बिहार रणजी ट्रॉफी खेलने के लिए लगा रहा है पूरा जोर, अब बीसीसीआई ने लगाया ये अड़गा
बीसीसीआई के अधिकारियों का मानना है कि अगर बिहार को रणजी खेलने का मौका दे दिया गया तो नार्थ-ईस्ट के राज्य जा सकते हैं अदालत
नई दिल्ली: सौरव गांगुली की अगुवाई वाली बीसीसीआई की तकनीकी समिति ने प्रशासकों की समिति की अगले साल से बिहार को रणजी ट्राफी में शामिल करने की सिफारिश पर आपत्ति व्यक्त की है। कोलकाता में मीटिंग के दौरान जनरल मैनेजर (क्रिकेट संचालन) सबा करीम ने यह सिफारिश पेश की। बैठक में उपस्थित बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सबा करीम के बिहार को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में शामिल करने का सुझाव रखने के बाद समिति ने सर्वसम्मति ने महसूस किया कि इस संबंध में उचित प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए।
अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा , ‘‘सबा करीम सीओए का पत्र लेकर आए थे जिसमें तकनीकी समिति को बिहार को रणजी ट्राफी में शामिल करने के लिए हां करने का सुझाव दिया गया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार हम बिहार को रणजी ट्राफी खेलने से नहीं रोक सकते हैं, लेकिन एक अन्य सदस्य ने सबा से कहा कि इसकी क्या गारंटी है कि अगर हम बिहार को रणजी ट्राफी में खेलने की अनुमति देते हैं तो नगालैंड, मणिपुर और मेघालय अदालत नहीं जाएंगे। अभी तक बीसीसीआई ने नया संविधान स्वीकार नहीं किया है जिसमें लोढ़ा समिति के सुधार शामिल हैं। इसलिए बिहार अब भी पूर्वोत्तर के राज्यों के तरह एसोसिएट सदस्य ही है। ’’
पूर्वोत्तर के राज्यों ने पिछले साल बीसीसीआई अंडर -19 टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था और बोर्ड उन्हें सीधे रणजी ट्राफी में उतारने के बजाय धीरे धीरे प्रणाली से जोड़ना चाहता है। अधिकारी ने कहा , ‘‘ प्रत्येक एसोसिएट सदस्य को निश्चित प्रक्रिया से आगे बढ़ना होता है और सबा करीम को साफ तौर पर कह दिया गया कि तकनीकी समिति ऐसा नहीं सोचती कि बिहार के संबंध में कोई छूट दे देनी चाहिए। उसे जूनियर क्रिकेट अंडर -16, अंडर -19 और अंडर -22 में खेलना होगा और फिर रणजी ट्राफी में वापसी करनी होगी।’’
करीम ने समिति को समझाने की कोशिश की कि बिहार का मामला पूर्वोत्तर की तुलना में थोड़ा अलग है जहां क्रिकेट मुख्य खेल नहीं है और वहां आधारभूत ढांचे की भी कमी है। तकनीकी समिति ने करीम को दो विकल्प दिए या तो सीओए के निर्देशों के अनुसार बिहार को सीधे रणजी ट्राफी में एंट्री दी जाए और अन्य राज्यों से कानूनी कार्रवाई की अपेक्षा करें या फिर उन्हें जूनियर क्रिकेट में लाकर प्रक्रिया का अनुसरण करें। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा , ‘‘यह फैसला सीओए को करना है कि उन्हें कौन सा विकल्प व्यावहारिक लगता है। समिति को जो सही लगा उससे उसने सबा करीम को अवगत करा दिया है।’’