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द्रविड़ के मुश्किल सवाल का विराट कोहली ने दिया ईमानदार जवाब- फर्क तो पड़ता है

द्रविड़ के मुश्किल सवाल का विराट कोहली ने दिया ईमानदार जवाब- फर्क तो पड़ता है

कोहली ने टेस्ट क्रिकेट में लंबे वक्त बाद सेंचुरी लगाई. अहमदाबाद टेस्ट के बाद उन्होंने कोच राहुल द्रविड़ के साथ लंबी बातचीत की. कोहली ने बताया कि आखिर वह कैसे शतक न बना पाने के दबाव को झेलते हैं.

Updated: March 14, 2023 12:20 PM IST | Edited By: Bharat Malhotra
अहमदाबाद: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अहमदाबाद टेस्ट ड्रॉ रहा और भारत ने सीरीज 2-1 से अपने नाम की. विराट कोहली ने अहमदाबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के चौथे मैच में शानदार शतक लगाया. कोहली ने 186 रन की पारी खेली. इससे पहले कोहली ने नवंबर 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ सेंचुरी लगाई थी. अपने टेस्ट करियर के 28वें शतक के लिए पूर्व भारतीय कप्तान को काफी लंबा इंतजार करना पड़ा. लेकिन कोहली का मानना है कि अहमदबाद की पिच पर उन्हें अंदाजा हो गया था कि आज शतक बन सकता है. कोहली ने यह बात किसी और से नहीं बल्कि मुख्य कोच राहुल द्रविड़ को कही.

आपके दिमाग में क्या चल रहा था?

बीसीसीआई.टीवी पर राहुल द्रविड़ ने कोहली से सवाल पूछा, 'मैं जानता हूं कि आप उन खिलाड़ियों में से हैं जो अपने प्रदर्शन पर पूरी जान लगा देते हैं और उस पर गर्व महसूस करते हैं. ऐसे खिलाड़ी जिसे नियमित रूप से 100 लगाने की आदत है. मैं जानता हूं कि इस बीच कोविड था, तो बहुत ज्यादा टेस्ट मैच हुए नहीं लेकिन फिर भी इतने लंबे समय तक टेस्ट शतक नहीं लगाने का थोड़ा सा तो मलाल होगा. मुझे आपकी कुछ अन्य पारियां काफी पसंद हैं. केपटाउन में 70 रन की पारी बहुत ही अच्छी थी. लेकिन क्या शतक नहीं लगा पाना कहीं ने कहीं आपके दिमाग में चल रहा था?'

कोहली, जो इस सीरीज में अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे लेकिन चौथे टेस्ट से पहले उन्होंने सेंचुरी नहीं लगाई थी, ने कहा कि वह कभी भी 40 या 50 रन बनाकर खुश नहीं थे.

'मुझे चिंता हो रही थी'

उन्होंने कहा, 'सच कहूं तो मेरी असफलताओं के चलते मैंने खुद अपने लिए परेशानियों को बढ़ने दिया. सैकड़ा बनाने की निराशा ऐसी चीज है जो एक बल्लेबाज होने के नाते आप पर हावी होती जाती है. कुछ हद तक मैंने भी इसे अपने साथ होने दिया. लेकिन इसके बरक्स देखें तो मैं 40-45 बनाकर खुश होने वालों में से नहीं हूं. टीम के लिए अपने योगदान को लेकर मैं काफी गर्व महसूस करता हूं. यह ऐसा नहीं है कि कब सिर्फ विराट कोहली ही नजर आना चाहिए. जब मैं 40 पर बल्लेबाजी कर रहा हूं, और मुझे पता हो कि मैं 150 बना सकता हूं. इसका मुझ पर काफी असर पड़ रहा था कि आखिर मैं टीम के लिए वह बड़ा स्कोर नहीं बना पा रहा हूं? क्योंकि मुझे इस बात पर गर्व होता है कि जब टीम को मेरी जरूरत थी तो मैंने अच्छा प्रदर्शन किया. मैंने मुश्किल परिस्थितियों में रन बनाए. तथ्य यही था कि मैं ऐसा कर नहीं पा रहा था. यही चिंता मुझे सता रही थी.'

यह विराट कोहली के टेस्ट करियर का 28वां शतक था. भारतीय धरती पर 14वां. इससे वह वीरेंदर सहवाग, दिलीप वेंगसरकर और मोहम्मद अजहरुद्दीन से आगे निकल गए. लेकिन कोहली ने कहा कि वह कभी भी इन रिकॉर्ड के बारे में नहीं सोचते हैं.

'फर्क तो पड़ता है'

कोहली ने कहा, 'यह कभी रिकॉर्ड्स के बारे में नहीं है. कई लोग मुझसे पूछते हैं, 'आप कैसे वे शतक बनाते रहते हैं.' और मैं हमेशा कहता हूं कि शतक मेरे भीतर चल रहे उस लक्ष्य के सफर का हिस्सा भर है, जो टीम के लिए जितना लंबे समय तक हो सके बल्लेबाजी करते रहना. लेकिन मैं बिलकुल ईमानदारी से जवाब देना चाहूंगा कि जैसे ही आप होटल के कमरे से बाहर निकलते हैं आपके लिए चीजें थोड़ी मुश्किल हो जाती हैं, होटल के कमरे के बाहर खड़ा शख्स हो या कोई आपको लिफ्ट में मिले या बस ड्राइवर, हर कोई यही कहता है, 'हमें सेंचुरी चाहिए' तो आपके दिमाग में हमेशा चलता रहता है लेकिन यही इतने लंबे समय तक खेलते रहने की खूबसूरती है कि आपके सामने ये चुनौतियां आती हैं और आप उनसे पार पाने की कोशिश करते रहते हैं.'
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