'टेस्ट तो छोड़िए...', जिसने बुमराह को दिखाई थी आंख, अब उसके पीछे पड़ गए कंगारू दिग्गज
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज माइकल हसी ने युवा खिलाड़ी सैम कोंस्टास को घेरा है और उनपर सवाल उठाए हैं.
Michael Hussey on Sam Konstas: पूर्व ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज माइकल हसी का मानना है कि सलामी बल्लेबाज सैम कोंस्टास को चीजें सीखने में समय लगेगा. कोंस्टास का वेस्टइंडीज के खिलाफ बारबाडोस में प्रदर्शन फ्लॉप रहा था.
कोंस्टास दोनों पारियों में शमर जोसेफ की तेज गेंदबाजी का सामना नहीं कर पाए. 19 वर्षीय कोंस्टास ने पिछले साल भारत के खिलाफ एमसीजी में शानदार अर्धशतक जड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी, लेकिन वह लगातार पिछली पांच टेस्ट पारियों से अर्धशतक नहीं लगा सके हैं.
यह उसके लिए अच्छी सीख
माइकल हसी ने ‘फॉक्स क्रिकेट’ से कहा, “बल्लेबाजी के लिए परिस्थितियां बिल्कुल भी आसान नहीं लग रही थीं, बहुत ज्यादा असमान उछाल था. सीम से साइडवेज मूवमेंट भी था. कोंस्टास अभी भी बहुत युवा खिलाड़ी हैं, वह सिर्फ 19 साल के हैं. वह अभी भी प्रथम श्रेणी स्तर पर अपना खेल समझने की कोशिश कर रहे हैं, टेस्ट मैच स्तर की तो बात ही छोड़िए, ऐसी परिस्थितियों में जो उसके लिए बिल्कुल नई हैं. मुझे नहीं लगता कि उन्होंने कभी वैसी पिचों पर बल्लेबाजी की होगी, जैसी पिचें उन्हें वेस्टइंडीज में मिल रही हैं.”
हसी ने आगे कहा, “यह उनके लिए बहुत अच्छी सीख है. हमें थोड़ा धैर्य रखना होगा. इसमें कुछ समय लगेगा और उन्हें थोड़ा सीखना होगा, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनके पास टैलेंट है. मुझे यकीन है कि यह सफर उतार-चढ़ाव भरा होने वाला है, खासकर शुरुआती कुछ सालों में.”
यह उनके लिए कठिन काम है
हसी के अनुसार यह युवा ओपनर अनजान परिस्थितियों और नई विपक्षी टीम के खिलाफ बल्लेबाजी की सही रणनीति को लेकर थोड़ा असमंजस में नजर आ रहा था. हसी ने कहा, “आप एक ऐसे युवा खिलाड़ी से टेस्ट मैच स्तर पर ऐसा करने के लिए कह रहे हैं, जिसने बहुत ज्यादा प्रथम श्रेणी क्रिकेट नहीं खेला है. यह एक कठिन काम है.”
उन्होंने आगे कहा, “आपको कुछ मुश्किल शुरुआती स्पेल से निकलने के लिए बहुत मजबूत तकनीक की जरूरत होती है. गेंद की चमक उतारनी होती है. फिर दबाव को झेलते हुए भी रन बनाना और गेंदबाजों पर पलटवार करना जरूरी होता है. सामान्य रूप से देखा जाए, तो उनकी तकनीक ठीक-ठाक लगती है, लेकिन इसके बाद खेल का मानसिक पक्ष सामने आता है और वह इसमें थोड़े असमंजस में नजर आते हैं, जो शायद वेस्टइंडीज की अनजानी परिस्थितियों की वजह से है.”