AUS vs IND: सचिन ने जो सिडनी में किया वही करें विराट...एडम गिलक्रिस्ट की सलाह

एडम गिलक्रिस्ट ने कहा है कि विराट कोहली मानसिक रूप से काफी मजबूत हैं. और उन्हें सचिन तेंदुलकर की उस पारी से सबक लेना चाहिए जो उन्होंने 2004 मे सिडनी मे खेली थी.

By Bharat Malhotra Last Updated on - December 9, 2024 11:28 AM IST

विराट कोहली की टेस्ट बल्लेबाजी में जो एक कमी निकलकर सामने आ रही है वह है ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों का पीछा करना और विकेट के पीछे कैच होगा. ऐडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिंक बॉल टेस्ट में भी कोहली इसी तरह से आउट हुए. इसके बाद कोहली की यह कमजोरी एक बार फिर चर्चा में है. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट ने कोहली को इससे निपटने की सलाह दी है.

गिलक्रिस्ट ने कहा है कि कोहली को इस मामले में सचिन तेंदुलकर से सीख लेने की जरूरत है. गिलक्रिस्ट ने क्रिकबज के साथ बातचीत में बताया कि आखिर कोहली इस कमजोरी को कैसे दूर कर सकते हैं.

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क्रिकबज के साथ बातचीत में गिलक्रिस्ट ने कहा कि क्रिकेट एक मानसिक खेल है. और कोहली दिमागी रूप से काफी मजबूत हैं. दुनिया के महानतम विकेटकीपर बल्लेबाजों में शुमार गिलक्रिस्ट ने कहा, ‘क्रिकेट में गेंदबाज की क्षमता और विपक्षी टीम की रणनीति से ज्यादा आपकी अपनी मानसिक क्षमता की लड़ाई है. और कोहली इसमें काफी सक्षम हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि कोहली को वही करना चाहिए जो सचिन तेंदुलकर ने सिडनी टेस्ट में किया था. सचिन की तरह कोहली को भी यही तय करना चाहिए कि मैं ऑफ स्टंप के बाहर की किसी गेंद का पीछा नहीं करूंगा. आप (गेंदबाज) मुझे गेंद करें. आपको संयमित होकर खेलना होगा. सब्र रखना होगा. कोहली को इतना अनुभव है कि उन्हें यह पता है कि मानसिक रूप से बहुत मजबूत हैं. उन्होंने अंडर-19 के स्तर से उम्मीदों का बोझ उठाया है. इसके बाद आईपीएल में आना और इतना बड़ा आइकॉन बनना.’

साल 2004 के सिडनी टेस्ट से पहले सचिन कवर ड्राइव खेलते हुए आउट हो रहे थे. और इस टेस्ट में उन्होंने अपने खेल पर काबू रखते हुए ड्राइव नहीं खेलने का फैसला किया था. सचिन ने उस टेस्ट में 241 रन की पारी खेली थी. और एक भी कवर ड्राइव नहीं खेला था. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने काफी कोशिश की लेकिन सचिन ने खुद पर काबू रखा.

कोहली ने पर्थ टेस्ट में कमाल की सेंचुरी लगाई थी. और इसके बाद लग रहा था कि वह अपने पुराने रंग में लौट आए हैं. लेकिन ऐडिलेड टेस्ट की दोनों पारियो में वह असफल रहे. पहली पारी में वह मिशेल स्टार्क की गेंद पर दूसरी स्लिप में कैच हुए. वहीं दूसरी पारी में स्कॉट बोलैंड ने उन्हें विकेट के पीछे कैच करवाया.

उन्हें खुद से यह कहना चाहिए कि मेरी क्षमता में जो भी टीम के लिए सही होगा मैं वह करूंगा. और अगर इसके लिए मुझे लंबे समय तक संयमित होकर खेलना पड़े तो फिर ठीक है. यही सही.