इंग्लैंड बनाम वेस्टइंडीज, फाइनल टी20 विश्व कप 2016: इंग्लैंड की मजबूती और कमजोरी का जायजा
इस टूर्नामेंट में इंग्लैंड ने मात्र एक मैच हारा है जो उसने वेस्टइंडीज के खिलाफ ही लीग राउंड में गंवाया था।

लीग व सेमीफाइनल मैचों में एक बेहतरीन शो के बाद इंग्लैंड टीम के हौंसले बुलंद हैं। इस बीच अगर इंग्लैंड की पूरी टीम के प्रदर्शन का आकलन किया जाए तो उनकी बल्लेबाजी गेंदबाजी के मुकाबले ज्यादा बढ़िया नजर आई है। चाहे दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में जैसन रॉय और जो रूट की विस्फोटक बल्लेबाजी की बात की जाए या सेमीफाइनल मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ अंतिम ओवरों में जोस बटलर की आतिशी बल्लेबाज की, इंग्लैंड ने हर मौके को भुनाने में कोई कौताही नहीं बरती है। इस टूर्नामेंट में इंग्लैंड ने मात्र एक मैच हारा है जो उसने वेस्टइंडीज के खिलाफ ही लीग राउंड में गंवाया था। लेकिन गौर करने वाली बात यह रही थी कि इस मैच में भी इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने निराश नहीं किया था और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए स्कोरकार्ड को 180 के पार पहुंचाया था। ये और बात है कि क्रिस गेल के तूफान के आगे उनके गेंदबाज बेबस नजर आए और इंग्लैंड टीम को मैच में मुंह की खानी पड़ी। ये भी पढ़ें: टी20 विश्व कप 2016, फाइनल(प्रिव्यु): इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच होगी खिताबी टक्कर
इंग्लैंड टीम इसलिए भी मजबूत है क्योंकि उनके ज्यादातर क्रिकेटर क्लब क्रिकेट में आतिशी बल्लेबाजी करने के लिए जाने जाते रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आकर उन्होंने अपनी उस लय को बरकरार रखने में सफलता पाई है। फाइनल मैच के पहले टी20 विश्व कप में दोनों टीमों के आंकड़े भी दिलचस्प हैं दोनों टीमों ने इस टूर्नामेंट को एक- एक बार जीता है ऐसे में वे दो विश्व कप कप टाइटल जीतने के साथ एक रिकॉर्ड बनाना चाहेंगी। ऐसे में किन खिलाड़ियों के दम पर दूसरी बार इंग्लैंड विश्व कप टी20 2016 के फाइनल में अपनी दावेदारी पेश करेगी और कमजोर कड़ी को कैसे भुनाएगा। आइए जानते हैं। ये भी पढ़ें: टी20 विश्व कप 2016 फाइनल: इंग्लैंड की संभावित अंतिम एकादश
मजबूत पक्ष: हाल ही में अपने टी20 अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले जैसन रॉय ने तो जैसे इंग्लैंड क्रिकेट को पंख लगा दिए हैं। रॉय कुछ उसी तरह अपनी पारी की शुरुआत करते हैं जैसे कुछ समय पहले न्यूजीलैंड के ब्रेंडन मैकलम किया करते थे। रॉय पहले ओवर से ही हिटिंग करना शुरू कर देते हैं और इस मामले में वह काफी सफल भी हुए हैं। चाहें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 21 गेंदों में 43 रनों की पारी हो या सेमीफाइनल में ताबड़तोड़ 77 रनों की पारी। हर मौके पर रॉय शानदार नजर आए हैं। वहीं इंग्लैंड क्रिकेट की दीवार के रूप में अपनी पहचान बना चुके जो रूट ने तो जैसे इंग्लैंड क्रिकेट को एक नई पहचान दे दी है। कुछ महीनों पहले जो इंग्लैंड क्रिकेट ढलान में नजर आ रहा था। आज वह जो रूट की बल्लेबाजी के चलते किसी भी परिस्थिति में मैच में वापसी करने के लिए तत्पर रहता है। अब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच को ही ले लीजिए जिसमें इंग्लैंड ने 230 रनों के विशाल स्कोर का पीछा करते हुए एक समय 100 रनों के भीतर अपने 3 विकेट गंवा दिए थे और लग रहा था मैच अब गया तब गया लेकिन रूट के होते हुए किसी को कोई चिंता करने की जरूरत नहीं थी और उन्होंने अकेले दम पर इंग्लैंड को विजयी रथ पर सवार कर दिया।
यही नहीं रूट ने सेमीफाइनल मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ जिस तरह से संभलकर बल्लेबाजी की उसने जता दिया कि वे संभलकर बल्लेबाजी करना भी खूब जानते हैं। जाहिर है इन दोनों की फॉर्म इंग्लैंड के लिए फाइनल मैच में एक बड़ी सौगात ला सकती है। वहीं मध्यक्रम में जोस बटलर भी जबरदस्त बल्लेबाजी कर रहे हैं चाहे उनकी श्रीलंका के खिलाफ अर्धशतकीय पारी को देखें या न्यूजीलैंड के खिलाफ आखिरी ओवरों में 17 गेंदों में ताबड़तोड़ 32 रनों की नाबाद पारी को। दोनों अवसरों पर उन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ खेल का प्रदर्शन किया। ऐसे में एक बार फिर से उनपर निगाहें होंगी। वहीं निचले क्रम पर मोईन अली अक्सर मौका पड़ने पर अच्छे हाथ दिखा देते हैं और इसमें कोई दो राय नहीं है कि उन्होंने निचले क्रम के एक मंजे हुए बल्लेबाज की भूमिका अब तक बखूबी निभाई है।
कमजोर पक्ष: इंग्लैंड टीम टीम के अगर कमजोर पक्ष को देखा जाए तो उनकी गेंदबाजी सबसे पहले हाशिए पर आती है। इंग्लैंड का गेंदबाजी का आक्रमण कम अनुभव वाला है। इसलिए कई अवसरों पर वह ज्यादा रन खर्च बैठते हैं और अक्सर गलत दिशा में गेंदबाजी करते हैं। क्रिस जॉर्डन ने भले ही श्रीलंका के खिलाफ 4 विकेट निकाले थे, लेकिन उसके बाद से वह ज्यादा विकेट लेने में कामयाब नहीं हो पाए हैं और वेस्टइंडीज के खिलाफ लीग मैच में तो बेहद खर्चीले भी साबित हुए थे। वहीं तीसरे गेंदबाज को लेकर भी इंग्लैंड की समस्याएं तेज हो गई हैं। पिछले मैच में कप्तान मॉर्गन ने टॉपली को हटाकर प्लंकेट को टीम में शामिल किया था, लेकिन प्लंकेट बेहद खर्चीले साबित हुए थे और उन्होंने 4 ओवरों में 38 रन दे डाले थे। ऐसे में मॉर्गन के सामने अपने तीसरे गेंदबाज को लेकर विचार विमर्श करने की बात खड़ी हो गई है।
यही नहीं मोईन अली और आदिल रशीद ने भी अभी तक उतना बढ़िया प्रदर्शन नहीं किया है जिसकी उनसे उम्मीदें की गई हैं। डेविड विली ही एक मात्र इंग्लैंड के गेंदबाज हैं जो अभी तक कुछ प्रभावित पर पाए हैं। लेकिन क्या अकेला चना इतने बड़े मैच में भाड़ फोड़ पाएगा? लेकिन यह भी हकीकत है कि इंग्लैंड ने जितने भी अभी तक मैच जीते हैं वह अपनी बल्लेबाजी के दम पर जीते हैं। लेकिन वही समस्या यहां आकर खड़ी हो जाती है। दो से तीन बल्लेबाजों को छोड़ दिया तो इंग्लैंड की बल्लेबाजी भी पूरी तरह से ध्वस्त दिखाई दे रही है। कप्तान ईयोन मॉर्गन, बेन स्टोक्स इस टूर्नामेंट में पूरी तरह से अप्रभावशाली साबित हुए हैं। ऐसे में अगर इन्हें फाइनल में अपनी टीम की दावेदारी प्रस्तुत करनी है तो कुछ अलग कर गुजरने की जरूरत होगी।