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'...हमारा यह ब्लंडर था 2019 वर्ल्ड कप हार की एक वजह', पूर्व कोच ने कहा- रोहित-द्रविड़ न करें यह गलती

'...हमारा यह ब्लंडर था 2019 वर्ल्ड कप हार की एक वजह', पूर्व कोच ने कहा- रोहित-द्रविड़ न करें यह गलती

श्रीधर ने कहा कि हमारे पास पूरा वक्त था. यह हमारी गलती है कि हमने उस पर काम नहीं किया. हमें किसी भी खिलाड़ी को पूरा मौका नहीं दिया. और आखिर में जब हमें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी तभी हम असफल हो गए.

Updated: February 23, 2023 3:39 PM IST | Edited By: Bharat Malhotra
नई दिल्ली: विराट कोहली और रवि शास्त्री ने भारतीय क्रिकेट को कई तरह से बदला. इसमें से फिटनेस एक थी. लेकिन इस जोड़ी की जिस एक बात को लेकर आलोचना की जाती है वह है कोई आईसीसी ट्रॉफी नहीं जितवा पाना. 2019 के वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भारत को न्यूजीलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. इस टूर्नमेंट के बाद भारतीय टीम की एक बड़ी कमी सामने आई थी. और वह थी कि नंबर चार पर कोई मजबूत बल्लेबाज नहीं था. भारत ने वर्ल्ड कप के दौरान कई खिलाड़ियों को आजमाया था लेकिन कोई भी उस जगह को भर नहीं पाया. भारतीय टीम के पूर्व फील्डिंग कोच आर. श्रीधर को आज तक नंबर चार पर खिलाड़ी नहीं मिलने का मलाल है.

नहीं समझे कीमत

श्रीधर ने अपनी हालिया किताब में लिखा, 'कई फैसले जो हमने लिए उनसे अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए. इसमें एक बड़ी कमी थी जिसके लिए हम पर समय का दबाव भी नहीं था. मैं, बात कर रहा हूं साल 2019 में नंबर चार पोजीशन के बल्लेबाज की. हालांकि हमारे पास साल 2015 के बाद से इस पोजिशन के लिए खिलाड़ी की तलाश करने और उसे सेट करने के लिए चार साल का वक्त था. नंबर चार बल्लेबाजी क्रम में बहुत अहम पोजीशन होती है. वह इस तरह का बल्लेबाज होता है जो सलामी बल्लेबाजों, टॉप थ्री से बैटन थामना, और उसे फिनिशर्स को थमाना होता है. आपको ऐसे खिलाड़ी की जरूरत होती है जो ज्यादातर समय में 80-90 के स्ट्राइक रेट से रन बना सके और फिर 100 के स्ट्राइक रेट से चीजें खत्म कर सके. यह एक हुनर है, यह सीखना पड़ता है. यह नैचरल नहीं आता है. दुर्भाग्य से हमने किसी को सेटल होने, असफल होने और सीखने का मौका नहीं दिया.

'हमें फौरन नतीजे चाहिए थे'

उन्होंने आगे लिखा, 'हमें नतीजे फौरन चाहिए थे और तो अगर कोई दो या तीन मैचों में फेल होता तो हम अगले खिलाड़ी को आजमाने लगते. मेरे पास सच में इसका कोई बहाना नहीं है, हमारे पास इस पूरे वक्त के लिए एक ही बल्लेबाजी कोच (संजय बांगड़), एक ही फील्डिंग कोच (मैं), सिर्फ 2016 के वेस्टइंडीज दौरे को छोड़कर. मुख्य कोच रवि शास्त्री और बोलिंग कोचिंग कोच भरत अरुण उस एक साल के लिए नहीं थे जब अनिल कुंबले ने पदभार संभलाा था. लेकिन, इतना सब कहने के बाद भी हमारे पास काफी वक्त था कि हम उस पोजिशन के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार तलाश लेते.मेरी नजर में ऐसा कर पाने में असमर्थ रहना एक गलती थी जिसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता था. यह एक प्रक्रिया संबंधी गलती थी. इस ब्लंडर के लिए कई कारक जिम्मेदार थे, जो वापस आए और इसका खमियाजा हमें उस समय भुगतना पड़ा जब यह सब सबसे ज्यादा मायने रखता था.'

'हमने ब्लंडर किया'

श्रीधर ने आगे कहा, 'नंबर चार पोजिशन के बारे में कुछ नहीं बोला गया. इसे हल्के में लिया गया. यह एक बहुत बुरा रवैया है. हमने एक बड़ी गलती की और जहां तक टूर्नमेंट की बात है उसका हमें बड़ा खमियाजा भुगतना पड़ा. सिवाय अंबाती रायुडू के सिवाय किसी ने इस पोजिशन पर सात से ज्यादा मैच नहीं खेले. श्रीलंका के खिलाफ दिसंबर 2018 में घरेलू सीरीज में महेंद्र सिंह धोनी और दिनेश कार्तिक ने नंबर चार पर बल्लेबाजी की. जब हम जनवरी की शुरुआत में साउथ अफ्रीका गए तो अंजिक्य रहाणे ने उस पूरी सीरीज में नंबर चार पर बल्लेबाजी की. इंग्लैंड में केएल राहुल थे. मैं देख पा रहा हूं कि हमने कहां गड़बड़ कर दी.'

उन्होंने कहा, 'मैं मानता हूं कि एक ऐसे ग्रुप जिसने कई अन्य चीजें बहुत सही कीं उनके लिए यह सब उसके चरित्र से अलग था. मेरे कहने का अर्थ है, हम रवि, संजय, अरुण, विराट और मेरे खुद के लिए, हम सबके लिए यह किसी झटके से कम नहीं था. हम किसी भी खिलाड़ी में उस पोजिशन पर खेलने के लिए जरूरी आत्मविश्वास पैदा नहीं कर सके. और इसमें कोई हैरानी की बात नहीं कि जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, हमें इसका असर देखने को मिला.'

भारत का टॉप ऑर्डर काफी मजबूत था और ज्यादातर मैचों में उसी ने टीम की नैया पार लगाई थी. इसके अलावा हार्दिक और धोनी जैसे फिनिशर थे, जो निचले क्रम में मैच खत्म कर सकते थे. ऐसे में टीम प्रबंधन ने नंबर चार की अहमियत को समझा ही नहीं. और खुद इस बात को माना. उन्होंने कहा, ' शायद, हम इस बात को लेकर भटक गए थे कि हमारे पास टॉप में रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली हैं और फिनिशर के रूप में महेंद्र सिंह धोनी और हार्दिक पंड्या हैं. इस वजह से हमने नंबर चार के बल्लेबाज की उपयोगिता को नजरअंदाज कर दिया. जब मुश्किल आई तो हम प्रतिक्रिया नहीं दे पाए. मैं जानता हूं कि यह कहने की मेरी जगह नहीं है लेकिन इसमे एक सबक है जो थिंक टैंक को आगे की रणनीति बनाने में मदद कर सकता है. मैं सही आत्मविश्वास के साथ कह सकता हूं कि मुझे नहीं लगता कि रोहित और राहुल वही गलती दोहरा रहे हैं.'
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