'संजय मांजरेकर को कमेंट्री पैनल से हटाने के फैसले पर फिर से विचार करे BCCI'

बीसीसीआई ने पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर को कमेंट्री पैनल से बाहर कर दिया है।

By India.com Staff Last Published on - March 19, 2020 12:07 PM IST

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के पूर्व क्रिकेट संजय मांजरेकर (Sanjay Manjrekar) को कमेंट्री पैनल से हटाने के फैसले पर क्रिकेट जगत दो गुटों में बंटा हुआ है। इस बीच विदर्भ को लगातार दो रणजी खिताब जिताने वाले कोच चंद्रकांत पंडित (Chandrakant Pandit) ने बीसीसीआई से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की है।

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टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में पंडित ने कहा, “मैं उसे (संजय मांजरेकर) बचपन से जानता हूं। वो ऐसा इंसान नहीं है जो किसी को नुकसान पहुंचाए। वो सीधा और स्पष्ट बात करने वाला शख्स है, जिस वजह से मैंने हमेशा उनका सम्मान किया है। जो इंसान आपके मुंह के सामने सच बोलता है वो किसी को पसंद नहीं आता। बतौर कमेंटेटर उसे अक्सर ऐसी चीजें बोलनी होती हैं जो हर किसी को पसंद नहीं आती। अपनी नौकरी बचाने के लिए वो केवल लोगों को खुश करने वाली बातें नहीं बोल सकता।”

पंडित ने कहा, “संजय किसी के खिलाफ नहीं है। उसके (पैनल से) हटने के लिए मैं किसी को दोषी नहीं ठहरा सकता, लेकिन मैं बोर्ड से अपील करना चाहूंगा कि वो अपने फैसले पर दोबारा सोंचे। मैं ये सब इसलिए कह रहा हूं क्योंकि सभी कमेंटेटर खेल के बारे में अपने विचार सामने रखते हैं जिससे ना केवल युवा खिलाड़ियों बल्कि कोच को भी मदद मिलती है।”

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उन्होंने आगे कहा, “वो उन कमेंटेटर्स में से एक है जो युवा खिलाड़ियों तक ज्ञान पहुंचाने में विश्वा करता है। उसे हटाने से दूसरे कमेंटेटर्स तक गलत संदेश जाएगा। कई लोगों को सीधी, स्पष्ट बातें सुनना अच्छा लगता है। अगर एक बल्लेबाज किसी मुश्किल समय पर खराब शॉट खेलता है तो उसे कमेंट्री के दौरान ये बोलना होता, इसमें गलत क्या है?”

बोर्ड के उन्हें कमेंट्री पैनल से बाहर निकाले जाने से पहले भी मांजरेकर अक्सर फैंस के निशाने पर रहते थे। टीम इंडिया के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा को लेकर किए कमेंट पर मांजरेकर को फैंस की तरफ से काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। साथ ही जडेजा ने भी उन्हें ट्वीट कर जवाब दिया था।

हालांकि पंडिक का मानना कुछ अलग है। उन्होंने कहा, “अक्सर, हम जैसे लोगों को गलत समझा जाता है। कभी कभार, मैं भी खिलाड़ियों के साथ सख्ती बरतता हूं, लेकिन वो स्वीकार किया जा चुका है क्योंकि वो खिलाड़ियों और टीम के हित में था। हर किसी का तरीका अलग होता है लेकिन लक्ष्य एक ही होता है- खेल की भलाई।”