मुझे शांति की जरूरत है, उत्साह की नहीं: रोहित शर्मा
भारतीय टीम के उप कप्तान विश्व कप स्क्वाड के साथ इंग्लैंड पहुंच चुके हैं।
साल 2011 में जब भारतीय टीम ने अपना दूसरा विश्व कप खिताब जीता था तो रोहित शर्मा उस टीम का हिस्सा नहीं थे। जिसका उन्हें काफी दुख है। 2015 में जब रोहित वनडे विश्व कप टीम का हिस्सा बने तो टीम इंडिया सेमीफाइनल में हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई। लेकिन इस बार रोहित के पास मौका है टीम इंडिया को तीसरा विश्व कप जिताने का।
भारत के विश्व कप स्क्वाड के उप कप्तान रोहित शर्मा इस मौके लेकर काफी उत्साहित हैं लेकिन उनका मानना है कि उनके लिए उत्साह से ज्यादा शांत स्वभाव मायने रखता है। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में रोहित ने कहा, “देखिए अगर आप सर्वश्रेष्ठ स्तर पर खेलना चाहते हैं तो आपके अंदर जिस तरह की बेताबी है और आप जो शांति चाहते हैं उसके बीच एक रेखा खींचनी होगी। दोनों ही चीजें जरूरी हैं लेकिन आप किस तरह के इंसान हैं वो नहीं बदलता है, बदलना चाहिए भी नहीं। एक निश्चित बेताबी जीत की भूख जगाने में मदद करती है जबकि शांत स्वभाव आपको जमीन से जोड़े रखता है।”
रोहित से जब पूछा गया कि उनके लिए कौन सा तरीका बेहतर काम करता है तो उन्होंने कहा, “फिलहाल मुझे शांति की जरूरत है, साहसिकता की नहीं। चूंकि मैं काफी क्रिकेट खेल चुका हूं इसलिए मुझे पता है कि ये मेरे लिए काम करता है। जब भी मैंने साहसिकता दिखाई है, मैं अपनी योजनाओं से दूर चला गया हूं। ये मेरे साथ कई बार हुआ है। सही मानसिक स्थिति में ना रहने पर, सही फॉर्म में ना होने पर साहसिकता अपने आप आ गई।”
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रोहित ने ये भी माना कि भले ही अति उत्साहित होना उनके लिए काम नहीं करता हो लेकिन कई खिलाड़ियों के लिए ये काम कर सकता है। उप कप्तान ने आगे कहा, “अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग चीजें काम करती है। किसी के लिए, जब आप फॉर्म से बाहर हों तो नेट्स में जाने की बेताबी, लोगों की राय जानना, इस तरह की चीजें काम करती है। मेरे लिए ये काम नहीं करता। मुझे ये समझने में समय लगा कि मेरे लिए क्या काम करता है। मैं जिस तरह के अपनी जिंदगी को देखता हूं उसी तरह मुझे अपने क्रिकेट को देखना होगा।”