मेहनत और किस्मत की बदौलत प्लेऑफ तक पहुंचने में कामयाब रही राजस्थान
14 में से सात मुकाबले जीतकर राजस्थान ने बनाई थी प्लेऑफ में जगह, एलिमिनेटर में हुई बाहर।
दो साल के बाद वापसी कर रही चेन्नई सुपर किंग्स ने भले ही आईपीएल 2018 का खिताब अपने नाम किया हो, लेकिन इस सीजन में ऐसी टीमें भी रही जो खिताब तो अपने नाम नहीं कर पाई, लेकिन अपने प्रदर्शन से जरूर इन टीमों ने सभी का ध्यान अपनी और केंद्रित किया। राजस्थान रॉयल्स इसी का एक उदाहरण हैं। राजस्थान की टीम लीग स्टेज के 14 मैचों में सात जीत के साथ चौथे नंबर पर रही।
दूसरी टीमों की हार से खुली राजस्थान की किस्मत
शुरु से ही दमदार प्रदर्शन के कारण माना जा रहा था कि हैदराबाद और चेन्नई की टीम प्लेऑफ में जगह बना लेगी। बाकी दो स्थानों के लिए राजस्थान, पंजाब और कोलकाता के बीच जंग रहेगी। सीरीज के अंतिम पड़ाव में एकाएक प्वाइंट्स टेबल में सबसे निचले पायदान पर मौजूद मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। इन दोनों टीमों ने सभी का गणित बिगाड़ दिया।
पंजाब आखिरी सात मैचों में केवल एक जीत के साथ बाहर हो गया, लेकिन राजस्थान की स्थिति भी अंत में कुछ खास नहीं रही। प्लेऑफ में जगह बनाने के लिए काफी हद तक वो मुंबई और पंजाब की हार पर निर्भर था। 20 मई को प्लेऑफ के आखिरी दिन पहले दिल्ली ने मुंबई को हरा दिया। जिसके बाद दूसरे मैच में चेन्नई के हाथों पंजाब को मिली पांच विकेट से हार ने राजस्थान के प्लेऑफ का रास्ता साफ किया।
जोस बटलर ने लगाए लगातार पांच अर्धशतक
राजस्थान रॉयल्स का प्रदर्शन इस सीजन में औसत रहा। शुरु से ही राजस्थान के बल्लेबाजी क्रम को काफी कमजोर माना जा रहा था और टूर्नामेंट के दौरान ऐसा नजर भी आया। हालांकि इंग्लैंड के जोस बटलर ने राजस्थान के लिए लगातार पांच मैचों में अर्धशतक लगाकर टीम को अच्छी स्थिति में पहुंचा दिया। लगातार पांच अर्धशतक लगाकर बटलर ने वीरेंद्र सहवाग के रिकॉर्ड की बराबरी की।