पूर्व भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह और युवराज सिंह की गहरी दोस्ती से हर क्रिकेट फैन वाकिफ है। दोनों ने काफी लंबा समय टीम में साथ बिताया और 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया का भी हिस्सा रहे। इस बीच हरभजन ने युवराज सिंह से जुड़ा एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा कि युवराज अगर भारतीय कप्तान होता तो इससे उनके करियर पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।
हरभजन ने स्पोर्ट्सकीड़ा पर कहा, “अगर युवराज कप्तान होता तो अच्छा करता, बेहतरीन कप्तान होता। लेकिन उसके कप्तान होने से हमारे करियर पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हम अपनी काबिलियत के दम पर खेले। किसी कप्तान ने हमें सिलेक्ट नहीं कराया। यारी-दोस्ती एक तरफ। जब आप कप्तान हो तो पहले देश के बारे में सोचना है।”
हरभजन सिंह ने 1998 में इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण किया और 2016 में भारत के लिए अपना आखिरी मैच खेला। 41 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि कप्तानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि टीम को किसी और चीज से पहले वह करना चाहिए जो टीम के लिए जरुरी है।
सौरव गांगुली के बारे में हरभजन ने कहा कि मुश्किल दौर में उन्होंने मेरी मदद की और 2001 में हमने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज जीती। हरभजन ने कहा, “अगर सौरव गांगुली मुझे सपोर्ट नहीं करते तो हम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में हार जाते जिससे उनकी कप्तानी भी जा सकती थी। इसलिए हम दोनों का नाम बना और गांगुली की कप्तानी को एक्सटेंशन भी मिला।”
हरभजन ने ग्रैग चैपल की कोचिंग पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि अगर ग्रैग चैपल कोच न होते तो 2007 वर्ल्ड कप में हमारी टीम अच्छा करती। उन्होंने कहा, चैपल की कोचिंग में टीम खुश नहीं थी और अगर चैपल वहां नहीं होते तो भारतीय टीम टूर्नामेंट में बहुत आगे जाती।”