IPL 2018 के फाइनल से पहले केवल 5 मिनट चली थी CSK की टीम मीटिंग
चेन्नई सुपरकिंग्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को फाइनल में हराकर तीसरा आईपीएल खिताब जीता था।
महेंद्र सिंह धोनी उन कप्तानों में से नहीं हैं जो मैच से पहले टीम को लंबे भाषण दें। इंडियन प्रीमियर लीग के 11वें सीजन में चेन्नई सुपरकिंग्स को तीसरा खिताब जिताने वाले कप्तान धोनी ने बताया कि फाइनल मैच से पहले की टीम मीटिंग केवल 5 मिनट चली थी। सोमवार को स्टार री-इमेजिन अवार्ड समारोह के दौरान धोनी ने कहा, “मुझे लगता है कि उस समय हम ऐसे मोड़ पर पहुंच गए थे, जहां हम पूरे टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन को लेकर आराम में थे। सभी को अपनी भूमिका और जिम्मेदारियां अच्छे से पता थी। आपको कुछ कहने की जरूरत तभी पड़ती है जब ऐसा करने की ज्यादा जरूरत हो। सिर्फ इसलिए कि आप कप्तान या कोच हो आपका कुछ कहना जरूरी नहीं है।”
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धोनी ने बताया कि पांच मिनट की इस मीटिंग में कोच स्टीफेन फ्लेमिंग ने केवल इतना कहा कि ‘जाओ और जीत कर आओ’। सीएसके टीम मैदान पर जितनी आक्रमक दिखती है, टीम का ड्रेसिंग रूम उतना ही शांत है, जिसका सबसे बड़ा कारण है धोनी की मौजूदगी। धोनी का मानना है कि इसी वजह से सीएसके हर बार अच्छा प्रदर्शन करती है। उन्होंने कहा, “मुझे हमेशा ही लगा है कि सीएसके के अच्छे प्रदर्शन का राज यही है। हम लंबी मीटिंग नहीं करते। हम ज्यादा टीम मीटिंग नहीं करते क्योंकि हम एक दूसरे के साथ और खिलाफ काफी क्रिकेट खेल चुके हैं। आप हालात से अच्छी तरह वाकिफ है, आपको अच्छे से पता है कि आपको किस तरह खेलना है, ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है।”
धोनी मानते हैं कि जो हो चुका है उसकी कोई सफाई नहीं दी जा सकती, ऐसे में टीम मीटिंग कर घंटो उसकी चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। धोनी ने कहा, “हां, हम गेंदबाजों और बल्लेबाजों की मीटिंग करते हैं और मैं बल्लेबाजों की मीटिंग का हिस्सा नहीं बनता। कई बार लोग ऐसा करते हैं क्योंकि उन्हें एक बॉक्स पर टिक करना होता है। सीएसके में किसी चीज की सफाई नहीं दी जाती, आप जानते हैं कि गेंदबाजी कोच को मालिकों को सफाई देने की जरूरत नहीं है।”
हालांकि धोनी ने ये खुलासा भी किया कि मोहाली में किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ लीग मैच से पहले सीएसके टीम ने मीटिंग की थी। उस मैच में गेल ने शानदार शतक जड़ा था। धोनी ने बताया, “गेल के शतक लगाने से पहले हमने गेंदबाजों की एक मीटिंग की थी। कई बार आप मीटिंग करते हो क्योंकि करनी होती है। फाइनल मैच से पहले आप कहते हैं कि हमने ऐसा किया, हमने वैसा किया। हमारे साथ ऐसा नहीं है। हम चीजें जितनी हो सके उतनी सामान्य रखने की कोशिश करते हैं। बतौर कोच और कप्तान जरूरी है कि आप खिलाड़ियों को उसकी काबिलियत के हिसाब से सलाह दें। जिस खिलाड़ी ने कभी भी ऐसा ना किया हो आप अचानक जाकर उसे ये नहीं कह सकते कि ऑफ स्टंप के बाहर यॉर्कर डालो। आपको खिलाड़ी को उसकी ताकत के हिसाब से चीजें बतानी होती हैं और किन चीजों में वो सुधार कर सकता है। ये हमारी सबसे अच्छी बात है।”