टीम इंडिया पूर्व फील्डिंग कोच का खुलासा, Ravi Shastri से हमेशा रहे मतभेद...

पूर्व क्षेत्ररक्षण कोच आर श्रीधर ने भारतीय ड्रेसिंग रूम में बिताए सात वर्षों को ‘अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ पल’ करार देते दिया है. श्रीधर ने इस बात का खुलासा किया है कि कोच रवि शास्त्री के साथ उनके मतभेद भी रहे…

By India.com Staff Last Published on - December 11, 2021 11:44 AM IST

आर श्रीधर (Ramakrishnan Sridhar) ने भारतीय टीम के साथ 7 साल बिताए हैं. पूर्व फील्डिंग कोच ने इसे ‘अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ पल’ बताया है. आर श्रीधर के मुताबिक कोचिंग के दौरान टीम का ‘बुरा प्रदर्शन’ वास्तव में ‘कोचिंग के लिए अद्भुत अवसर’ होता है. इसके साथ ही श्रीधर ने खुलासा किया है कि पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री (Ravi Shastri) के साथ उनका अक्सर मतभेद रहता था.

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भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ महज 36 रन पर सिमट गई थी. टीम के खराब प्रदर्शन के बारे में श्रीधर ने कहा, ‘‘यह सीखने का शानदार मौका था. कोच के रूप में मेरे लिए खराब दिन कोचिंग का शानदार अवसर होता है. कोचिंग के अवसर से मेरा मतलब खिलाड़ियों को समझने, उनके साथ अच्छे संबंध बनाने, आवश्यकता पड़ने पर उन्हें तकनीकी और मानसिक रूप से प्रशिक्षित करने का अवसर देने के बारे में है. इससे आपको खिलाड़ी और टीम के बारे में पता चलता है. मूल रूप से बुरे दिनों का आपका बर्ताव आपके व्यक्तित्व को बताता है.’’

श्रीधर से जब पूछा गया कि क्या उनके तत्कालीन मुख्य कोच रवि शास्त्री और गेंदबाजी कोच भरत अरुण से मतभेद होते थे, तो उन्होंने कहा कि सर्वश्रेष्ठ नतीजे या फैसले के लिए मतभेद होना जरूरी है.

सात साल तक भारतीय टीम के क्षेत्ररक्षण कोच रहे इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि सर्वश्रेष्ठ निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए सभी कोच के बीच मतभेद होना जरूरी है. हमारे बीच हमेशा मतभेद होते थे चाहे वह मैं, रवि भाई (शास्त्री), भरत सर, हो या पहले संजय (बांगड़) और फिर बाद में विक्रम (राठौड़). लेकिन हम सभी एक ही लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम कर रहे थे.”

आर श्रीधर ने आगे कहा, “इसमें कई बार दो लोग सहमत होते हैं, कई बार ऐसा नहीं होता है.. हम मुद्दे के अलग-अलग दृष्टिकोण पर बातचीत के बाद वही निर्णय लेते हैं जो भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे उपयुक्त है. हमें ऐसा कभी नहीं लगा कि हमारे विचारों को खारिज कर दिया गया है.’’

उन्होंने मुख्य कोच शास्त्री की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘रवि भाई (शास्त्री) को आप कभी भी खेल से जुड़े सुझाव दे सकते हैं और वह उसे खारिज नहीं करेंगे. उनमें नेतृत्व गुण और मानव प्रबंधन का शानदार कौशल है. उनमें टीम के हित में बोर्ड से कोई भी फैसला करवा लेने की क्षमता है. उनका कद बहुत बड़ा था और वह खिलाड़ियों की मानसिकता अच्छे से समझते थे.”