मिसबाह का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से पहले का पूरा सफर

मिसबाह ने एमबीए पूरा करने के बाद प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया था।

By Devbrat Bajpai Last Published on - September 10, 2016 6:03 PM IST

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पाकिस्तान टेस्ट टीम के कप्तान मिसबाह उल हक बिना किसी शक के विश्व के सबसे सफलतम कप्तान हैं और उन्हें पूरी दुनिया में एक महान क्रिकेटर माना जाता है। वह मिसबाह ही थे जिन्होंने साल 2010 स्पॉट फिक्सिंग कांड के बाद पाकिस्तान टीम का भार अपने कंधों पर लेने की जहमत दिखाई। उन्होंने टीम की कप्तानी ही नहीं की बल्कि टीम को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया जिसके बारे में 2010 के बाद शायद ही सोचा गया था। पूर्व पाकिस्तानी कप्तान इमरान खान की ही तरह मिसबाह को भी पाकिस्तान टीम के एक बेहद ही सम्मानित खिलाड़ी के रूप में देखा जाता है। उनके क्रिकेटिंग करियर को लेकर बतौर कप्तान अब तक बहुत बहसें हो चुकी हैं लेकिन उनकी क्रिकेटर बनने की यात्रा कुछ ज्यादा ही दिलचस्प है।

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मिसबाह ने हाल ही में पाकिस्तान के एक लोकप्रिय शो— ‘द स्पोर्ट्समेन’ में अपने क्रिकेटर बनने की यात्रा के बारे में बताया। इस शो को होस्ट पूर्व पाकिस्तानी तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने किया। मिसबाह ने उनसे अपनी स्टोरी साझा की। उन्होंने कहा, “यह तथ्य है कि हर क्रिकेटर के पीछे एक कहानी होती है और मेरी कहानी थोड़ी कठिन है क्योंकि मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में थोड़ी देरी से आया। हां, मैं क्रिकेट अपने स्कूल के दिनों से ही खेलता था लेकिन असल क्रिकेट मैंने साल 1992 के बाद से शुरू किया। मैंने तब एफएससी(शायद इंटरमीडिएट) के पेपर दिए थे। उसके बाद मैंने पूर्ण रूप से क्रिकेट खेलना शुरू कर दी। यहां, तक कि लोग क्रिकेट खेलने के लिए मजबूर करते थे। मैं टेप बॉल क्रिकेट में अच्छा था और ज्यादातर समय मैं गेंद को सीधा मारता था। इसलिए लोगों ने सोचा कि मुझे क्रिकेट में उच्च स्तर पर खेलना चाहिए। विशेषतौर पर मेरे चचेरे भाई मियानवाली ग्यामखाना ने मुझे क्रिकेट खेलने के लिए कहा।”

उन्होंने आगे बताया कि कैसे उनके चचेरे भाई ने उन्हें क्रिकेट खेलने को मजबूर किया, “मैं इससे शुरू में दूर भागता था क्योंकि इससे मेरा पूरा दिन खत्म हो जाता था और शुरुआत में मुझे लेदर की गेंद से खेलने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। मुझे टेप बॉल से खेलना पसंद था लेकिन मेरे चचेरे भाई ने मुझे लेदर की गेंद से खेलने के लिए मजबूर किया और जब मैंने लेदर की गेंद से खेलना शुरू किया तो मुझे बहुत मजा आया और मेरा आकर्षण टेप बॉल से हटकर लेदर बॉल पर आ गया। इस तरह ये सब शुरू हुआ।”

मिसबाह ने इस बारे में भी बात की कैसे उन्होंने साथ- साथ अपनी पढ़ाई और क्रिकेट करियर जारी रखा। उन्होंने कहा, “उसके बाद, मैंने क्लब क्रिकेट के लिए कई मैच खेले। उसके बाद मैं फैसलाबाद अपनी बीएसएसी पूरी करने के लिए गया क्योंकि मेरा पिता ने एक बात सीधी कह दी थी। उन्होंने कहा था, “करो जो तुम करना चाहते हो लेकिन तुम्हें कम से कम अपनी शिक्षा पूरी करनी होगी और कोशिश करो कि पोस्ट- ग्रेजुएशन भी कर लो। चाहे मैं अच्छे नंबर प्राप्त करूं या खराब ये मायने नहीं रखता।”

पाकिस्तानी टेस्ट कप्तान ने अपनी जिंदगी और क्रिकेटिंग करियर पर शिक्षा के प्रभाव के बारे में बातचीत करते हुए कहा, “शिक्षा आपका जीवन बदल देती है। यह आपके सोचने का तरीका बदल देती है। आप चीजों को अलग तरीके से देखने लगते हैं। साथ ही मेरे विषय भी डबल थे मैथ्स, फिजिक्स बीएससी में और उसके बाद मैंने एमबीए किया। मैथ्य और फिजिक्स ऐसे विषय हैं जिनके सहारे आप चीजों को हर कोण से और नए प्वाइंट ऑफ व्यू के साथ देख पाते हो। आप चीजों का विश्लेषण करते हुए गहराई में जा पाते हो। इसलिए, जब मैच में निर्णय लेने की बात आती है तो आप चीजों को गहराई में जाकर विश्लेषित करते हैं और साथ ही तेजी से करते हैं।

इसके बाद में उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना शुरू किया। उन्होंने कहा, “जब मैं लाहौर अपनी मास्टर्स डिग्री के लिए गया। एक बार फिर से मेरा चचेरा भाई ताहिर मुझे क्रिकेट खेलने के लिए कहने लगा और मेरा किटबैग वहां भेज दिया। मैं सोचता हूं कि अगर उसने मुझे इतना न कहा होता तो मैं क्रिकेट नहीं खेलता। इसके बाद मैं सर्विस के लिए क्लब क्रिकेट खेलने लगा ताकि मैं अपनी फिटनेस बरकरार रख सकूं। मैंने फिटनेस को बरकरार रखने के लिए क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया और इस दौरान मैं कई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों से मिला। तब मुझे एहसास हुआ कि मुझे भी इस स्तर पर क्रिकेट खेलना चाहिए। मैंने अपना पहला ग्रेड टू क्रिकेट साल 1995 में खेला और उसके बाद एमबीए पूरा करने के बाद मैंने सरोदा के लिए साल 1998/99 में अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू किया।”

मिसबाह ने उसके बाद महान खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “वह स्पेशल अनुभव था। आप(वसीम अकरम) भाई, वकार युनिस, इंजमाम उल हक व अन्य स्टार्स वहां थे। मेरे लिए वह स्थान किसी बच्चे जैसा था जो अपने आपको छिपा लेता है ताकि स्टार्स के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करते हुए कुछ गलत न घटे।”

उसके बाद मिसबाह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और हर गुजरते हुए मैच के साथ उन्होंने अपने गेम में सुधार किया और अंततः पाकिस्तान के लिए साल 2001 में टेस्ट पदार्पण किया। लेकिन उन्हें बड़ा ब्रेक 2007 आईसीसी वर्ल्ड टी20 के बाद मिला।