2009 विश्व कप के बाद संन्यास लेने वाली थी मिताली राज
टीम इंडिया की कप्तान ने बताया कि उनके माता-पिता के संघर्षों ने उन्हें आगे खेलने के लिए प्रेरित किया।

मिताली राज ने 12 साल बाद टीम इंडिया को विश्व कप के फाइनल में पहुंचा दिया है। इस टूर्नामेंट की शुरुआत से ही मिताली एक के बाद लगातार रिकॉर्ड बनाए जा रही हैं। मिताली इस समय भारतीय महिला क्रिकेट टीम को विश्व कप जिताने से केवल एक कदम दूर खड़ी हैं लेकिन ये सब कुछ कभी संभव नहीं होता अगर मिताली 2009 में संन्यास ले लेती। जी हां, टीम इंडिया की ‘क्वीन ऑफ कूल’ 2009 में ही क्रिकेट को अलविदा कहने का मन बना चुकी थी लेकिन अपने माता-पिता की खातिर वह रुक गईं।
मिताली ने ईएसपीएनक्रिकइंफो से बातचीत में इस बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा, “जब आपका करियर लंबा होता है तो इस दौरान आपको कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। मुझे सच में लगा था कि मैं 2009 विश्व के बाद संन्यास ले लूंगी लेकिन 2009 वह साल था जब दुनिया में महिला क्रिकेट अपनी पहचान बना रहा था। यह पहला विश्व कप था जिसके मैच टीवी पर लाइव दिखाए गए। तब मुझे लगा मैने अब तक कितना संघर्ष किया तो मुझे थोड़ी और कोशिश करनी चाहिए। उस समय मेरे माता-पिता के संघर्षों ने मुझे प्रेरित किया, मैने समझा कि वह कितनी नकारात्मकता से गुजरे होंगे। इसलिए जब भी मुझे पीछे हटने का विचार आता है तो मैं अपने माता-पिता के त्याग को याद करती हूं और इससे मुझे प्रेरणा मिलती है।” [ये भी पढ़ें: आईसीसी महिला विश्व कप 2017: भारत बनाम इंग्लैंड फाइनल मैच में इन खिलाड़ियों पर रहेगी नजर]
अगर मिताली 2009 में ही क्रिकेट छोड़ देती तो शायद टीम इंडिया आज यहां नहीं पहुंच पाती। पिछले कुछ समय में महिला क्रिकेट ने पूरे विश्व में प्रसिद्धि हासिल की है। भारतीय टीम इस समय इंग्लैंड के खिलाफ विश्व कप फाइनल खेलने की तैयारी कर रही है, मिताली के बिना ये सब नामुमकिन होता।