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हैप्पी बर्थडे शोएब अख्तर: जानें रावलपिंडी एक्सप्रेस से जुड़ी 13 खास बातें

पूर्व पाक गेंदबाज शोएब अख्तर का जन्म 13 अगस्त 1975 को रावलपिंडी, पंजाब में हुआ था।

शोएब अख्तर (ICC)

13 अगस्त 1975 को रावलपिंडी में पैदा हुए शोएब अख्तर एक बेहद गरीब परिवार से आते हैं। अख्तर ने एक लंबा समय एक कमरे के कच्चे मकान में बिताया है।


युवा शोएब अख्तर बिना किसी साधन के पहाड़ों पर पत्थरों की मदद से गेंदबाजी का अभ्यास किया करते थे। अख्तर ने द क्रिकेट मंथली को दिए बयान में कहा था कि ऐसा करने पर उनके दोस्त उन्हें पागल कहा करते थे लेकिन इस तरह पत्थरों से अभ्यास करने की वजह से ही उनका शरीर तेज गेंदबाजी करने के लायक हुआ।


अख्तर केवल तेज गेंद ही नहीं फेंकते थे, बल्कि बल्लेबाज को चकमा देने के लिए योजना बनाकर उसके लिए जरूरी फील्ड भी सेट किया करते थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक मैच में अख्तर ने मैथ्यू हेडन को आउट करने के लिए पहले तो लगातार शॉर्ट लेंथ गेंद का इस्तेमाल कर उन्हें बैकफुट पर जाने के लिए मजबूर कर दिया और फिर शानदार यॉर्कर की मदद से हेडन को पूरी तरह चकमा दिया। ऐसे में भारत के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग के खिलाफ अख्तर ने स्टंप्स में गेंदबाजी करने का ऐसा तरीका ढूंढ निकाला था, जिससे भारतीय सलामी बल्लेबाज अक्सर चकमा खा जाता था।


इस बात में कोई दोराय नहीं है कि अख्तर क्रिकेट जगत के सबसे तेज पेसर्स में से एक हैं लेकिन उनके हिसाब से पाकिस्तान के मोहम्मद जाहिद दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज थे।


अख्तर अपने करियर के दौरान नेट प्रैक्टिस को खास तवज्जो नहीं देते थे। उनका मानना था कि अगर नेट में गेंदबाज को मार पड़ती है तो उसे फैंस के सामने स्टेडियम में चौका पड़ने पर महसूस होने वाले अपमान का सामना नहीं करना पड़ता।


अख्तर कभी भी उन खिलाड़ियों में से नहीं रहे, जिन्हें मैदान पर अपने शांत स्वभाव के लिए जाना जाता हो। हालांकि मैदान से बाहर कई खिलाड़ियों के साथ उनकी गहरी दोस्ती थी लेकिन मैदान पर वो हमेशा आक्रामक रवैया दिखाते थे। एक किस्सा ऐसा भी है जब साथी खिलाड़ी मोहम्मद आसिफ को बैट से मारने की वजह से पीसीबी को इस तेज गेंदबाज को सस्पेंड करना पड़ गया था। हालांकि अख्तर के मुताबिक दोनों खिलाड़ी मैच के बाद साथ में वक्त बिता रहे थे और इस दौरान अख्तर के बैट घुमाने पर आसिफ को चोट आ गई।


2003 विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेली सचिन तेंदुलकर की 98 रनों की पारी क्रिकेट इतिहास की सबसे यादगार पारियों में से एक है। इस दौरान तेंदुलकर ने अख्तर के खिलाफ प्वाइंट की तरह से खूबसूरत अपर कट लगाकर 6 रन कमाए थे। तेंदुलकर के उस शॉट को विश्व कप के सबसे अहम पलों में गिना जाता है। अख्तर के साथी रहे वसीम अकरम ने एक बयान में खुलासा किया कि उस शॉट से अख्तर इतना ज्यादा निराश हो गए थे कि उन्होंने कप्तान वकार यूनिस से कहा था कि उन्हें अटैक से हटा दें। हालांकि उस मैच में अख्तर ने ही तेंदुलकर का विकेट लिया था।


किसी भी तेज गेंदबाज के लिए इंजरी से बच पाना लगभग नामुमकिन है। अख्तर को भी अपने करियर में कई घातक चोटों का सामना करना पड़ा लेकिन इस जिद्दी खिलाड़ी ने दर्द से हार नहीं मानी। अख्तर ने एक बयान में कहा था कि घुटनों के दर्द की वजह से वो मैदान पर लड़खड़ाकर चल रहे थे। उन्होंने बताया कि 18 साल के करियर के दौरान एक भी दिन ऐसा नहीं था, जब उनके घुटनों में दर्द ना हुआ हो।


बाउंसर्स और बीमर को अपना हथियार बनाने वाले अख्तर को बिल्कुल पसंद नहीं था कि उनकी गेंद से कोई बल्लेबाज घायल हो। हालिया बयान में अख्तर ने बताया कि धोनी की धमाकेदार बल्लेबाजी से परेशान होकर जब उन्होंने इस भारतीय बल्लेबाज के खिलाफ जानबूझकर बीमर कराई तो बाद में उनसे माफी भी मांगी।


अब तक की कहानी को पढ़ने के बाद आप यही मानेंगे कि अख्तर के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी तेंदुलकर थे लेकिन ऐसा नहीं है। अख्तर भारत के पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ को क्रिकेट के मैदान पर अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानते थे। द्रविड़ ना केवल अपनी बल्लेबाजी तकनीक बल्कि अपने शांत स्वभाव से भी आक्रामक अख्तर को काफी परेशान किया करते थे। अख्तर ने एक बयान में कहा था कि द्रविड़ उन्हें उबा दिया करते थे।


शोएब अख्तर उन गेंदबाजों में से एक थे, जो बल्ले के साथ भी अहम पारियां खेलते थे। अख्तर इंग्लैंड के खिलाफ एक मैच में तब बल्लेबाजी करने उतरे जब पाक टीम ने 80 रन पर 5 विकेट खो दिए थे। उस मैच में उन्होंने 16 गेंदो पर पांच चौकों और तीन छक्कों की मदद से 43 रन की शानदार पारी खेली थी।


किसी भी गेंदबाज के लिए भारतीय दिग्गज सचिन तेंदुलकर का विकेट लेना बेहद मायने रखता था। ऐसे में 1999 के दौरे पर भारत आए अख्तर ने भी तेंदुलकर के विकेट की कामना की। और कोलकाता में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में उन्होंने क्रिकेट के भगवान को पहली ही गेंद पर शून्य के स्कोर पर आउट किया। अख्तर की वो बेहतरीन यॉर्कर गेंद भारतीय फैंस के दिल में आज भी चुभती है।


90 के दशक के क्रिकेट फैंस के लिए पाकिस्तान के अख्तर और ऑस्ट्रेलिया के ब्रेट ली, दो सबसे तेज गेंदबाज थे। इन दोनों गेंदबाजों के बीच सबसे तेज डालने की एक अनकही प्रतिद्वंद्विता चलती रहती थी। जिसे साल 2003 के विश्व कप में अख्तर ने जीता, जब उन्होंने निक नाइट को 161.3 kmph की रफ्तार से गेंद कराई। अख्तर की ये गेंद विश्व कप इतिहास की सबसे तेज गेंद है।


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