मुझे किसी बड़े क्रिकेटर ने फोन नहीं किया, सिवाय..., पृथ्वी साव ने संघर्ष के दिनों के बारे में किए बड़े खुलासे

Prithvi Shaw: कभी इस खिलाड़ी को भारतीय क्रिकेट का भविष्य कहा जा रहा था. और अब यह आईपीएल में कम दाम में भी किसी टीम की पसंद नहीं बन पाया. साव ने कई खुलासे अपने इंटरव्यू में किए हैं.

By Bharat Malhotra Last Updated on - June 26, 2025 7:14 AM IST

नई दिल्ली: पृथ्वी साव को कभी भारतीय क्रिकेट का भविष्य कहा जाता था. लेकिन बीते दो साल में उन्होंने काफी कुछ बदलता देख लिया. भारत के लिए अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के कप्तान रहे पृथ्वी का करियर लगातार ढलान पर फिसलता गया. उन्हें आईपीएल 2025 में किसी भी टीम ने नहीं खरीदा. फिटनेस और अनुशासात्मक रवैये के चलते पृथ्वी लगातार आलोचकों के निशाने पर रहे. अब पृथ्वी भी मानते हैं कि अब उन्हें वापसी करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. साव ने मुंबई क्रिकेट असोसिएशन से किसी और टीम में ट्रांसफर के लिए अनुमति भी मांगी. भारत के लिए पांच टेस्ट और छह वनडे खेलने वाले साव को मुंबई की टीम से भी ड्रॉप कर दिया गया था. वजह वही, खराब फिटनेस और अनुशासन की कमी.

मुंबई के लिए सीजन मिस करने वाले साव मुंबई के लिए आखिरी बार घरेलू टी20 टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली में खेले थे. मध्य प्रदेश के खिलाफ खेले गए इस मुकाबले में मुंबई की टीम ने पांच विकेट से जीत हासिल की थी.

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साव ने खुलासा किया कि उनके संघर्ष के दिनों में किसी बड़े क्रिकेटर ने उन्हें फोन नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘सिवाय ऋषभ पंत के. और सचिन तेंदुलकर के, जिन्होंने मेरा संघर्ष देखा है. उन्होंने मुझे अर्जुन तेंदुलकर के साथ बड़ा होते देखा है. मैं उनके घर भी गया हूं.’

न्यूज24 को दिए इंटरव्यू में साव ने अन्य कई मुद्दों पर बात की. उन्होंने कहा, ‘कई बाते हैं. लोगों के लिए यह देखना थोड़ा अलग है. क्योंकि मैं जानता हूं कि क्या हुआ. मैंने अपनी जिंदगी में कई गलत फैसले लिए. मैं क्रिकेट को कम वक्त देने लगा. मैं बहुत प्रैक्टिस किया करता था. उदाहरण के लिए, मैं नेट्स में 3-4 घंटे बैटिंग किया करता था. मैं बैटिंग से कभी थकता नहीं था. मैं आधा दिन मैदान पर बिताता था. मैं मानता हूं कि मेरा ध्यान भटक गया था.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके बाद मैं उन चीजों को अहम मानने लगा था जो अहम नहीं थीं. मैंने गलत दोस्त बनाए. क्योंकि मैं उस वक्त टॉप पर था. दोस्ती भी हो गई. फिर वे मुझे इधर-उधर ले जाने लगे. यही सब बातें. फिर मैं पटरी से उतर गया. मैं मैदान पर 8 घंटे बिताता था. अब यह चार घंटे हो गया था.’