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क्विंटन डी कॉक के संन्यास से और ज्यादा कमजोर हो गया है दक्षिण अफ्रीका का बल्लेबाजी क्रम: हाशिम अमला

क्विंटन डी कॉक के संन्यास से और ज्यादा कमजोर हो गया है दक्षिण अफ्रीका का बल्लेबाजी क्रम: हाशिम अमला

दक्षिण अफ्रीका को सेंचुरियन के सुपरस्पोर्ट पार्क में 197 और 191 रन पर आउट कर भारत के खिलाफ शुरुआती टेस्ट में 113 रन से हार का सामना करना पड़ा।

Updated: January 2, 2022 2:05 PM IST | Edited By: India.com Staff

पूर्व बल्लेबाज हाशिम अमला (Hashim Amla) का मानना है कि अनुभवी क्विंटन डी कॉक (Quinton de Kock) के अचानक संन्यास लेने से दक्षिण अफ्रीका की कमजोर बल्लेबाजी लाइन-अप और भी ज्यादा कमजोर हो गई है। 29 साल के विकेटकीपर बल्लेबाज डी कॉक ने अपने परिवार के साथ समय बिताने का हवाला देते हुए पिछले हफ्ते भारत के खिलाफ सेंचुरियन टेस्ट के बाद टेस्ट करियर को अलविदा कह दिया।

अमला ने स्पोर्ट24 के हवाले से कहा, "मध्य में हमारे दो सबसे अच्छे बल्लेबाज टेम्बा (बावुमा) और क्विंटन हैं, अब जब क्विंटन ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है तो ये बल्लेबाजी लाइन-अप को पहले से कहीं और कमजोर बना देता है। अब टेम्बा के लिए बल्लेबाजी क्रम में ऊपर खेलना जरूरी हो जाता है - चाहे वो तीन या चार पर खेलें, उसे रिकवरी के विपरीत एक ठोस भूमिका निभाने का समय लेना होगा।"

आमला का मानना ​​है कि डी कॉक के संन्यास के बाद भी प्रोटियाज अभी भी वापसी कर सकता है और भारत के खिलाफ कभी घरेलू सीरीज ना हारने के अपने रिकॉर्ड का बचाव कर सकता है। उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से एक रास्ता है, लेकिन इस पर कड़ी मेहनत, ध्यान और थोड़ी किस्मत की जरूरत होगी।"

अमला ने कहा, "(कप्तान) डीन (एल्गर) और एडेन (मार्कराम) ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनके पास शतक है और अगर उन्हें गति मिलती है, तो इससे निश्चित रूप से थोड़ी राहत और युवा खिलाड़ियों के लिए बहुत जरूरी आत्मविश्वास मिलेगा।"

प्रोटियाज को सेंचुरियन के सुपरस्पोर्ट पार्क में 197 और 191 रन पर आउट कर भारत के खिलाफ शुरुआती टेस्ट में 113 रन से हार का सामना करना पड़ा। अमला, जिन्होंने 9,000 से ज्यादा टेस्ट रन बनाए ने शुरुआती टेस्ट में "निष्पक्ष" परिणाम को स्वीकार किया।

उन्होंने कहा, “ये एक उचित परिणाम था, सेंचुरियन दिन बढ़ने के साथ बल्लेबाजी करने के लिए और ज्यादा कठिन होने के लिए जाना जाता है। इसलिए एक बार जब भारत ने टॉस जीता, बल्लेबाजी की और 300 से अधिक रन बनाए, तो प्रोटियाज बल्लेबाजों के लिए उसके बराबर स्कोर बनाना जरूरी था। 130 रन पीछे होने के कारण उन्हें वास्तव में नुकसान हुआ, और ये हार का अंतर बन गया।”

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