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दुनिया के ये पांच बेहतरीन क्रिकेटर जिन्होंने कभी वर्ल्ड कप नहीं खेला
रिकॉर्डों का अंबार लगाने के बावजूद कुछ बेहद टैलेंटेड खिलाड़ी विश्व कप में अपनी देश की टीमों का हिस्सा नहीं रहे।
Written by Devbrat Bajpai
Last Updated on - September 19, 2016 9:27 PM IST

क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट आईसीसी विश्व कप माना जाता है। हर क्रिकेटर का ख्वाब होता है कि वह एक ना एक दिन विश्व कप में अपनी टीम की ओर से खेले और विश्व विजेता टीम का हिस्सा बने। लेकिन ऐसे बहुत कम क्रिकेटर हैं जिन्हें विश्व कप की टीम में शामिल होने का मौका मिला। इसी जद्दोजहद में कुछ प्रतिभाशाली क्रिकेटर ऐसे भी हुए जिन्होंने क्रिकेट के मैदान में वैसे तो रनों का अंबार लगा दिया, लेकिन उनके द्वारा कम सीमित ओवर मैच खेलने के कारण उनकी जगह विश्व कप में लिमिटेड ओवर स्पेशलिस्ट क्रिकेटरों को तरजीह दे दी गई। आज हम आपको ऐसे ही प्रतिभाशाली क्रिकेटरों से रूबरू कराते हैं जिन्हें कभी विश्व कप खेलने का मौका नहीं मिला।
1. वीवीएस लक्ष्मण:

भारतीय टीम के करिश्माई बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण को भारतीय ‘फैब फोर’ के सदस्य के रूप में जाना जाता है। अपने पूरे करियर के दौरान लक्ष्मण ने कुल 134 टेस्ट मैच खेले और 8,781 रन बनाए। इस दौरान लक्ष्मण ने 17 शतक लगाए और उनका सर्वोच्च सोकर 281 रहा जो उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ईडेन गार्डन में बनाया था। [ये भी पढ़ें: ]
हालांकि लक्ष्मण वनडे क्रिकेट में कुछ खास नहीं चमक पाए। 86 वनडे मैचों में उन्होंने 6 शतक जड़े जिनमें से 4 उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जड़े थे। लेकिन लक्ष्मण भारतीय टीम की ओर से विश्व कप में कभी नहीं चुने गए। साल 2003 विश्व कप के पहले ये निश्चित तौर पर लग रहा था कि लक्ष्मण जरूर भारत की विश्व कप टीम का हिस्सा होंगे। लेकिन बाद में उनकी जगह टीम में दिनेश मोंगिया को शामिल कर लिया गया।
2. एलिस्टियर कुक:

एलिस्टियर कुल एक मात्र सक्रिय क्रिकेटर हैं जो इस सूची का हिस्सा हैं। हाल ही में टेस्ट क्रिकेट में 10,000 रन पूरे करने वाले कुक एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं और उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में कई कारनामें अपने नाम किए हैं। कुक इस समय इंग्लैंड की टेस्ट टीम के कप्तान हैं और अपनी कप्तानी में वह इंग्लैंड को एशेज भी जिता चुके हैं।
कुक ने इंग्लैंड की ओर से 97 वनडे खेले हैं और ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि उन्हें 50 ओवर विश्व कप में शामिल होने का मौका क्यों नहीं मिला? कुक ने अपना पिछला वनडे मैच दिसंबर 2014 में खेला था। वह वनडे में 3000 रन और 5 शतक जड़ चुके हैं। ये बहुत ही निराशा की बात है कि हमने कुक को कभी विश्व कप टीम में नहीं देखा।
3. मैथ्यू होगार्ड:

इंग्लैंड के मैथ्यू होगार्ड मध्यम गति के एक बेहतरीन गेंदबाज थे। टेस्ट मैचों में उन्होंने अपने देश के लिए कई कीर्तिमान हासिल किए और यही कारण है कि वह इंग्लैंड की ओर से टेस्ट मैचों में सर्वाधिक विकेट लेने वाले 10 गेंदबाजों की सूची में शामिल हैं।
होगार्ड, इंग्लैंड की ओर से गेंदबाजी की शुरुआत किया करते थे। उन्होंने अपने पूरे करियर के दौरान कुल 67 टेस्ट मैच खेले और 248 विकेट लिए। साल 2005 में जब इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को ऐतिहासिक एशेज श्रृंखला में पटखनी दी तो होगार्ड की भूमिका अहम रही थी।
लेकिन होगार्ड का वनडे करियर उतना सफल नहीं रहा और उन्होंने कुल 26 वनडे मैच खेले। इस दौरान होगार्ड ने 32 विकेट्स लिए जिसमें उनका सर्वोच्च प्रदर्शन 32 रन देकर 5 विकेट भी शामिल था जो उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ मुकम्मल किया था। उन्हें 2003 विश्व कप में इंग्लैंड टीम की ओर से शामिल किया गया था लेकिन उन्हें अंतिम एकादश में शामिल नहीं किया गया और उन्होंने साल 2006 में वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
4. क्रिस मार्टिन:

न्यूजीलैंड के लिए टेस्ट मैचों में कमाल की गेंदबाजी करने वाले क्रिस मार्टिन न्यूजीलैंड की ओर से सर्वाधिक विकेट लेने के मामले में सिर्फ रिचर्ड हेडली और डेनियल वेट्टोरी से नीचे हैं। मार्टिन ने कुल 13 साल तक न्यूजीलैंड के लिए क्रिकेट खेली। और इस दौरान 71 टेस्ट मैचों में 233 विकेट लिए।
इस दौरान उन्होंने 5 बार 10 विकेट लेने का कारनामा भी किया। हालांकि, वनडे में वह खास नहीं कर पाए और वह 20 मैचों में 18 विकेट ही ले सके। यही कारण रहा कि उन्हें वनडे मैच खेलने का मौका नहीं मिला। साल 2007 विश्व कप में क्रिस मार्टिन को उस वक्त स्क्वाड में शामिल किया गया था जब डेरेल टफी चोटिल हो गए थे। लेकिन उन्हें कोई मैच खेलने को नहीं मिला।
5. जस्टिन लैंगर:

ऑस्ट्रेलिया के जस्टिन लैंगर एक बेहतरीन ओपनिंग बल्लेबाज थे। बाएं हाथ के बल्लेबाज लैंगर ने अपने 14 साल लंबे करियर के दौरान कुल 105 टेस्ट मैच खेले जिनमें 7,000 रन बनाए और इस दौरान उनके रन बनाने का औसत 45 से ऊपर रहा। लैंगर टेस्ट मैचों में मैथ्यू हेडेन के साथ ऑस्ट्रेलिया के लिए पारी की शुरुआत करते थे। इन दोनों की जोड़ी को 2000 के दशक की बेहतरीन ओपनिंग जोड़ी में से एक माना जाता है।
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लैंगर ने बहुत कम वनडे मैच खेले और 8 वनडे मैचों में खेलते हुए उन्होंने 160 रन बनाए और इस दौरान वह कोई अर्धशतक भी नहीं जमा पाए। लैंगर शायद ऑस्ट्रेलिया के स्वर्णकाल के एकमात्र बल्लेबाज हैं जिन्हें विश्व कप में खेलने का मौका नहीं मिला। लैंगर ने अपना अंतिम वनडे मैच साल 1997 में खेला था इसके 10 साल बाद लैंगर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।