नई दिल्ली: सौरभ गांगुली को भारतीय क्रिकेट के सबसे महान कप्तानों में शुमार किया जाता है। भारतीय क्रिकेट को संवारने और अगली पीढ़ी के क्रिकेटर्स को तैयार करने का श्रेय अकसर गांगुली को दिया जाता है। गांगुली की कप्तानी में ही हरभजन सिंह, युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग, मोहम्मद कैफ, आशीष नेहरा, जहीर खान और महेंद्र सिंह धोनी जैसे खिलाड़ियों को निखरने का मौका मिला।
आज सौरभ गांगुली का 50वां जन्मदिन है। उनके करियर में तमाम उपलब्धियों के साथ-साथ, कई विवाद भी रहे। इसमें टीम के कोच रहे ग्रेग चैपल के साथ उनके रिश्ते खासा चर्चा में रहे। इसकी वजह से गांगुली को टीम से बाहर भी होना पड़ा। कहा जाता है कि गांगुली इसकी वजह से नींद की गोलियां भी लेने लगे थे।
गांगुली ने हालांकि इस बात से इनकार किया है। अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ को दिए एक खास इंटरव्यू में गांगुली ने कहा, ‘नहीं यह सच नहीं है। पर हां, मै बहुत ज्यादा गुस्सा होने लगा था। मुझे खीझ होने लगी थी लेकिन मैंने दोगुनी मेहनत की। मैं खुद को साबित करने के लिए प्रतिबद्ध था। मुझे मालूम था कि मुझमें अभी काफी क्रिकेट बाकी है। मैं किसी भी कीमत पर खुद को उस इनसान को साबित करना चाहता था।’
वह सौरभ गांगुली ही थे जिन्होंने चैपल को भारतीय टीम का कोच बनाने की वकालत की थी। उन्होंने बीसीसीआई को राजी किया था कि चैपल को कोचिंग की जिम्मेदारी दी जाए। तो क्या यह एक गलती थी। इस पर पूर्व कप्तान ने कहा कि वह इसे गलती के तौर पर नहीं याद करते हैं। गांगुली ने कहा कि आप जब किसी को नियुक्त करते हैं तो बस नियुक्त करते हैं। अगर यह काम नहीं करता तो नहीं करता है। यह जिंदगी का हिस्सा है, तो मैं इसे गलती नहीं मानता।
साल 2006 में जब गांगुली को वनडे टीम से बाहर किया गया तो वह बल्लेबाजों की रैंकिंग में चौथे नंबर पर थे। और गांगुली ने कहा कि यही वजह है कि वह मानते हैं कि यह सिर्फ प्रदर्शन की बात नहीं थी।