साल 2004 में भारतीय टीम में महेंद्र सिंह धोनी की इंट्री के साथ ही पार्थिव पटेल, दिनेश कार्तिक जैसे कई विकेटकीपर बल्लेबाजों की मुश्किलें बढ़ गई। धोनी ने अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी और अनोखी विकेटकीपिंग स्टाइल से भारतीय वनडे और फिर टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। क्रिकेट समीक्षक कार्तिक और पार्थिव के टीम इंडिया से बाहर होने के लिए धोनी को कारण मानते हैं लेकिन पार्थिव इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
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गुजरात के इस क्रिकेटर ने ब्रैकफॉस्ट विद चैंपिंयन कार्यक्रम के दौरान इस बारे में बात की। उन्होंने कहा, “इस बात में कोई दोराय नहीं है कि धोनी एक महान खिलाड़ी है। कई लोग कहते हैं कि हम गलत समय में पैदा हुए थे लेकिन मुझे लगता है कि हमने धोनी से पहले खेलना शुरू किया था, अगर हम खराब प्रदर्शन नहीं करते तो धोनी को मौके कैसे मिलते। इसलिए बेहतर है कि हम इस बारे में ज्यादा ना सोचे और ये मान लें कि हमने अपनी काबिलियत के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया और इसी वजह से धोनी को टीम में अपनी जगह पक्की करने का मौका मिला।”
2002 के इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टेस्ट टीम में डेब्यू करने वाले पार्थिव 16 साल के इस करियर में टीम इंडिया से अंदर-बाहर होते रहे हैं। पार्थिव ने भी माना कि इस दौरान उन्होंने कई नकारात्मक दौर देखे। उन्होंने कहा, “मैं झूठ बोलूंगा अगर मैने कहा कि मैने अपने करियर में नकारात्मक दौर नहीं देखा। कई बार ऐसा हुआ जब मैं सोचता था कि मैं ये क्यों कर रहा हूं लेकिन मेरे मेन में भारत के लिए दोबारा खेलने की मजबूत इच्छा था और यही मुझे आगे बढ़ाता रहा।”