भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज राहुल द्रविड़ का मानना है कि युवाओं के खुद को खास समझने का कारण सिर्फ रातोंरात मिली शोहरत या पैसा नहीं बल्कि शुरूआती वर्षों में माता-पिता की जरूरत से ज्यादा मिलने वाली तवज्जो भी नुकसानदेह है ।
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द्रविड़ ने हाल में एक टीवी शो पर महिला विरोधी बयान देने वाले क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और केएल राहुल को लेकर उपजे विवाद के बाद यह बात कही ।
उन्होंने इस बात से इनकार किया कि मोटी कमाई से खिलाड़ियों का चरित्र प्रभावित हो जाता है ।
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उन्होंने ईएसपीएन क्रिकइन्फो से कहा, ‘मैं इसे पैसे से जोड़ना सही नहीं मानता। पैसा मिलने से ऐसा हो सकता है लेकिन यह अकेला कारण नहीं है। यह कम उम्र में भी हो सकता है। कई बार कम आय वाले परिवारों में अगर कोई बच्चा क्रिकेट में खास दिखता है तो परिवार की पूरी ऊर्जा उसी पर लग जाती है।’
उन्होंने कहा, ‘उस एक इंसान के लिए हर कोई कुर्बानी देने लगता है तो वह खुद को खास समझने लगता है। यह काफी कम उम्र से शुरू हो जाता है और बच्चों को लगने लगता है कि मैं खास हूं और सब कुछ मेरे लिए ही है।’
उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ी गरीब हो या अमीर, अगर वह ऐसा महसूस करने लगे तो समस्या होती है। हम कई बार उसका सामना करते हैं। एनसीए पर कई कोचों ने मुझे कहा है कि कई बार सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज और बल्लेबाज सबसे खराब फील्डर होते हैं या उनकी विकेटों के बीच दौड़ खराब होती है।’
द्रविड़ ने कहा कि खिलाड़ियों को संवारने में कोचों और माता-पिता की अहम भूमिका होती है ।
उन्होंने कहा, ‘अगर खिलाड़ी से उम्र छिपाने के लिये कहा जाता है तो वह गलत है। आप उसे बेईमानी सिखा रहे हैं। छोटे बच्चों के सामने यह सही मिसाल नहीं है। माता- पिता का कोचों पर बरसना या कोच या अंपायर को गलत ठहराना भी सही नहीं है क्योंकि बच्चे को लगता है कि यही सही है।’
(इनपुट-भाषा)