-वार्नर की वापसी से नहीं होगा ऑस्ट्रेलिया की समस्या का समाधान: शेन वार्न
फिंच ने कहा ये मेरी पसंद है कि मैं विस्फोटक बल्लेबाजी करूं। आप अपनी फॉर्म की तलाश कर रहे होते हो या किसी और चीज को तलाश रहे होते हो। आप टेस्ट क्रिकेट में आउट होने के बाद वापस नहीं जाना चाहते हो। आप सोचते हो कि मैंने कुछ अन्य गेंदों पर हिट किया होता। मुझे दुख है कि मैं अपनी बल्लेबाजी तकनीक पर बने रहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।’