Andrew Symonds: एक सफल और विवादित ऑलराउंडर जिसने शौहरत की नई ऊंचाइयों को छुआ
इंग्लैंड में जन्मे एंड्रयू साइमंड्स की मृत्यु शनिवार को क्वीन्सलैंड प्रांत में एक सड़क हादसे के दौरान हुई. उनकी मौत से क्रिकेट जगत पूरी तरह से सकते में हैं.
किसी को भी क्रिकेट में नाम मात्र की ही दिलचस्पी क्यों ना हो लेकिन एंड्रयू साइमंड्स (Andrew Symonds) की मृत्यु से हर कोई सकते में है. साइमंड्स की मौत ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड में एक सड़क हादसे के दौरान शनिवार को हुई. उनकी क्रिकेट की सोच भले ही ऑस्ट्रेलिया जैसी ही हो लेकिन हुलिया एक टिपिकल ऑस्ट्रेलियन जैसा नहीं था. उनका जन्म इंग्लैंड में हुआ. हालांकि हमने पहली बार उनका नाम तब सुना जब परिजन उन्हें ऑस्ट्रेलिया से इंग्लैंड लेकर आए. साल 1994-95 में साइमंड्स ने ऑस्ट्रेलिया के घरेलू क्रिकेट में दस्तक दी. जिसके बाद जल्द ही वो ऑस्ट्रेलियाई जर्सी में नजर आए.
मंकी गेट प्रकरण से भारत में बटोरी सुर्खियां
करियर के शुरुआती दिनों के दौरान एंड्रयू साइमंड्स को लेकर इस तरह की चर्चाएं आम थी कि क्या उन्हें ऑस्ट्रेलिया की जगह इंग्लैंड की टीम से खेलने का मौका मिलना चाहिए. इस बल्लेबाज ने ऑस्ट्रेलिया में खेलने को ही तरजीह दी. भारतीय क्रिकेट से उनका संबंध आईपीएल से पहले तक खास अच्छा नहीं रहा. साइमंड्स और हरभजन सिंह के बीच साल 2008 में सामने आए मंकीगेट प्रकरण से तो हर कोई वाकिफ है. दोनों ही ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपनी बात से पीछे नहीं हटते.
आईपीएल के दौर में इस कंगारू क्रिकेटर ने शुरुआत डैकन चार्जर्स के साथ की. साल 2011 में वो मुंबई टीम का हिस्सा बने जहां हरभजन सिंह पहले से खेल रहे थे. दोनों ही क्रिकेटर्स ने पुराने प्रकरण को पीछे छोड़ते हुए साथ मिलकर क्रिकेट खेला.
शानदार करियर लापरवाही से हुआ बर्बाद
ऐसा नहीं था कि साइमंड्स ही ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने भज्जी से झगड़ा मोल लिया. उस दौर के सभी क्रिकेटर्स स्लेजिंग को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते थे ताकि विरोधी टीम की मानसिक एकाग्रता को तोड़ा जा सके. साइमंड्स को थोड़ा आवारा किसम का खिलाड़ी माना जाता था. कई बार अनुशासन तोड़ने के लिए उनपर कार्रवाई भी की गई. यही वजह थी कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने उनका कांट्रैक्ट रद्द कर दिया था. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया का यह सितारा कही खो सा गया और फिर कभी सुर्खियों का हिस्सा नहीं बना.
मार्श-वार्न की तर्ज पर किया जाएगा याद
एक अच्छे बल्लेबाज और तेज तर्रार रिफ्लेक्स के चलते वो हमेशा से ही अपने पास खड़े सबसे करीबी फील्डर के लिए खतरा बने रहे. वो ऑफ स्पिन के साथ-साथ मध्यम गति की गेंदबाजी भी कर लेते थे लेकिन उनका सबसे मजबूत पक्ष बल्लेबाजी ही थी. क्रिकेट में उनकी मौजूदगी को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के अन्य दिग्गज रॉडनी मार्श और शेन वार्न की तर्ज पर ही भूली नहीं जा सकती है.