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Ravi Shastri को याद आए MS Dhoni, बोले- टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास का फैसला साहसिक था

रवि शास्त्री ने कहा कि MS धोनी 100 टेस्ट खेलने के करीब थे और वह 100वां टेस्ट खेलने के हकदार थे.

Ravi Shastri को याद आए MS Dhoni, बोले- टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास का फैसला साहसिक था
Updated: September 3, 2021 4:07 PM IST | Edited By: Arun Kumar

भारतीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री (Ravi Shastri) ने भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की दिल खोलकर तारीफ की है. शास्त्री ने धोनी को साल 2104 में टेस्ट क्रिकेट से अचानक लिए संन्यास के लिए याद किया है. शास्त्री ने कहा कि उनका यह फैसला साहसिक और निस्वार्थ था. वह 90 टेस्ट खेल चुखे थे और दुनिया के सबसे सफल खिलाड़ी थे. इसके बावजूद उन्होंने अपने 100वां टेस्ट खेलने का इंतजार नहीं किया. भारतीय कोच ने अपनी किताब स्टारगेजिंग: द प्लेयर्स इन माई लाइफ में धोनी की यह तारीफ की है.

अपनी इस किताब में लिखा, 'धोनी उस वक्त ना सिर्फ भारत के बल्कि दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी थे, जिनके नाम तीन आईसीसी ट्रॉफी थीं, जिसमें दो वर्ल्ड कप शामिल हैं. उनकी फॉर्म अच्छी थी और वह 100 टेस्ट पूरे करने से सिर्फ 10 मैच दूर थे.'

उन्होंने लिखा, 'धोनी टीम के शीर्ष तीन फिट खिलाड़ियों में थे और उनके पास अपने करियर को बूस्ट करने का मौका था. यह सच है कि वह ज्यादा जवान नहीं थे लेकिन इतने उम्रदराज भी नहीं थे. उनका निर्णय समझ में नहीं आया.'

भारत के पूर्व ऑलराउंडर, जिन्होंने अपनी किताब में कई खिलाड़ियों के बारे में लिखा है, उन्होंने कहा कि उन्होंने भारत के पूर्व विकेटकीपर को अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए मनाने की कोशिश की. हालांकि, उन्हें लगता है कि धोनी ने इस पर टिके रहकर सही फैसला लिया. धोनी ने जब संन्यास लिया था उस वक्त शास्त्री टीम निदेशक की भूमिका में थे.

शास्त्री ने लिखा, 'सभी क्रिकेटर कहते हैं कि लैंडमार्क और माइलस्टोन मायने नहीं रखते, लेकिन कुछ करते हैं. मैंने इस मुद्दे पर उनसे संपर्क किया और कोशिश कर रहा था कि वह अपना मन बदल सकें. लेकिन धोनी के लहजे में एक दृढ़ता थी जिसने मुझे मामले को आगे बढ़ाने से रोक दिया. पीछे मुड़कर देखने पर, मुझे लगता है कि उनका निर्णय सही, साहसिक और निस्वार्थ था.'

उन्होंने कहा, 'क्रिकेट में सबसे पावरफुल पॉजिशन को छोड़ना इतना आसान नहीं होता. धोनी एक अपरंपरागत क्रिकेटर हैं. उनकी विकेट के पीछे और सामने तकनीक का कोई तोड़ नहीं है. युवाओं को मेरा सुझाव है कि जब तक यह स्वाभाविक रूप से न आए, तब तक उनकी नकल करने की कोशिश न करें.'

शास्त्री ने कहा, 'धोनी के समय खेलने वाला कोई भी विकेटकीपर इतना तेज नहीं था. वह लंबे समय तक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रहे. धोनी मैदान पर जो कुछ भी हो रहा था, उसके अवलोकन में तेज थे और जब खेल की प्रवृत्ति को पढ़ने के आधार पर निर्णय लेने की बात आती थी तो वह अजीब थे.'

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